प्रदेश के स्कूलों में नया शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है। राज्य के स्कूलों को संस्था प्रधानों के लिए अभी इंतजार करना होगा। राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में पदोन्नति प्रिंसिपल के अधिष्ठापन पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई अब 22 जुलाई को होगी। दरअसल, व्याख्याता से वाइस प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल से प्रिंसिपल पदों पर पदोन्नत हुए शिक्षा अधिकारियों में वरिष्ठता को लेकर विवाद चल रहा है। मामला न्यायालय में होने के कारण कोर्ट ने पदोन्नत 3856 प्रिंसिपल की पोस्टिंग को फिलहाल रोक दिया है। राज्य के 4459 उच्च माध्यमिक स्कूलों में संस्था प्रधान के पद रिक्त हैं। प्रिंसिपलों के रिक्त पदों को भरने के लिए शिक्षा विभाग ने 26 मई को वाइस प्रिंसिपल से प्रिंसिपल पदों पर डीपीसी करवाई थी। रिव्यू और नियमित डीपीसी में 4224 वाइस प्रिंसिपल का प्रिंसिपल पदों पर चयन हुआ। शिक्षक रेसला के प्रदेशाध्यक्ष गिरधारी गोदारा ने न्यायालय प्रकरण में प्रभावी पैरवी कर जल्द से जल्द काउंसलिंग करवाकर पदोन्नत प्रिंसिपल को पोस्टिंग देने की मांग की है। 25 फीसदी स्कूलों में प्रिंसिपल के पद रिक्त :राज्य के स्कूलों में नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है। लेकिन राज्य के स्कूलों में प्रिंसिपलों के 25 फीसदी पद रिक्त चल रहे हैं। डीपीसी होने के बाद भी प्रतिस्थापन नहीं मिलने से अनेक स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल ही प्रिंसिपल का काम देख रहे हैं। शिक्षा विभाग में प्रिंसिपल के 17785 पद स्वीकृत हैं। जिसमें 13326 प्रिंसिपल ही कार्यरत हैं। शेष खाली है। प्रिंसिपल पदों के सभी रिक्त पद डीपीसी से भरने का प्रावधान है। वरिष्ठता को लेकर यह है विवाद सीधी भर्ती के व्याख्याता की वरिष्ठता को लेकर विवाद है। आरोप है कि व्याख्याताओं की वरिष्ठता सूची में नियमों की पालना नहीं की गई। पिछले 50 साल से राज्य सरकार की ओर से व्याख्याताओं की वरिष्ठता का निर्धारण लोक सेवा आयोग द्वारा जारी नियुक्ति की अनुशंसा तिथि के आधार पर किया जाता रहा है। जबकि अब पदस्थापन की तिथि के आधार पर किया गया। जिससे अंग्रेजी विषय के व्याख्याता वरिष्ठता में पिछड़ गए। इसी वरिष्ठता के आधार पर व्याख्याता से वाइस प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल से प्रिंसिपल पदोन्नत हुए हैं।