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कोटा संभाग के निजी कोचिंग संस्थाओं के डायरेक्टर ने और हाडोती संभाग कोचिंग समिति के द्वारा जिला कलेक्ट्री पर प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया। राजस्थान सरकार के द्वारा कोचिंग संस्थान के लिए बनाए गए बिल के विरोध में हाडोती संभाग कोचिंग समिति के पदाधिकारी ने प्रदर्शन किया। उन्होंने कोचिंगों के लिए बनाए गए बिल को डेथ वारंट के समान बताया। निजी कोचिंग डायरेक्टर सोनिया राठौर ने बताया कि राजस्थान सरकार ने छोटे बच्चों के विषय पर कोचिंगों में एक बिल पारित किया है। उस बिल का हम सभी समर्थन करते हैं लेकिन राजस्थान सरकार ने इस विधेयक बिल को पारित करने में कई तरह के नियम लगाए हैं। सरकार को दोनों पक्षों की तरफ देखना चाहिए था। सरकार ने यह बिल बड़े कोचिंग संस्थान को ध्यान में रखकर बनाया गया है। जबकि छोटी कोचिंग वालो को काफी ज्यादा नुकसान है। एकेडमिक कोचिंग मैं 10 से 15 लोगों को रोजगार देता है। साफ सफाई से लेकर टीचर तक होते है ऐसे बिल को पारित करने के बाद कोई भी कोचिंग संस्थान पनप नहीं पाएगा। प्रधानमंत्री कहते हैं स्वरोजगार प्रेरित करो, स्वावलंबन बनो अगर सरकार हम पर नियमों में बांधकर इस तरह से अंकुश ना लगाए। नियम बनाए जाए नियमों में संशोधन हो और इसका स्लैब बनाया जाए। जिस तरह का आयकर का स्लैब बना हुआ है इस तरह का कोचिंग का भी स्लैब बनाया जाए। इस बिल का संशोधन कर ड्राफ्ट बिल में शामिल करवाकर राजस्थान के सभी कोचिंग संस्थानों के 10 लाख रोजगारों और 50 लाख स्टूडेंट की रक्षा करें। बुद्धि प्रकाश शर्मा ने बताया कि ड्राफ्ट विधेयक राजस्थान के कोचिंग संस्थानों के विरोध में एक तरफा बनाया गया है। जैसे यह बिल कोई ड्रग्स, अफीम या शराब के नियंत्रण व विनियमन के लिए बना कोई विधेयक हो। यह अपने वर्तमान स्वरूप में स्वयं राजस्थान के कोचिंग संस्थानों के लिए डेथ वारंट के समान है। यह जान बूझकर या अनजाने में – “अफसरशाही का, अफसरशाही की जेब भरने के लिए, अफसरशाही द्वारा राजस्थान के युवाओं को सरकारी नोकरियों से वंचित करने के लिए बनाया गया है। छात्रों का भविष्य बर्बाद करने के लिए बनाया गया है। वर्तमान ड्राफ्ट बिल जैसा भारत के किसी भी राज्य में कोचिंग संस्थानों के लिए ऐसा कोई भी कानून नहीं है। सरकार का कोई भी नकारात्मक इंटरफेरेंस नहीं है। लेकिन राजस्थान की भ्रष्ट शासन व्यवस्था में कोई भी घटना जैसे सूरत की आग दिल्ली की बेसमेंट घटनाए पूरे भारत में अन्य कोई स्टूडेंट्स की दुर्घटना की घटना का बहाना बनाकर सरकारी निकाय अवैध वसूली पर उतर आते है। अबतक पिछले 7 सालों में हर संस्थान को JDA/नगर निगम जैसे नगरीय निकायों से 10 से अधिक नोटिस मिले हैं जो अधिकारियों के भ्रष्टाचार के बाद ही ड्रॉप किए गए चाहे जयपुर में ही मुख्यमंत्री नगरीय विकास मंत्री ने कोई भी निर्देश दिए हो। यह भ्रष्टाचार केवल राजस्थान में ही अनवरत जारी है। यूपी बिहार जैसे राज्यों में भी नहीं है।

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