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250 जैन मंदिरों में महोत्सव; चातुर्मास पर आए साधु-संतों का मिला सािन्नध्य, निर्वाण लाडू चढ़ाए

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शहर के 250 से ज्यादा दिगम्बर जैन मंिदरों में रविवार को 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ का मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया गया। मंदिरों में पूजा अर्चना के विशेष आयोजन हुए। निर्वाणोत्सव मनाते हुए भगवान को निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। मंदिरों में प्रातः मंत्रोच्चार से भगवान नेमिनाथ का जलाभिषेक एवं पंचामृत अभिषेक किया गया। इसके बाद विश्व में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हुए मंत्रोच्चार के साथ शांति धारा की गई। राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि भगवान की अष्ट द्रव्य से पूजा की गई जिसमें निर्वाण काण्ड भाषा के वाचन बाद मोक्ष कल्याणक का श्लोक- सितषाढ़ अष्टमी चूरे, चारों अघातिया कूरे, शिव उज्जर्यंततें पाई, हम पूजें ध्यान लगाई… का उच्चारण करते हुए मोक्ष कल्याणक अर्घ्य एवं निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। जनकपुरी के श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि समत्व सागर महाराज व शील सागर महाराज के सािन्नध्य में व अध्यक्ष पदम बिलाला के नेतृत्व में जयकारों के बीच निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। झोटवाड़ा के श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य शशांक सागर महाराज ससंघ, बरकतनगर के श्री चन्द्रप्रभू दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि अर्चित सागर महाराज, अतिशय क्षेत्र बाड़ा पदमपुरा में मुनि महिमा सागर महाराज ससंघ के सान्निध्य में, अतिशय क्षेत्र छोटा गिरनार बापूगांव में मूलनायक भगवान नेमिनाथ का मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाकर निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। मालवीय नगर के श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सेक्टर-3, टोंक रोड पर न्यूलाइट कॉलोनी के जैन मंदिर, तारों की कूंट पर सूर्य नगर के श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, आमेर के श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सावलां जी, मंगलम आनन्दा के श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, आगरा रोड पर श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चूलगिरी, सांगानेर के अतिशय क्षेत्र मंदिर संघीजी सहित अन्य दिगम्बर जैन मंदिरों में धार्मिक आयोजन हुए। वहीं शिवजीगोधा की नसियां में तीर्थंकर नेमीनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक मनाया गया। इस दौरान शिखर चंद कासलीवाल, सुधीर बिलाला, आशीष काला, नरेन्द्र छाबड़ा, जिनेंद्र जैन, पदम जैन सहित अन्य लोग मौजूद रहे। श्रीकृष्ण व जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ चचेरे भाई थे- हरिवंश पुराण में उल्लेख पदम बिलाला के नेतृत्व में जयकारों के बीच निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। झोटवाड़ा के श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य शशांक सागर महाराज ससंघ, बरकतनगर के श्री चन्द्रप्रभू दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि अर्चित सागर महाराज, अतिशय क्षेत्र बाड़ा पदमपुरा में मुनि महिमा सागर महाराज ससंघ के सान्निध्य में, अतिशय क्षेत्र छोटा गिरनार बापूगांव में मूलनायक भगवान नेमिनाथ का मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाकर निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। मालवीय नगर के श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सेक्टर-3, टोंक रोड पर न्यूलाइट कॉलोनी के जैन मंदिर, तारों की कूंट पर सूर्य नगर के श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, आमेर के श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सावलां जी, मंगलम आनन्दा के श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, आगरा रोड पर श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चूलगिरी, सांगानेर के अतिशय क्षेत्र मंदिर संघीजी सहित अन्य दिगम्बर जैन मंदिरों में धार्मिक आयोजन हुए। वहीं शिवजीगोधा की नसियां में तीर्थंकर नेमीनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक मनाया गया। इस दौरान शिखर चंद कासलीवाल, सुधीर बिलाला, आशीष काला, नरेन्द्र छाबड़ा, जिनेंद्र जैन, पदम जैन सहित अन्य लोग मौजूद रहे। पंडित प्रद्युम्न जैन शास्त्री ने बताया कि श्रीकृष्ण एवं तीर्थंकर नेमिनाथ न केवल समकालीन युग पुरुष थे, बल्कि पैतृक परंपरा से भाई भी थे। सनातन धर्म में इन दोनों को अपना-अपना आराध्य देव स्वीकारा है। श्रमण संस्कृति ने भगवान नेमिनाथ को अध्यात्म की सर्वोच्च विभूति तीर्थंकर तथा वासुदेव श्रीकृष्ण को महान कर्मयोगी एवं भविष्य का तीर्थंकर मानकर दोनों की आराधना की है। श्रीकृष्ण व तीर्थंकर चचेरे भाई थे। जैन धर्म के भविष्य में बनने वाले चौबीस तीर्थंकरों में से श्रीकृष्ण तीसरे तीर्थंकर बनेंगे। ये उल्लेख हरिवंश पुराण एवं पदम पुराण में मिलता है।

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