NEET की परीक्षा दोबारा नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई, मंगलवार को पांचवीं सुनवाई में यह आदेश दिया। CJI ने कहा, ‘पूरी परीक्षा में गड़बड़ी होने के पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं।’
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘अगर जांच के दौरान कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ऐसी स्थिति में उसे एडमिशन नहीं मिलेगा।’
अदालत ने NEET से जुड़ी 40 याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली और अंतिम फैसला सुरक्षित रख लिया है। फैसला कब सुनाएगी, यह नहीं बताया है। NEET की काउंसलिंग 24 जुलाई से शुरू हो रही है।
CJI ने कहा- हम पेपर लीक के ठोस सबूत के बिना रीएग्जाम का फैसला नहीं दे सकते हैं। हो सकता है कि CBI जांच के बाद पूरी तस्वीर ही बदल जाए, लेकिन आज हम किसी हालत में यह नहीं कह सकते कि पेपर लीक पटना और हजारीबाग तक सीमित नहीं है।



सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई को सिलेसिलेवार पढ़ने के लिए नीचे के ब्लॉग से गुजर जाएं…
अपडेट्स
याचिकाकर्ता के वकील पर नाराज हुए CJI, कहा- मैं आपको वॉर्निंग देता हूं
सुप्रीम कोर्ट में NEET-UG पेपर लीक मामले में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और वरिष्ठ वकील मैथ्यूज नेदुम्परा के बीच बहस हो गई। CJI ने नेदुम्परा को बाहर निकालने के लिए सिक्योरिटी बुलाने तक के लिए कह दिया। दरअसल, एक याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील नरेंद्र हुड्डा अपना पक्ष रख रहे थे। तभी नेदुम्परा ने कहा कि मैं कुछ कहना चाहता हूं। CJI ने कहा, ‘रुकिए, मिस्टर हुड्डा के बाद।’ नेदुम्परा बोले लेकिन मैं यहां सबसे सीनियर हूं। तभी CJI नाराज हो गए।
CJI: मिस्टर नेदुम्परा मैं आपको वॉर्निंग देता हूं। आप इस तरह उठकर गैलरी में नहीं जा सकते। इस कोर्ट का इंचार्ज मैं हूं कोई सिक्योरिटी को बुलाओ।
नेदुम्परा: मैं जा रहा हूं।
CJI: आपको ये कहने की भी जरूरी नहीं है। मैं पिछले 24 साल से न्याय व्यवस्था देख रहा हूं। कोर्ट में वकील इस तरह पेश नहीं आते।
नेदुम्परा: मैं 1979 से देख रहा हूं।
CJI: मुझे आपके खिलाफ नोटिस जारी करना पड़ सकता है।
सॉलिस्टर जनरल: ये कोर्ट की अवमानना है।
नेदुम्परा ने कहा, ‘मैं जा रहा हूं। इसके बाद वे चले जाते हैं।’ हालांकि, कुछ देर बाद वे लौट आते हैं। माफी मांगने के बाद फिर से बहस शुरू कर देते हैं।
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CJI : विवादित सवाल को लेकर जो डाउट था वो अब क्लियर हो चुका है। NTA ने ग्रेस मार्क्स वाले 1563 स्टूडेंट्स के लिए दोबारा एग्जाम कंडक्ट करा लिया है। अब भी अगर किसी की कोई शिकायत हो तो वो संविधान के आर्टिकल 226 के तहत हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं।
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CJI : कोर्ट ने केस में NTA, केंद्र सरकार, और CBI से हलफनामा मांगा था। हमने केस की सुनवाई 4 दिनों तक की। CBI के एडिशनल डायरेक्टर मिस्टर कृष्णा का पक्ष भी सुना। हमनें सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है। इस तरीके के केस में जहां फैसले का असर 23 लाख बच्चों पर पड़े, वहां फैसला जल्द से जल्द सुनाना होगा।
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CJI : याचिकाकर्ता की दलील है कि पेपर लीक सिस्टम के लेवल पर हुआ था और अब सिर्फ रीएग्जाम ही एक रास्ता है।
CJI ने फैसला पढ़ना शुरू किया
CJI: इस केस में कोर्ट से इन पॉइंट्स के आधार पर रीएग्जाम का आदेश देने का निवेदन किया जा रहा है –
1. क्वेश्चन पेपर लीक हुआ और एग्जाम में सिस्टम के लेवल पर गड़बड़ी हुई
