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सड़क हादसों में हाथ गंवा चुके लोगों के जब कृत्रिम हाथ लगे तो उनके चेहरे पर खुशी छलक पड़ी। आंखें नम हो गई। उनका कहना था कि अब वे रोजमर्रा के काम आसानी से कर सकेंगे, वरना हाथ नहीं होने पर परेशानियों का सामना करना पड़ता था। दरअसल, बाड़मेर के साथी समूह ग्रुप ने जैसलमेर में एक अनूठा फ्री कैम्प लगाकर दिव्यांग लोगों के चेहरे पर एक मुस्कान ला दी है। हादसों में अपने हाथ गंवा चुके लोगों को साथी समूह बाड़मेर ने इनाली फाउंडेशन पुणे द्वारा निर्मित कृत्रिम हाथ लगाए। इसके लिए नेशनल हाइड्रो पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड, (NHPC) ने CSR फंड से रकम जुटाई। कैम्प में कई दिव्यांग ऐसे थे जिनके सड़क हादसों या करंट के हादसों की वजह से हाथ नहीं थे। कई ऐसे लोग भी शामिल हुए, जिनके दोनों हाथ नहीं थे। उन्हें संस्था की ओर से कृत्रिम हाथ लगाए गए। साथी समूह के विक्रम सिंह ने बताया- जब इनके खिले चेहरे दिखाई दिए, तो हमारा सामाजिक सरोकार का उद्देश्य सफल होता नजर आया। फ्री कैंप में 100 कृत्रिम हाथ लगाए
साथी समूह, बाड़मेर के महिपाल सिंह ने बताया- हमने इस फ्री कैम्प में करीब 100 लोगों को कृत्रिम हाथ लगाए। कैम्प में जैसलमेर के साथ साथ श्रीगंगानगर, सिरोही, सीकर, जालोर, बाड़मेर व जोधपुर से भी जरूरतमंद लोग आए। कई हादसों में अपने हाथ गंवा चुके लोगों के हमने कृत्रिम हाथ लगाकर उनकी जिंदगी को फिर से खुशहाल बनाने का प्रयास किया। हम आगे भी ऐसे कैंप लगाएंगे। इनाली फाउंडेशन पुणे द्वारा निर्मित है कृत्रिम हाथ
महिपाल सिंह ने बताया कि हमारी इस मुहिम के लिए इनाली फाउंडेशन पुणे ने कृत्रिम हाथ उपलब्ध करवाए। इसके लिए एक निजी कंपनी नेशनल हाइड्रो पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड, (NHPC) ने CSR फंड से रकम दी है। एक कृत्रिम हाथ करीब 15 हजार रुपए की कीमत का है, जो हम इस कैंप में फ्री में लगवा रहे हैं। इसके लिए हमनें सीएसआर से रकम जुटाई। इनाली फाउंडेशन पुणे द्वारा निर्मित कृत्रिम हाथ के लिए 11 लोगों की टीम जैसलमेर आई है। बैटरी से काम करते हैं हाथ
विक्रम सिंह ने बताया कि ये इलेक्ट्रॉनिक कृत्रिम हाथ है। इसमें बैटरी लगती है, जिसके माध्यम से इसकी उंगलियां काम करती है। इस्तेमाल करने के लिए हाथ पर बटन है, जिससे बटन दबाते ही हाथ की उंगलियां काम करती है। इस हाथ के माध्यम से ब्रश करने से लेकर, रोटी बनाना, बाल बनाना, सब्जी काटना और गाड़ी भी चला सकते हैं। इन हाथों के साथ दिव्यांगों के चेहरे पर खुशी दिखाई दी। करंट से दोनों हाथ और पैर हुए थे खराब
कैम्प में जैसलमेर के सांगड़ से आए सैनी दान ने बताया कि आज से करीब 5 साल पहले करंट की चपेट में आने से दोनों हाथ खराब हो गए थे। कोहनी के पास से दोनों हाथों को काटना पड़ा। बिना हाथों के जिंदगी खराब हो गई थी। जीने की इच्छा भी खत्म हो गई थी। लेकिन कैंप में कृत्रिम हाथ मिल जाने से उनकी जिंदगी दोबारा से लौट आई है। अब उनको किसी सहारे की जरूरत भी नहीं है, वे अपना काम खुद कर लेंगे। 42 सदस्यों का दल है साथी समूह
विक्रम सिंह ने बताया कि 42 के इस समूह की स्थापना 11 मार्च 2021 को बाड़मेर में हुई, जिसे 32 दोस्तों ने मिलकर बनाया था। आज 42 सदस्य है, जो सभी आपस में मित्र है। हमारा एक ही उद्देश्य है सामाजिक सरोकार के काम करवाना। हम हर साल सामाजिक सरोकार के काम के तहत ब्लड डोनेशन कैम्प, कॅरियर काउंसलिंग के कार्यक्रम, श्रमदान, तिरंगा रैली आदि निकालकर लोगों को मोटिवेट भी करते हैं। कृत्रिम हाथ का हमारा आइडिया पहला है और जैसलमेर में ये हमारा पहला फ्री कैम्प है। दूरदराज से लोग फोन करके जानकारी ले रहे हैं। हम कोशिश करेंगे कि एक बार फिर ऐसा ही फ्री कैंप लगाए, जिससे छूट गए जरूरतमंदों की फिर से मदद की जा सके।

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