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– राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए अपीलार्थियों के पक्ष में दिया अंतरिम आदेश जोधपुर। चिकित्सा विभाग में नर्सिंग ऑफिसर के 6981 पदों के लिए 5 मई 2023 को जारी विज्ञप्ति में आवश्यक योग्यता सीनियर सैकंडरी और समकक्ष, नर्सिंग डिप्लोमा तथा नर्सिंग काउंसिल में पंजीयन रखने के बावजूद कुछ अभ्यर्थियों को प्री यूनिवर्सिटी कोर्स उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को नियुक्ति से वंचित किए जाने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने अहम फैसला देते हुए दो अभ्यर्थियों को अंतरिम नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं। पाली के राजेंद्र नगर निवासी गोपाल कृष्ण और रानी के जवाली निवासी जसाराम की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की थी। इसमें बताया गया कि वर्ष 2023 मे नर्सिंग ऑफिसर पदों के लिए जारी विज्ञप्ति में आवश्यक योग्यता सीनियर सैकंडरी और समकक्ष, नर्सिंग डिप्लोमा व नर्सिंग काउंसिल में पंजीयन होने की निर्धारित की गई थी। याचिकाकर्ता ने उदयपुर की जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्या पीठ से वर्ष 2005 में प्री यूनिवर्सिटी कोर्स (पीयूसी) उत्तीर्ण कर लिया था, जिसे सीनियर सैकंडरी परीक्षा के समान समकक्षता की मान्यता है। अपीलार्थियों को इसी योग्यता के आधार पर पहले तीन वर्षीय नर्सिंग डिप्लोमा में प्रवेश और इसी के आधार पर नर्सिंग कॉउन्सिल में पंजीयन कर वर्ष 2014 में जीएनएम पद पर सविंदा नौकरी दी गई। वर्तमान में याचिकाकर्ता जसाराम जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में कार्यरत है। इसी बीच, नियमित भर्ती-2023 में उसकी पीयूसी योग्यता को 12वीं कक्षा के समकक्ष नहीं मानते हुए नर्सिंग ऑफिसर पद पर नियुक्ति से वंचित कर दिया गया। इस पर रिट याचिकाएं पेश की गईं, लेकिन हाईकोर्ट की एकलपीठ न्यायाधीश ने 2024 में दिए गए फैसले के आधार पर याचिकाएं खारिज कर दी गईं। समकक्षता का क्षेत्राधिकार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को तब, हाइकोर्ट की खंडपीठ में स्पेशल अपील पेश की गई। इनकी सुनवाई के दौरान अधिवक्ता खिलेरी ने कोर्ट को बताया कि प्री यूनिवर्सिटी कोर्स (पीयूसी) योग्यता को सीनियर सैकंडरी के समकक्ष मानकर राज्य सरकार ने परिवादी को राजकीय नर्सिंग स्कूल से डिप्लोमा कोर्स कर राजकीय अस्पताल में संविदा नियुक्ति दी गई। ऐसे में अब नियमित भर्ती के समय उसे अयोग्य करार देना गैर वाजिब है। खिलेरी ने कोर्ट को यह भी बताया कि समकक्षता देने का क्षेत्राधिकार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजेर को है, जिसकी अनुभवी विषय विशेषज्ञ की कमेटी ने याचिकाकर्ता की पीयूसी योग्यता को सीनियर सैकंडरी परीक्षा के समकक्ष निर्धारित कर आदेश भी जारी कर दिया। ऐसे में एकलपीठ द्वारा इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज बनाम भारत संघ में पारित पूर्व निर्णय 8 जनवरी 2024 याचिकाकर्ताओं के प्रकरण में लागू ही नहीं होता है, क्योंकि याचिकाकर्ताओ के जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर से पीयूसी परीक्षा सत्र 2004-2005 को यूजीसी, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, दूरस्थ शिक्षा कॉउन्सिल और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता दे रखी थी। अपीलार्थियों की ओर से अधिवक्ता ख़िलेरी ने बताया कि याचिकाकर्ताओ के साथ भेदभाव करते हुए उन्हें भर्ती प्रक्रिया में अपात्र घोषित करना असंवैधानिक और गैर कानूनी है। जब विज्ञापित पद पर अस्थायी आधार पर गत कई वर्षों से अपीलार्थी कार्यरत हैं और नियमित भर्ती प्रक्रिया में मेरिटोरियस होने से नियुक्ति दिलाने की गुहार लगाई गई। अपीलार्थियों की ओर से दिए तथ्यों से प्रथमदृष्टया कोर्ट भी सहमत प्रकरण के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए और अपीलार्थियों के अधिवक्ता के तर्कों से प्रथमद्रष्टया सहमत होकर हाइकोर्ट जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और चंद्र प्रकाश श्रीमाली की खंडपीठ ने पीयूसी योग्यता के आधार पर अपीलार्थियों को अयोग्य नहीं ठहराने और अपील के अंतिम निर्णयाधीन नर्सिंग ऑफिसर पद पर नियुक्ति दिए जाने के अंतरिम आदेश दिए हैं। साथ ही संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है।

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