2. एग्जाम 4750 सेंटर्स पर 571 शहरों और विदेश में 14 शहरों में हुआ था।
3. 24 लाख स्टूडेंट्स ने 1 लाख 80 हजार सीटों के लिए परीक्षा दी।
4. कोर्ट को ये बताया गया कि 50% परसेंटाइल स्कोर करने का ये मतलब नहीं है कि आपकी सीट पक्की।
5. एग्जाम में 180 सवाल होते हैं और हर गलत जवाब के लिए 1 नंबर की नेगेटिव मार्किंग की जाती है।
NEET केस पर सुनवाई पूरी
NEET केस पर सुनवाई पूरी हो गई है। CJI ने अपना फैसला पढ़ना शुरू कर दिया है।
ब्रेक के बाद सुनवाई दोबारा शुरू हुई
मेघालय के याचिकाकर्ता के वकील : इन कैंडिडेट्स का सेंटर पर टाइम वेस्ट हुआ और सेंटर कोऑर्डीनेटर ने भी ये बात मानी है। CJI : SG, क्या आपने इसकी जांच के लिए कोई एक्सपर्ट कमेटी बनाई ? SG : जी हां, पूर्व AIIMS डायरेक्टर को इस एक्सपर्ट कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
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बेंच ने 5 मिनट का शॉर्ट ब्रेक लिया।
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नेदुम्पारा : जस्टिस पारदीवाला, मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूं। माना की मेरी बेइज्जती हुई लेकिन मेरे मन में किसी के खिलाफ कुछ नहीं है। NEET कैंसिल कर देना चाहिए।
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याचिकाकर्ता के वकील : अगर आपके पास 10,000 या 20,000 लोग अब आ जाएं तो आप क्या करेंगे। ऐसे में मेरे क्लाइंट का क्या होगा? एग्जाम में सिस्टम के लेवल पर गड़बड़ी हुई है। आंसर-की मिलाने पर इसके मार्क्स 650 हैं, लेकिन फाइनल स्कोर 111 है। NTA ने अब तक OMR शीट नहीं दी है।
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नेदुम्पारा : एग्जाम कैंसिल करने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं बचा है। ये मुद्दा 20 मिनट में ही खत्म हो जाना चाहिए था। संसद में भी NEET मुद्दा है। ये प्रशासन से जुड़ा मुद्दा है और अब तक सरकार को इस पर ठोस कदम उठाना चाहिए था।
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नेदुम्पारा : सॉरी। मुझे माफ कर दीजिए। मैंने कुछ गलत नहीं किया है। हालांकि, मैं ये चर्चा सुनकर चौंक गया हूं। हम यहां क्रिमिनल ट्रायल कर रहे हैं और CBI से चर्चा कर रहे हैं। किसी आम आदमी से पूछ लीजिए कि लीक हुआ है या नहीं। रीएग्जाम के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं बचा है। इससे परेशानी हो सकती है, लेकिन ये परेशानी कम करने का एकमात्र तरीका है।
नेदुम्पारा : मैं आपको माफ करता हूं। आपको इस बात का अंदाजा भी नहीं है कि आपने मुझे नीचा दिखाया है।
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हेगड़े : ये साफ है कि 4 मई को स्टूडेंट्स को पेपर मिल चुका था। उन्होंने पेपर के सही जवाब याद किए और फिर भी फेल हो गए। पेपर लीक के लिए लंबी टाइमलाइन जरूरी है, कम समय में ये हो ही नहीं सकता। जब उस आरोपी को अरेस्ट भी नहीं किया था, तब उसका वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में वह कह रहा है कि पेपर ट्रंक यानी पेटी में जाने से पहले ही लीक हो चुका है। अब पेपर लीक में संजीव मुखिया सबसे बड़ा नाम है और अब भी वह फरार है।
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जजों की बेंच चर्चा कर रही है।
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सीनियर वकील हेगड़े : CBI की रिपोर्ट के मुताबिक पेपर लीक सुबह 8:02 बजे से 9:23 के बीच हुआ। 10 से 12 बजे के बीच स्टूडेंट्स ने पेपर पढ़ा और जवाब याद किए। लेकिन, क्या बच्चों के पेरेंट्स दो घंटे के लिए 30 से 75 लाख रुपए दे सकते हैं? ऐसा नहीं हो सकता।
