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बूंदी के जरखोदा इलाके में हाल ही में बड़े बजट से बनी सड़क पहली बारिश में ही जर्जर हो गई। मानसून की शुरूआती सीजन में ही सड़क पर दरारें आ गईं, जगह-जगह से डामर उखड़ गया। यही हालात इंटरलॉकिंग सड़क के भी हुए। बरसात के चलते इंटरलॉकिंग के जोड़ खिसकने लगे तो कई जगह वह धंस गई। ग्रामीणों ने पहले की सड़कों के घटिया निर्माण को लेकर अधिका​रियों को चेताया था, लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। अब वहीं अधिकारी जांच की बात कर रहे हैं। 4 करोड़ की लागत से बनी थी सड़क
प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत नैनवां इलाके में 4 करोड़ रुपए की लागत से जरखोदा से रेटोदा तक साढे़ आठ किलोमीटर की लंबाई की सड़क बनाई गई थी। पहली बारिश ने ही इस सड़क के घटिया निर्माण की पोल खुल गई। सड़क पर बड़ी-बड़ी दरारें आ गई, वहीं कई जगहों पर सड़क टूटने के साथ धंस गई। सड़क के हाल देखकर ग्रामीणों ने रोष जताया है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण के दौरान जिम्मेदार अधिकारियों को घटिया निर्माण की शिकायत की थी, लेकिन विभागीय लीपा-पोती में शिकायत को दरकिनार कर दिया। पहले मॉनिटरिंग नहीं की, अब जांच के निर्देश
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सड़क निर्माण के समय जिम्मेदार अधि​कारियों ने मॉनिटरिंग नहीं की। ग्रामीणों ने घटिया निर्माण की शिकायत की तो कार्रवाई के नाम पर मौन साध लिया गया। वहीं, नैनवां प्रधान पदम नागर ने सड़क का निरीक्षण कर दोबारा निर्माण कराने की बात कही है। जिला कलेक्टर अक्षय गोदारा ने संबंधित अधिकारियों को सड़क को लेकर जांच करने के निर्देश दिए हैं। पीडब्ल्यूडी नैनवां के एक्शन मुकेश ने बताया कि रोड का भी कुछ हिस्सा टेस्टिंग के लिए रखा है। अगर रोड वहां से टूटा है तो दिखाएंगे अभी रोड का काम पूरा नहीं हुआ है। सड़क बनाने वाले ठेकेदार सड़क के डैमेज होने के पीछे भारी बरसात को दोषी मान रहे हैं। जबकि क्षेत्र में फिलहाल भारी बारिश नहीं हुई है। 49 लाख रुपयों की लागत से बनी इंटरलॉकिंग में दरारें
जरखोदा पंचायत के फतेहगंज में पीडब्ल्यूडी की ओर से 49 लाख रुपए की लागत से बनाई इंटरलॉकिंग सड़क पहली बारिश में ही धंस गई। कई जगह पर इंटरलाक की ईंट में दरारें आ गई। घटिया निर्माण की हालत यह है कि ईटों के नीचे सीमेंट गिट्टी की जगह मिट्टी निकली। ग्रामीणों की शिकायत के बाद नैनवां प्रधान मौका स्थिति देखी। निर्माण विभाग के अधिकारी के सामने डैमेज हुए हिस्से की ईंटे निकाली तो ईटों के नीचे सीमेंट गिट्टी की ग्रेवल के बदले ​मिट्टी निकली। जिसे देखकर अधिकारी बगले झांकने लगे। यही नहीं कई जगहों पर इंटरलॉकिंग सड़क में गड्ढे हो गए। ग्रामीणों में नाराजगी, शिकायत पर नहीं हुई कार्रवाई
सड़क निर्माण के समय ग्रामीणों ने स्थानीय अधिकारियों से लेकर उच्च स्तर तक घटिया निर्माण की शिकायत की थी। इसके बावजूद सड़क की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ। इसी का नतीजा है कि पहली बरसात में ही सड़क उखड़ गई। सड़क निर्माण के समय मॉनिटरिंग होती तो यह नौबत नहीं आती। लंबे इंतजार के बाद तो ग्रामीणों को सड़क की सौगात मिली और वह भी घटिया निर्माण की भेंट चढ़ गई।

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