ध्रुवपद गायन की पुरातन परंपरा के संरक्षण और युवा पीढ़ी को इससे रूबरू करवाने के उद्देश्य से आयोजित ध्रुवपद-गायन प्रशिक्षण कार्यशाला का सोमवार को जवाहर कला केन्द्र में शुभारंभ हुआ। 21 जुलाई तक चलने वाली 15 दिवसीय कार्यशाला में राजस्थान की प्रथम ध्रुवपद-गायिका विदुषी प्रो. डॉ. मधु भट्ट तैलंग ध्रुवपद का प्रशिक्षण दे रही हैं। उद्घाटन के अवसर पर जवाहर कला केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक अलका मीणा, वरिष्ठ लेखाधिकारी बिंदु भोभरिया, कंसलटेंट प्रोग्रामिंग मैनेजर डॉ. चंद्रदीप हाड़ा, फेस्टिवल कोऑर्डिनेटर छवि जोशी मौजूद रहे। अलका मीणा ने जेकेके का प्रकाशन भेंट कर प्रशिक्षक मधु भट्ट तैलंग का सम्मान किया। कार्यशाला में लगभग 60 विद्यार्थी अत्यन्त उत्साह से भाग ले रहे हैं। अलका मीणा ने कहा कि ध्रुवपद पुरातन शास्त्रीय परंपरा है। हर उम्र के प्रशिक्षणार्थी कार्यशाला में हिस्सा ले रहे हैं, इन्हें शुरुआत से ध्रुवपद के गुर सीखने को मिलेंगे। इससे हमारी धरोहर ध्रुवपद गायन के गुर एक पीढ़ी से भावी पीढ़ी में पहुंचेंगे। डॉ. मधु भट्ट तैलंग ने बताया- कार्यशाला के प्रारम्भ में वैदिक गणपति स्तोत्र संस्कृत उच्चारण, 14 महेश्वर स्तोत्र, ध्रुवपद के परिचय, ध्रुवपद की व्याख्या एवं विशेषताएं, ध्रुवपद को साधने के लिए कोमल एवं शुद्ध स्वरों को लगाने के तरीके, आलाप एवं लयकारियों का परिचय, दुगुन से अनगुन को हाथ से लगाना, ध्रुवपद की प्रमुख तालों का हाथ पर लगाने का अभ्यास उसके रोचक तरीके एवं प्रबंध और बंदिश के परिचय से अवगत कराया गया। पखावज पर प्रतीश रावत ने संगत प्रदान की एवं तानपुरे पर दीपिका कुमावत ने संगत दी।