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हुड्डा : जिन्होंने एग्जाम दिया उन सभी स्टूडेंट्स के पास AADHAR कार्ड तो होगा ही। सेंटर बदलने के लिए डॉक्यूमेंट्स क्यों नहीं मांगे गए? एग्जाम की शुचिता बुरी तरह प्रभावित हो चुकी है और रीएग्जाम होना चाहिए।
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हुड्डा : कुछ सेंटर्स ने बेहतरीन परफॉर्म किया है। कोटा और सीकर में भी ये ट्रेंड दिख रहा है।
क्वेश्चन पेपर ई-रिक्शा से ले जा रहे हैं।
SG : मैंने ये फोटो पहले ही जमा कर दी है। ये OMR शीट हैं।
हुड्डा : न्यूजपेपर रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए – OMR शीट्स खुले ट्रक में नहीं बल्कि कपड़े के नीचे ढंककर लाई गई थी।
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हुड्डा : CBI ने अपनी जांच रिपोर्ट में ‘अब तक’ शब्द का प्रयोग किया है। इससे ये समझना काफी है कि अभी जांच चल रही है।
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हुड्डा : SBI की जगह केनरा बैंक के पेपर क्यों दिए गए ? प्रिंसिपल ने कहा है कि एग्जाम शुरू होने में देरी नहीं हुई है। केनरा बैंक का पेपर दिया गया था। जब उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि NTA को ये जानकारी मिल चुकी है तो NTA ने कह दिया कि केनरा बैंक का पेपर ही सॉल्व करने दें। वीडियो रिकॉर्डिंग अभी देख सकते हैं।
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हुड्डा : अगर पेपर लीक होने से 1000 लोगों को भी फायदा हुआ है, तो भी रीएग्जाम होना चाहिए। अगर हम NEET को पेशेंट मान लें, तो उसे मल्टी ऑर्गन फेलियर हुआ और उसमें जान नहीं बची है।
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हुड्डा : पूरी दुनिया हमें देख रही है। सब जानते हैं कि पेपर लीक हुआ है। दोषियों के मोबाइल अब नहीं मिले हैं और एग्जाम की शुचिता बुरी तरह प्रभावित हुई है। कोर्ट को सिर्फ आंकड़े दिखाए जा रहे हैं।
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नेदुम्परा : मैं 1979 से देख रहा हूं।
CJI : मुझे आपके खिलाफ नोटिस जारी करना पड़ सकता है।
SG : ये कोर्ट की अवमानना है।
नेदुम्परा : मैं जा रहा हूं।
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नेदुम्परा : मैं कुछ कहना चाहता हूं।
CJI : रुकिए, मिस्टर हुड्डा के बाद।
नेदुम्परा : पर मैं यहां सबसे सीनियर हूं।
CJI: मिस्टर नेदुम्परा मैं आपको वॉर्निंग देता हूं। आप इस तरह उठकर गैलरी में नहीं जा सकते। इस कोर्ट का इंचार्ज मैं हूं कोई सिक्योरिटी को बुलाओ।
नेदुम्परा : मैं जा रहा हूं।
CJI : आपको ये कहने की भी जरूरी नहीं है। मैं पिछले 24 साल से न्याय व्यवस्था देख रहा हूं। कोर्ट में वकील इस तरह पेश नहीं आते।
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हुड्डा : SG जिस कॉन्फिडेंस से यह कह रहे हैं कि पेपर लीक सीमित जगहों पर हुआ उस पर हम भरोसा नहीं कर सकते। मान लीजिए संजीव मुखिया गिरफ्तारी के बाद ये कह दें कि उसने 200 जगहों तक पेपर भेजा था तब तक बहुत देर हो जाएगी। अगर कोर्ट रीएग्जाम का फैसला न दे तो बच्चों के साथ अन्याय होगा।
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हुड्डा : गैंगस्टर संजीव मुखिया पेपर लीक का मुख्य आरोपी है। पेपर लीक हुआ है और व्हाट्सएप के जरिए फैला भी है। ये कह रहे हैं कि इससे सिर्फ हजारीबाग और पटना के लोगों को फायदा हुआ क्योंकि आरोपियों ने एजेंसी को यही बयान दिया है।
CBI ने जब कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी, तो ये कहा कि पेपर लीक के बाद कोई मोबाइल बरामद नहीं हुआ है। हम ये कैसे कह सकते हैं कि हजारीबाग और पटना तक ही लीक सीमित रहा?
