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4 माह में वीआईपी नंबरों के लिए वाहन मालिकों ने खर्च किए ‌ 31 लाख

अगर आप सोचते हैं कि लोग सिर्फ महंगी कारों पर ही पैसा खर्च करते हैं, तो जरा ठहरिए। भरतपुर में लोगों ने सिर्फ खास नंबर पाने के लिए लाखों रुपए खर्च कर दिए। जी हां, बीते चार महीनों में भरतपुर जिले के 183 वाहन मालिकों ने अपनी पसंद के वीआईपी नंबर खरीदने के लिए राजस्थान परिवहन विभाग को कुल 31 लाख रुपए चुकाए। इनमें से दो नंबर तो इतने खास निकले कि इनकी कीमत सुनकर आप चौंक जाएंगे। इनमें पहला RJ05-UD-0018 और दूसरा RJ05-CF-0008 है। दोनों की बोली 1.53-1.53 लाख रुपए में लगी। 0008 नंबर गणेश नगर निवासी जीतेंद्र सिंह और 0018 नंबर शैलेष कुमार ने खरीदा। इस संबंध में जिला परिवहन अधिकारी अभय मुदगल ने बताया कि वाहन स्वामियों ने वीआईपी और खास नंबरों का क्रेज बढ़ा है। इस वर्ष चार माह में 183 रजिस्ट्रेशन बिके हैं, जिनकी कीमत करीब 31 लाख रुपए है। वरिष्ठ परिवहन निरीक्षक शिवराम यादव​ के अनुसार 1.53-1.53 लाख रुपए में बिके दो वीआईपी नंबर बिके। वहीं, वाहन मालिकों ने 82,500, 63 हजार और 42 हजार रुपए में एक-एक नंबर खरीदा। इसके जिले के 14 वाहन मालिकों ने अपनी पसंद के 14 वाहनों के नंबर प्रत्येक 33 हजार रुपए में लिया। इसके अलावा दो नंबर 30-30 हजार रुपए में, 10 रजिस्ट्रेशन नंबर 27-27 हजार रुपए में, 13 वाहनों के नंबर 22-22 हजार रुपए में, 39 वाहन स्वामियों ने अपनी पसंद का नंबर लेने के लिया। इसके लिए प्रत्येक ने 16,500 विभाग में जमा कराए। वहीं, 5 नंबरों के लिए 15-15 हजार रुपए, 34 वाहनों के लिए 11-11 हजार रुपए, 18 नंबरों के लिए 10-10 हजार रुपए और 43 नंबरों के लिए 5-5 हजार रुपए खर्च किए गए। राजस्थान परिवहन विभाग की ओर से वीआईपी और पसंदीदा नंबरों की नीलामी ऑनलाइन प्रक्रिया से की जाती है। वाहन मालिक eauction.rajasthan.g ov.in पर जाकर बोली लगा सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है, इसके बाद नंबरों की सूची देख कर मनपसंद नंबर चुनना होता है। तय न्यूनतम राशि से शुरू होकर ऊंची बोली लगती है। सबसे अधिक बोली लगाने वाला नंबर का मालिक बन जाता है। भुगतान के बाद नंबर वाहन के रजिस्ट्रेशन में जुड़ जाता है। उल्लेखनीय है कि शहर के कारोबारियों पर स्कूटी से लेकर कई कारों पर 1100 , कुछ पर 2000 और कई लोग अपनी गाड़ियों पर 0786 नंबर लेने के लिए लाखों रुपए खर्च कर देते हैं। ये हैं नियम… एक बार नंबर खरीदने पर वह किसी और को नहीं दिया जाता।

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