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राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि जीवन में 365 दफा यह प्रयास कीजिए कि अगर कोई हमसे नफरत करता है तो वह प्रेम में बदल जाए, पर प्रेम को एक भी ऐसा मौका मत दीजिए कि वह कभी नफरत में बदल सके। जीभ पर चोट लगने से ज्यादा इस बात पर गौर कीजिए कि जीभ से किसी को चोट न लगे। क्योंकि जीभ पर लगी चोट सात दिन में ठीक हो जाएगी, पर जीभ से लगी चोट को ठीक करने में सत्तर दिन भी कम पड़ सकते हैं। यह बात गुरुवार को सत्संग समिति की ओर से टाउन हॉल में आयोजित तीन दिवसीय प्रवचन माला के समापन पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि खुद का समीक्षण करके ही स्वयं का रूपांतरण किया जा सकता है। दूसरों की आत्मकथाएं पढ़कर दस पन्ने में ही सही, आप अपनी भी आपबीती आत्मकथा लिख लीजिए।
खुद की आत्मकथा पढ़ने से आप में चमत्कारी परिवर्तन आएगा। जीवन को प्रेम, सम्मान और मधुरता से भरिए। जिनसे आप प्यार करते हैं, उनकी देखभाल कीजिए, उन्हें सम्मान दीजिए और उनके प्रति रहने वाली जिम्मेदारी को निभाइए। लोगों से कीजिए प्यार और चीजों का इस्तेमाल संत ने कहा कि लोगों से प्यार कीजिए और चीजों का इस्तेमाल। बात तो तभी बिगड़ती है, जब हम चीजों से तो प्यार करने लगते हैं और लोगों का इस्तेमाल। संबंध व्यक्ति से जोड़िए, व्यक्ति के स्तर से नहीं। स्तर का ग्राफ कभी ऊपर चढ़ सकता है तो कभी नीचे लुढ़क सकता है। स्तर से संबंध जोड़ने वाले अवसरवादी होते हैं। इंसान का जीवन छह तार वाले गिटार की तरह इंसान की पहचान अच्छी बातों से नहीं, अच्छे कर्म से होती है। अच्छी बातें तो बुरे लोग भी कर लेते हैं, पर अच्छे कर्म तो केवल अच्छे लोग ही कर सकते हैं। इंसान का जीवन छह तार वाले गिटार की तरह है। जरा सोचिए कि शरीर, मन, आत्मा, घर, व्यापार और समाज में से ऐसा कौन-सा तार है, जिसे आप अब तक नजरअंदाज कर रहे थे।
सारे तारों को साधिए और उनमें संतुलन बैठाइए, आप सफलता के संगीत का पूरा आनंद ले सकेंगे। मुस्कुराता हुआ चेहरा रखिए आप अवसरवादी बनकर स्वार्थ मत साधिए वरन मित्र बनकर सुख-दुख और मान-अपमान के हर लम्हे में कंधे से कंधा मिलाइए। हमेशा मुस्कुराता हुआ चेहरा रखिए। फोटोग्राफर को यह कहने का मौका ही मत दीजिए, स्माइल प्लीज’। भगवान ने इंसान के भाग्य में ऐसा कोई दिन लिखा ही नहीं है, जिसमें खुशी के दो पल न हों। संत ने कहा कि सख़्त चेहरा चट्टान की तरह होता है और मुस्कुराता चेहरा गुलाब की तरह। आप खुद ही निर्णय कीजिए कि आप गुलाब होना चाहते हैं या चट्टान ? तय है औरों को खुशियां वही बांट सकेगा जो स्वयं खुशमिजाज रहेगा। आयोजन के दौरान संचालन सुमन सोनी ने किया। श्रद्धालुओं ने परमात्मा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर प्रवचन की शुरुआत की। कार्यक्रम में विधायक अशोक कोठारी, सागरमल पनगड़िया, महावीरसिंह चौधरी, सुरेंद्रसिंह सुराणा, सहित शहर के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। राष्ट्रसंत आज शुक्रवार को हैदराबाद चातुर्मास के लिए भीलवाड़ा से मंगल प्रस्थान करेंगे।

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