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CJI : पुरानी किताब में जो गलत जवाब लिखा है वो किस एडिशन में बदला गया ?
SG : 2021 में।
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SG : ये ट्रिक क्वेश्चन था। क्वेश्चन गलत था, ये नहीं कह सकते।
CJI : देखिए ऑप्शन 2 – दोनों स्टेटमेंट सही हैं। ऑप्शन 4 – स्टेटमेंट 1 सही है लेकिन स्टेटेमेंट 2 गलत है। दोनों बातें एक साथ सही कैसे हो सकती हैं ?
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SG : हां, लेकिन विवाद की स्थिति में दोनों पहलुओं को देखना होगा।
CJI : ऐसा कैसे हो सकता है? अगर आप यहां दोनों आंसर्स को देखें, दोनों ऑप्शन एक-दूसरे से अलग हैं।
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SG : MCQ क्वेश्चन के दो सही ऑप्शन थे। पुरानी किताबों में गलत आंसर दिया गया है।
CJI : आपके इंस्ट्रक्शन मैनुअल में लिखा है कि लेटेस्ट किताबें फॉलो करें?
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SG : IIT मद्रास के डायरेक्टर की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया क्योंकि वो NTA की गवर्निंग बॉडी के मेंबर होते हैं। वह सभी पॉलिसी डिसिशन में भी शामिल होते हैं।
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CJI : IIT दिल्ली की रिपोर्ट हमारे सामने है। अगर हम ये कहें कि ऑप्शन 4 सही है लेकिन ऑप्शन 2 टिक करने वाले सभी लोगों को नेगेटिव् मार्क्स नहीं मिलेंगे। आप NTA के डायरेक्टर से बात कर लें।
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याचिकाकर्ता की एडवोकेट तन्वी दुबे : मैं रैंक 1 की तरफ से दलील पेश कर रही हूं। उसने 720/720 स्कोर किया है। अगर उसने क्वेश्चन 19 छोड़ दिया होता तो उसे 4 नंबर कम मिले होते। अब आंसर की में ऑप्शन 4 को सही बताया गया है तो इसे कुल 5 नंबर कम मिलेंगे। इन्फॉर्मेंशन बुलेटिन में ये कहीं भी नहीं लिखा है कि पुरानी NCERT किताबों के हिसाब से आंसर करने पर मार्क्स नहीं मिलेंगे।
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SG : अब कोर्ट के सामने ये सवाल है कि क्या किसी ऐसे आरोप की वजह से 23 लाख कैंडिडेट्स को सजा दी जानी चाहिए जो अब तक साबित तक नहीं हो सका है?
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SG : तन्वी सरवाल Vs CBSE के केस में कोर्ट ने एग्जाम कैंसिल करने का फैसला लिया था। ये साबित हो गया था कि 44 स्टूडेंट्स को पेपर लीक होने से फायदा हुआ है।
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SG : CCTV फुटेज के हिसाब से ये साबित होता है कि पेपर 8:02 मिनट से 9:23 के बीच चोरी हुआ था।
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SG ने जांच एजेंसी की रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा : 5 मई को ओएसिस स्कूल में सुबह 7:53 बजे कंट्रोल रूम में दो बॉक्स की इमेज CCTV फूटेज में दिख रही है। लेकिन, एग्जाम से पहले क्वेश्चन पेपर बांटने के लिए जब ये बॉक्स दोबारा खोले जाने थे तो ये अपनी जगह पर नहीं थे, बल्कि थोड़ी दूरी पर रखे थे।
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SG : IIT की रिपोर्ट के मुताबिक ये समस्या सिर्फ 4 जगहों पर है।
CJI : हमनें IIT रिपोर्ट देख ली है।
जस्टिस मनोज मिश्रा : क्या टेलीग्राम पर आए पेपर और स्टूडेंट्स को दिए गए असली पेपर की जांच कर ली गई है? क्या दोनों पेपर का स्ट्रक्चर पूरी तरह सेम है, फॉण्ट में क्या कोई गड़बड़ी है?
