कोरोना काल में डॉक्टर दंपती की मौत ने नर्सिंगकर्मी को झकझोर दिया। नर्सिंगकर्मी डॉ. दंपती के हॉस्पिटल में ही काम करता था। कोरोना काल में इम्यूनिटी का महत्व पता चला। इसके बाद नर्सिंगकर्मी किसान बन गया और काले गेहूं की खेती की। मूलरूप से अलवर जिले के रहने वाले रामकिशोर ने पाली के बाली में फालना रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर दूर खुडाला गांव में काले गेहूं की खेती की है। उनके माता-पिता हरियाणा में किसान हैं। बेटा नौकरी करने के लिए पाली के फालना गया था। रामकिशोर ने वहीं व्यास हॉस्पिटल में नर्सिंगकर्मी के तौर पर काम किया। फालना में व्यास हॉस्पिटल में कोरोना काल में व्यास दंपती की मौत हो गई। हॉस्पिटल बंद हो गया। इसके बाद किसान दोस्त राकेश ठकराल ने काले गेहूं की खेती करने का सुझाव दिया। रामकिशोर ऑर्गेनिक तरीके से फसल को तैयार किया हैं। खरीदार अभी से एडवांस बुकिंग देने को तैयार हैं। वे 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल का भाव दे रहे हैं। म्हारे देस की खेती में आज बात पाली के फालना के किसान रामकिशोर की… खेती से जुड़ाव की कहानी
रामकिशोर ने बताया- जब मैं 10वीं-12वीं क्लास में था, तब मेरे माता-पिता हरियाणा के रेवाड़ी में खेती-बाड़ी करते थे। मैं पिता की मदद किया करता था। उसके बाद नौकरी करने लगा और माता-पिता परिवार समेत अलवर आकर शिफ्ट हो गए। अब मैं फालना (पाली) में पूरी तरह खुद खेती कर रहा हूं। रामकिशोर ने बताया- दोस्त राकेश के कहने पर मैंने काले गेहूं की खेती करने का मन बनाया। मैंने फालना में 12 बीघा जमीन खरीदी। इसमें इसी रबी के सीजन (नवंबर 2024) में 5 बीघा में काला गेहूं की खेती की। पूरे खेत में गाय के गोबर की ऑर्गेनिक खाद डाली। अब फसल 5 फीट की हो गई है। बालियां भी लगभग एक फीट की हैं। मैं खुद नर्सिंग कर्मचारी रहा हूं, इसलिए हेल्थ के लिए क्या जरूरी है, यह समझता हूं। हम बच्चों को डीएपी यूरिया का जहर क्यों खिलाएं। मैं नजदीकी गांव कुडाला से ही गोबर की खाद लाता हूं। केमिकल वाला खाद नहीं डालता। किसानों से अपील है कि वे देसी खाद का इस्तेमाल करें। न जमीन खराब होगी न फसल। लोगों की सेहत से भी खिलवाड़ नहीं होगा। मेडिकल बैकग्राउंड वाला परिवार
रामकिशोर का पूरा परिवार मेडिकल लाइन से जुड़ा है। उनकी पत्नी भतेरी देवी कोट बालियान में नर्स के पद पर कार्यरत हैं और कभी-कभी खेती में भी हाथ बंटाती हैं। बेटे सौरभ ने जोधपुर में एमबीबीएस की पढ़ाई की है और वर्तमान में जयपुर में आगे की तैयारी कर रहे हैं। बेटी निकिता अजमेर के महिला चिकित्सालय में डॉक्टर के पद पर कार्यरत हैं। 100 किलो बीज खरीदा, 10 कट्टे खाद डाली
रामकिशोर ने बताया- दोस्त राकेश की मदद से महाराष्ट्र से 100 किलो काले गेहूं का बीज 95 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदा। बीज 9500 रुपए का आया। खेत तैयार करने में 3 हजार का खर्चा आया। फिर देसी खाद के 10 कट्टे 5 बीघा में डाले। खाद 4 हजार रुपए की आई। पूरे सीजन में 6 बार पानी लगाया। अब फसल पक कर तैयार है। अब पानी नहीं देना है, वरना फसल गिर जाएगी। बारिश हुई तो भी नुकसान होगा। अच्छी फसल हुई है। फसल पूरी तरह ऑर्गेनिक है, चाहे लैब में टेस्ट करा लो। अभी से खरीदार एडवांस बुकिंग देने को तैयार हैं। 8 हजार रुपए क्विंटल का भाव दे रहे हैं। रोजाना मेरे पास चार-पांच किसान आ रहे हैं और काला गेहूं को लेकर जानकारी ले रहे हैं। चाय की दुकान पर दोस्त ने की चर्चा, बोला काला गेहूं बोना चाहिए
