शहर की 45 किमी लंबी नाॅर्दन रिंग रोड कागजों से बाहर ही नहीं आ रही है। जयपुर-आगरा रोड पर बगराना से चौंप के बीच एनएचएआई द्वारा 3डी का नोटिफिकेशन नहीं करने से 5 साल में दूसरी बार भूमि अवाप्ति निरस्त हो गई। वहीं, प्रदेश की नई सरकार ने बजट में रिंग रोड का काेई प्रस्ताव नहीं रखा। इससे अगले 5 साल में भी रोड बनने पर संशय खड़ा हो गया है। बता दें कि प्रस्तावित रोड के आसपास की जमीन की खरीद-बेचान और रजिस्ट्री पर 2018 से रोक लगी है। लाेग न तो जमीन बेच पा रहे हैं और न मकान बना पा रहे हैं। वहीं, रोड का बार-बार अलाइनमेंट बदलने से मकान टूटने का डर अलग बना हुआ है। जमवारामगढ़, आमेर, जयपुर के 34 गांवों की जमीन चिह्नित हो चुकी योजना में जमवारामगढ़, आमेर और जयपुर तहसील के 34 गांवों की जमीन आ रही है। जयपुर 6, जमवारामगढ़, आमेर 14-14 गांवों में 388.35 हैक्टेयर जमीन रिंग रोड के लिए चिह्नित की है। 3ए के तहत नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है, जिसके तहत लोग न जमीन बेच सकते हैं, न भू-रूपांतरण करवा सकते हैं। “जिला प्रशासन ने रिंग रोड जमीन आवप्ति का कार्य समय पर पूरा कर दे दिया था। आगे की कार्रवाई एनएचएआई को करनी है।”
-नीलिमा तक्षक, आवप्ति अधिकारी, एडीएम 3000 करोड़ रुपए का बजट 6000 करोड़ तक पहुंचा
वर्ष 2018 में नॉर्दन रिंग रोड को आगरा रोड से दिल्ली बायपास अचरोल होते हुए चौंप तक बनाना तय हुआ था। 3000 करोड़ लागत का अनुमान था। सात साल में जमीनों की डीएलसी दरों में वृद्धि के चलते मुआवजा राशि के साथ निर्माण खर्च भी डबल हो चुका। लागत 6000 करोड़ से भी ज्यादा हो गई है।