SG : टेलीग्राम पर आया पेपर वही है जो एग्जाम में सॉल्व करने के लिए दिया गया था।
CJI : क्या इसकी पुष्टि के लिए कोई फॉरेंसिक रिपोर्ट है ?
SG : फिलहाल नहीं।
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SG : इस पर 7 मई को वीडियो अपलोड हुए लेकिन इसे ऐसे दिखाया गया जैसे की ये अकाउंट 5 मई को बना लिया गया था। कोर्ट इस बात पर सहमत हो जाएगा कि यहां तक हम साइंटिफिक जांच के बाद ही आए हैं।
प्लीज कोर्ट के उस जजमेंट पर गौर करें जहां एक ऑल इंडिया स्कैम में जांच करने वाली एजेंसी ने ये रिकॉर्ड किया है कि किस तरह पेपर लीक हुआ और बाकी राज्यों तक पहुंचा।
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SG : इन 155 लोगों में सिर्फ 2 ने 573 और 581 मार्क्स हासिल किए हैं। बाकी सभी को लगभग 111 नंबर ही मिले।
CJI : टेलीग्राम पर जो वीडियो आए उसका क्या?
SG : ये डॉक्यूमेंट देखिए। इसमें इस बात का जिक्र है कि कैसे डिजिटल मीडिया के जरिए देश का माहौल बिगाड़ा गया?
CJI : ये अकाउंट 6 मई को बनाया गया था।
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SG : उन्हें ये भी नहीं पता था कि पेपर कैसे जलाएं, वो बिलकुल नौसिखिया थे।
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SG: मैं 20-25 मिनट से ज्यादा समय नहीं लूंगा। अब तक हमें मिली जानकारी में पेपर लीक से सिर्फ 155 लोगों को फायदा हुआ है।
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CJI : अगर हम री-टेस्ट का ऑर्डर देते हैं तो ऐसे में स्टूडेंट्स को ये जानकारी अभी से देनी होगी ताकि वो प्रिपरेशन कर सकें। अगर नहीं, तो हमें ये जानकारी भी देनी होगी। हम उन्हें इस तरह बीच में नहीं छोड़ सकते।
लंच के बाद सुनवाई शुरू
लंच ब्रेक के बाद CJI की बेंच ने NEET केस की सुनवाई शुरू कर दी है।
अब लंच के बाद सुनवाई होगी
NEET केस पर सुनवाई लंच तक के लिए रोक दी गई है। लंच ब्रेक के बाद 2 बजे से दोबारा सुनवाई शुरू होगी।
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CJI: पहले हम ये मान रहे थे कि सॉल्वर्स के पास पेपर सॉल्व करने के लिए 45 मिनट का समय था। लेकिन, अब ऐसा लग रहा है कि सॉल्वर्स के पास पेपर सुबह 8:30 बजे से मौजूद था।
NTA: सॉल्वर्स के बयान के मुताबिक पेपर उन तक 9:24 पर पहुंचा।
CJI: लेकिन, फिलहाल हमारे पास मुख्य आरोपी का फोन नहीं है, जिससे ये बात साबित हो सके।
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CJI: कंट्रोल रूम में जहां पेपर थे वहां ये लोग करीब डेढ़ घंटे तक मौजूद थे ?
जस्टिस पारदीवाला: कंट्रोल रूम की सिक्योरिटी कौन देखता है?
CJI: आप ये कैसे साबित करेंगे कि ये पेपर्स किसी और को व्हाट्सएप से नहीं भेजे गए थे? सॉल्वर्स फिलहाल हिरासत में हैं लेकिन सवाल ये है कि पेपर लीक होकर और लोगों तक पहुंचा कैसे?
NTA: आप अधजले क्वेश्चन पेपर में टिक मार्क्स के निशान देखें? ये ओएसिस स्कूल में उस लड़की के क्वेश्चन पेपर से अलग हैं, जिसने शिकायत की थी।
जस्टिस पारदीवाला: सॉल्वर कंट्रोल रूम के अंदर करीब 1 घंटे 20 मिनट तक था। वो पेपर लेकर अपने साथियों को भेजता है और फिर वो मिलकर पेपर सॉल्व करते हैं।
NTA: इसे दोबारा स्कैन किया।
CJI: इस स्कैन की गई कॉपी को हजारीबाग और पटना भेजी गई क्या? लेकिन, हम ये कैसे कह सकते हैं कि ये पेपर किसी और को नहीं भेजे गए? फिलहाल हमारे पास कोई फॉरेंसिक डेटा नहीं है नहीं तो हमें डिजिटल फुटप्रिंट देखने को मिलते।
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CJI: अब हम ये जानते हैं कि हजारीबाग से पेपर लीक हुआ। कब हुआ ये अभी स्पष्ट नहीं है। लीक हजारीबाग से हुआ और व्हाट्सएप पर मैसेज पटना में भेजा गया था। फॉरेंसिक डेटा से ये भी पता चल जाएगा कि मैसेज कहां तक भेजे गए?
