बाड़मेर शहर के चारण समाज की पुस्तक विमोचन कार्यक्रम भास्कर न्यूज | बाड़मेर कार्लमार्क्स को समाजवाद का जनक बताया जाता हैं, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में समाजवाद की विचारधारा दुनिया को दी जबकि हकीकत में चारण समाज में उत्पन्न आद शक्ति देवल मां ने 14वीं शताब्दी में अपनी प्रजा में सामाजिक समरसता की स्थापना कर समाजवाद की स्थापना की थी। जिसका उदाहरण तत्कालीन जैसलमेर रियासत के महारावल घड़सी की ओर से 36 गांव की जागीर देना तय किया। जिसे देवल मां ने स्वीकार नहीं कर 36 गांव के लोगों को टैक्स से मुक्त करवाया। ऐसे कई उदाहरण हैं जो मां देवल ने समाज में सभी को बराबरी के अधिकार प्रदान करने के दिए। ये उद्गार रविवार को देवल भलियाई दिग्दर्सण पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसीबी जयपुर तनसिंह चारण ने मां देवल चारण समाज सेवा संस्थान के सभागार में उपस्थित साहित्यप्रेमी एवं प्रबुद्धजनों के समक्ष कहे। देवल भलियाई दिग्दर्सण पुस्तक का सम्पादन महादानसिंह बारहठ मधुवकवि भादरेश की ओर से किया गया। जिसका प्रकाशन समाजसेवी पदमदान देथा झणकली की ओर से किया गया। पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम की समस्त व्यवस्थाएं समाजसेवी तेजदान चारण खारोड़ा की ओर से की गई। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए कवि एवं लेखक बंशीधर तातेड़ ने डींगल व पिंगल काव्य को हमारी सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए कहा कि इसको सहेजने व संवारने की सबसे अधिक जिम्मेदारी चारण समाज की हैं । चारण समाज में भक्तकवि ईशरदास जैसे कवि हुए हैं जिनकी रचना हरिरस भगवत गीता के समान हैं। जिसका हिन्दी अनुवाद किया गया। ताकि हर आम व्यक्ति के पास हरिरस पहुंच सके। तातेड़ ने ईशरदास की रचनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की राज्य सरकार से मांग की हैं। कार्यक्रम की शुरूआत मां देवल बूठ भवानी के तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस अवसर पर कवि कैलाशदान झीबा की ओर से मां देवल मात ने स्वरचित काव्य रचना प्रस्तुत कर सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया। लेखक व कवि महादानसिंह बारहठ ने पुस्तक के बारे में विस्तार से बात रखी। इसके गद्य व पद्य भाग की विवेचना सरल शब्दों में रखी। सहसम्पादक पदमदान देथा ने देवल मां के छंद की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपप्रधान शिव हजारीदान, पूर्व जिलाध्यक्ष चारण समाज नरसिंहदान देथा, कार्यकारी अध्यक्ष चारण समाज तेजदान देथा खारोड़ा, देवीदान देथा खारोड़ा, कवि रिड़मलदान बारहठ भादरेश, कैलाशदान झांपली, चन्द्रदान भांडियावास उपस्थित रहे। कार्यक्रम में साहित्य एवं डिंगल भाषा के गुणीजन सहित बाड़मेर शहर एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। जिसमें तेजदान बालेवा, करणीदान भादरेश, बाबूदान चारण बींजासर, सुरेन्द्रसिंह, नीम्बदान देवल, नीम्बराज, सुमेरसिंह देवल, रिड़मलदान झांपली, प्रेमदान देथा, शक्तिदान आशिया, आवड़दान देथा, चुतरदान झणकली, स्वरूपदान गडरारोड, कवि रेवन्तदान पूषड़, नरपतसिंह, ईश्वरदान मौसेरी, खीमदान बारहठ रावत का गांव, कमलकिशोर गोयल, शक्तिदान बीठू झणकली, सेणीदान दूदाबेरी, नेणीदान देथा, हड़वन्तदान, मदनसिंह चूली, घमंडाराम कड़वासरा, गणेशदान, लखदान, नरेन्द्रसिंह, लखदान चोचरा, नरसिंहदान बालेवा उपस्थिति रहे। कार्यक्रम का संचालन मांगीदान झणकली ने किया। बाड़मेर. पुस्तक का विमोचन करते हुए अतिथि।