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देश में हर घंटे बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों को देखते हुए राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान ने ‘प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट’ की शुरुआत की है। संस्थान के वाइस चांसलर डॉ. संजीव शर्मा ने बताया कि यह विभाग हृदय रोगों को इलाज की बजाय पहले ही रोकने पर केंद्रित है। भास्कर से खास बातचीत में डॉ. शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में न केवल जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों पर रिसर्च हो रही है। महिलाओं की प्रजनन समस्याओं को लेकर भी सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। ‘उत्तर बस्ती संस्कार’ जैसी परंपरागत तकनीक अब IVF के विकल्प के रूप में उभर रही हैं। कई महिलाएं इससे सफलतापूर्वक गर्भधारण कर चुकी हैं। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… भास्कर : योग दिवस पर इस बार की थीम है – ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’। आम जनता इसे कैसे समझें? डॉ. संजीव शर्मा : भारत सरकार ने इस बार योग दिवस की जो थीम दी है, ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ यानी ‘Yoga for One Earth, One Health’, वह अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह केवल शारीरिक स्वास्थ्य की बात नहीं करता, बल्कि मानसिक, आध्यात्मिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को भी जोड़ता है। हमारे आसपास की हवा, पानी, पेड़-पौधे, जानवर, सबका स्वास्थ्य हमारे खुद के स्वास्थ्य से जुड़ा है। अगर पृथ्वी स्वस्थ नहीं है तो मनुष्य भी स्वस्थ नहीं रह सकता। यह थीम हमें याद दिलाती है कि हमें न केवल अपने शरीर और मन का, बल्कि पर्यावरण का भी पूरा ख्याल रखना होगा। यह समग्र स्वास्थ्य की अवधारणा को आगे लाती है। भास्कर : युवाओं में आज हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। आयुर्वेद इस दिशा में क्या समाधान देता है? डॉ. संजीव शर्मा : यह एक गंभीर विषय है। युवा पीढ़ी में तनाव, अनियमित दिनचर्या और गलत खान-पान से हृदय रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए हमने राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में Preventive Cardiology Department शुरू किया है। यह विभाग रोगों के इलाज से पहले, उनके रोकथाम पर केंद्रित है। योग, प्राणायाम और आयुर्वेद के सिद्धांतों का पालन कर युवा पीढ़ी हृदय रोग से सुरक्षित रह सकती है। आज के समय में सभी लोग चिंताग्रस्त है ऐसे मेंं ये बीमारी होने की संभावना ज्यादा होती है। भास्कर : आज के संदर्भ में आयुर्वेद को नई तकनीकों से जोड़ना कितना महत्वपूर्ण है? डॉ. संजीव शर्मा : आयुर्वेद अपने मूल सिद्धांतों पर आधारित है। यदि हम उन सिद्धांतों से हटते हैं तो हम इसकी आत्मा को खो देंगे, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हम आधुनिक तकनीकों का उपयोग न करें। हमने आधुनिक उपकरणों, लैब और तकनीक के साथ रिसर्च में भी बेहतरीन प्रगति की है। उदाहरण के लिए, महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए ‘उत्तर बस्ती’ और ‘गर्भ संस्कार’ जैसे कार्यक्रमों ने IVF जैसी आधुनिक तकनीकों के विकल्प के रूप में काम किया है। हमारी प्रयोगशालाएं देश में सबसे उन्नत मानी जा रही हैं। यहां निरंतर रिसर्च हो रही है। भास्कर : क्या अभी लेटेस्ट कोई रिसर्च या कार्यक्रम जारी है जो आम जनता के लिए विशेष रूप से उपयोगी हो? डॉ. संजीव शर्मा : बिल्कुल। प्रकृति परीक्षण एक प्रमुख उदाहरण है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने body constitution यानी प्रकृति को जान सकता है – वात, पित्त, कफ में से कौन-सी प्रवृत्ति उसमें प्रबल है। अगर हम अपनी प्रकृति को पहचान कर उसी अनुसार आहार-विहार, दिनचर्या और व्यवहार करते हैं तो हम कई रोगों से पहले ही बच सकते हैं। मैं लोगों से अपील करता हूं कि किसी अच्छे आयुर्वेद विशेषज्ञ से अपनी प्रकृति का परीक्षण जरूर करवाएं और उसी अनुसार जीवनशैली अपनाएं। भास्कर : बीते वर्षों में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान ने क्या प्रमुख उपलब्धियां हासिल की हैं? डॉ. संजीव शर्मा : राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान आयुष मंत्रालय के अधीन देश का एकमात्र विश्वविद्यालय है। हाल ही में यह संस्थान विश्वविद्यालय के रूप में परिवर्तित हुआ,जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसका लोकार्पण हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। संस्थान को NAAC A ग्रेड, NABH हॉस्पिटल सर्टिफिकेशन, GMP सर्टिफाइड फार्मेसी जैसी कई प्रतिष्ठित मान्यताएं प्राप्त हुई हैं। हमारी लैब NABL सर्टिफाइड है और हमारा हॉस्पिटल किचन भी फूड सेफ्टी सर्टिफाइड है। प्रकृति परीक्षण अभियान में संस्थान ने राष्ट्रीय स्तर पर पहला स्थान प्राप्त किया। हमने पंचकुला (हरियाणा) में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद का सैटेलाइट सेंटर स्थापित किया है, जहां शैक्षणिक और चिकित्सकीय सेवाएं चालू हैं। भास्कर : लोग योग दिवस पर योग करते हैं, पर उसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा नहीं बना पाते। इसे कैसे सुधारा जाए? डॉ. संजीव शर्मा : 21 जून को योग दिवस मनाना प्रतीकात्मक नहीं होना चाहिए। यह केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं, बल्कि जन जागरण की मुहिम है। जैसे हम रोज भोजन करते हैं, पानी पीते हैं, वैसे ही योग को भी जीवन का हिस्सा बनाना होगा। हर व्यक्ति को अपने समय के अनुसार 10-15 मिनट योग को जरूर देने चाहिए। यदि हम ऋतु के अनुसार, प्रकृति के अनुसार जीवनशैली और खान-पान रखें तो हम निरोगी जीवन पा सकते हैं। …. राजस्थान में योग से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए… जैसलमेर के रेतीले धोरों पर CM ने योग किया:जयपुर में राज्यपाल ने योग करने का संकल्प दिलाया, कई जिलों में बारिश ने खलल डाली आज (21 जून) अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। इस बार राज्य स्तरीय समारोह जैसलमेर के रेतीले धोरों पर हो रहा है। शहर से करीब 45 किमी दूर खुहड़ी के धोरों पर सीएम भजनलाल शर्मा पहुंच गए हैं। पूरी खबर पढ़िए…

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