कंट्रोल रूम का लॉक किसकी कस्टडी में होता है?
NTA: दो दरवाजे होते हैं। एक दरवाजे को सबके सामने लॉक किया जाता है। चाबी सेंटर सुपरिटेंडेंट को दे दी जाती है। पीछे वाला दरवाजा खुला रखा जाता है। 7:53 मिनट पर मुख्य दरवाजा बंद किया गया और 8:02 बजे पीछे वाले दरवाजे से एक व्यक्ति अंदर गया। ये 9:23 मिनट पर कमरे से बाहर आए।
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SG: बिहार पुलिस ने कुछ स्टेटमेंट्स रिकॉर्ड कीं। इसके बाद केस EOU को सौंप दिया गया।
CJI: कल हमने अनुराग यादव की स्टेटमेंट पढ़ी थी। क्या कोई मोबाइल फोन पकड़ा गया?
NTA के वकील: इसका फॉरेंसिक टेस्ट किया जाना बाकी है। इससे पता चलेगा कि ये मोबाइल पटना में गया भी था या नहीं?
CJI: कल मैंने कहीं पढ़ा था कि मोबाइल फोन नदी से निकाला गया था।
SG: जी हां, मोबाइल पानी से बरामद किया गया।
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CJI: इसका मतलब आपके पास ये साबित करने के लिए कुछ नहीं है कि ये साजिश बिहार और झारखंड के बाहर भी रची गई?
NTA: जी नहीं
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SG: जांच के बाद जले हुए क्वेश्चन पेपर मिले। हमारे पास ओएसिस स्कूल का CCTV फूटेज है। सुबह 8:02 बजे एक आदमी ट्रक के साथ अंदर आता है। वो ये पेपर सॉल्वर्स को देता है- वहां 8 सॉल्वर्स थे। हर सॉल्वर को 25 सवाल दिए गए थे। ये मोबाइल लेकर नहीं चलते ताकि पेपर किसी भी ऐसे व्यक्ति के हाथ न लगे जिसने पैसे न दिए हों। इन्होंने सवाल-जवाब याद किया और क्वेश्चन पेपर जला दिया। इसके बाद एक लड़की ने पेपर के साथ छेड़छाड़ करने की शिकायत की।
जस्टिस पारदीवाला: इनविजलेटर कहां थे?
CJI: अगर आप किसी भी जले हुए प्लास्टिक को दोबारा सील करेंगे तो उसपर निशान होंगे। ये योजना उन्होंने महिनों पहले बनाई होगी। फिर ऐसा सिर्फ एक सेंटर पर एक छोटी सी जगह पर ही क्यों हुआ? ह्युमन नेचर हमेशा ऐसा होता है, जो ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाना चाहता है?
SG: वो ऐसे लोगों तक नहीं पहुंचना चाहते थे, जो इसके पैसे न दे सकें।
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CJI: हजारीबाग में 33 में से सिर्फ 1 ने 622 स्कोर किया है। सक्सेस रेट- 3%। पटना में 637 में से सिर्फ 35 ने 577 से ज्यादा स्कोर किया।
हुड्डा: इन्होंने 56000 सीटों के हिसाब से रेफरेंस पॉइंट तैयार किया है। अगर किसी के मार्क्स 622 हैं भी, तो भी इससे कुछ साबित नहीं होता है।
SG: हमने 56000 को रेफरेंस पॉइंट लिया क्योंकि पूरी दलील इस पर ही आधारित थी।
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CJI: क्या सेंटर बदलने के बाद 33 स्टूडेंट्स हजारीबाग, 37 पटना और 24 गोधरा आए थे?