रामकिशोर ने बताया- एक बार चाय की दुकान पर मेरी मुलाकात किसान राकेश ठकराल से हुई। राकेश खेती में नवाचार के लिए जाने जाते हैं। उनसे दोस्ती हो गई। उन्होंने सुझाव दिया कि काला गेहूं की खेती करो। लाखों की इनकम होगी। तब से तय कर लिया कि काले गेहूं की खेती करेंगे। अब देखेंगे कि कितनी उपज होगी और क्या दाम मिलेगा। राकेश ने काला गेहूं का बीज उपलब्ध कराने और बुआई के तरीके में भी मदद की। पाली के बाली उपखंड में अब मैं पहला किसान बन गया हूं जो काले गेहूं की खेती कर रहा है। डॉक्टर दंपती की मौत के बाद तय किया खेती करूंगा
किसान रामकिशोर ने बताया- मैं फालना में व्यास हॉस्पिटल में नौकरी करता था। हॉस्पिटल को डॉक्टर व्यास और उनकी पत्नी चलाते थे। कोरोना में दोनों की मौत हो गई। इस घटना ने मुझे हिला दिया। तय किया कि नर्सिंग का काम छोड़कर खेती करूंगा। कोरोना काल में जिनकी इम्यूनिटी कमजोर थी उन्हें काला गेहूं खाने की सलाह दी जा रही थी। काले गेहूं की रोटी खाने से इम्यूनिटी बेहतर होती है। डायबिटीज के मरीज के लिए काला गेहूं फायदेमंद है। इसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। पेट संबंधित रोगों के लिए यह रामबाण है। इस गेहूं का काला रंग एंथ्रोसाइनिन पिगमेंटके कारण होता है। अब कई किसान मुझसे काला गेहूं के बीज की डिमांड कर रहे हैं। आम गेहूं के मुकाबले काले गेहूं से किसानों को तीन से चार गुना तक कमाई कर सकते हैं। मैंने गोबर की खाद खेतों में डाली और यही सलाह दूसरे किसानों को देता हूं। हम डीएपी और यूरिया डालकर लोगों को जहर क्यों खिलाएंं। गोबर की खाद का इस्तेमाल करने से फसल अच्छी होगी। न जमीन खराब नहीं होगी और न सेहत। भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष बोले- काले गेहूं के कई फायदे
भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष जोधाराम चौधरी ने बताया- इस क्षेत्र में काले गेहूं की खेती नहीं होती। खुडाला के एक किसान ने काले गेहूं की खेती करके किसानों को प्रेरित किया है। अब काले गेहूं को लेकर किसानों में उत्सुकता है। किसान काले गेहूं की खेती करना चाहते हैं। काला गेहूं फायदेमंद भी है। इसलिए इसकी खेती होनी चाहिए। दोस्त राकेश ठकराल ने कहा- जानकारी देकर अच्छा लगता है
रामकिशोर के मित्र राकेश ठकराल ने बताया- मैं हमेशा किसानों के हित और नवाचार की जानकारी देता हूं। ताकि पैदावार बढ़े, इनकम बढ़े, अधिकाधिक किसानों का फायदा हो। किसानों से लीक से हटकर काम करने की सलाह देता हूं। नवाचार करने के सुझाव देता हूं और मदद करता हूं। मैं चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा किसान ऑर्गेनिक खेती करें। रामकिशोर एक चाय की थड़ी पर मिले थे। उनसे मेरी बैठकर चर्चा हुई। उन्होंने मुझे कहा कि मैं खेती कर रहा हूं और मक्का बोने की तैयारी कर रहा हूं। मैंने कहा कि काले गेहूं की खेती करो। अच्छी इनकम होगी। ऑर्गेनिक खाद डालना। खरीदार तक नहीं जाना पड़ेगा, खरीदार ही खेत तक पहुंचेंगे। अब ऐसा ही हो रहा है। ——————— म्हारे देस की खेती से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… किसान ने 6 बीघा में लगाए सागवान के 2000 पौधे:85 रुपए वाले प्लांट की वैल्यू 3 करोड़ तक होगी; खिड़की-दरवाजों की रेट से आया आइडिया एक युवक ने मकान में जब सागवान के खिड़की दरवाजे लगवाने के लिए ठेकेदार से बात की तो होश उड़ गए। सागवान की लकड़ी काफी महंगी थी। यहीं से उसे आइडिया आया- क्यों न अपने खेत में सागवान का बगीचा लगाया जाए। (पढ़ें पूरी खबर)