SG: गोधरा से किसी भी कैंडिडेट को एडमिशन नहीं मिल रहा है। सीकर का सक्सेस रेट – 19.22% है और पिछले साल ये 19.19% था। 2022 में 24% था। हर साल इसमें गिरावट ही हुई है।
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CJI: केनरा बैंक के क्वेश्चन पेपर बांटने की परमिशन सिटी कोऑर्डीनेटर को किसने दी?
SG: ये ह्यूमन एरर था। हम 24 लाख कैंडिडेट्स के लिए एक साथ परीक्षा करा रहे हैं। अथॉरिटी देने के लिए परमिशन लेटर डिजिटली आता है, इसे प्रिंट करने के बाद बैंक को वापस भेजना होता है। ये पूरी प्रोसेस CCTV में रिकॉर्ड होती है।
इस प्रोसेस में बैंक और सेंटर दोनों जगहों से कुछ गलतियां हुईं। दोनों बैंक्स को ये जानकारी देनी चाहिए थी कि किसे पेपर रिलीज करना है और इसे रिलीज नहीं करना है। मैं कोर्ट से कुछ नहीं छुपाऊंगा, यहां हमसे गलती हुई।
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CJI: कितने कैंडिडेट्स को केनरा बैंक के पेपर कितने कैंडिडेट्स को मिले?
SG: इनमें दो कैटेगरीज हैं। कुछ सेंटर्स ने इसी क्वेश्चन पेपर से एग्जाम कंडक्ट किया गया, जबकि कुछ सेंटर्स ने पेपर बदला और फिर दोबारा SBI के क्वेश्चन पेपर लेकर आए। दोनों पेपर्स का डिफिकल्टी लेवल बराबर है।
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CJI: हम ग्रेस मार्क्स वाले 1563 कैंडिडेट्स का सक्सेस रेट देखना चाहते हैं।
SG: ये हमने कल तैयार किया था। 1563 में से 816 ने रीएग्जाम दिया। इन कैंडिडेट्स ने अब भी काफी अच्छा स्कोर किया है, जबकि इनके ग्रेस मार्क्स माइनस कर दिए गए थे। हम किसी कैंडिडेट को रीएग्जाम देने को फोर्स तो नहीं कर सकते।
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SG: कोटा में लाल बहादुर शास्त्री सेंटर में- 476 कैंडिडेट्स ने एग्जाम दिया था। इनमें से 56000 रैंक लाने वालों में 28 हैं। इसमें रिजर्व्ड कैटेगरी की गिनती नहीं है। ये ट्रेंड पिछले कई सालों से ऐसा ही रहा है।
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SG: गोधरा से किसी भी कैंडिडेट को एडमिशन नहीं मिल रहा है। सीकर का सक्सेस रेट- 19.22% है और पिछले साल ये 19.19% था। 2022 में 24% था। हर साल इसमें गिरावट ही हुई है।
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CJI: क्या सिटी सेंटर बदलने के लिए किसी डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं होती?
SG: नहीं, ऐसा कोई सिस्टम नहीं है। हम ये चेक नहीं करते कि किसी कैंडिडेट ने सेंटर सेंटर करने की रिक्वेस्ट क्यों की है?
जस्टिस पारदीवाला: ये रिक्वेस्ट आप तक कब तक आती हैं?
CJI: आप डोमिसाइल भी नहीं मांगते?
SG: नहीं, अगर आप कोटा में पढ़ाई कर रहा हूं और वहां सेंटर चाहता हूं तो ऐसे डोमिसाइल नहीं मांगा जाता। सेंटर बदलने से कुछ भी साबित नहीं होता। सेंटर बदलने वाले 14,000 स्टूडेंट्स में सक्सेस रेट सिर्फ 6% है।
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SG: दोबारा रजिस्ट्रेशन विंडो खोलने के बारे में मैं ये कहना चाहूंगा कि हमें उन छात्रों से एप्लिकेशन मिले थे जो किसी वजह से रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाए थे। 24 लाख कैंडिडेट्स में से 14,000 लोगों ने सेंटर बदलने की रिक्वेस्ट की थी। ये स्टूडेंट्स 4020 सेंटर्स में फैले हुए हैं। अगर किसी खास सेंटर से मदद मिल रही होती तो ये सभी कैंडिडेट्स वहां होते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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SG: बिहार, पटना में इस साल सक्सेस रेट – 5.53% है। लेकिन ये पिछले कई सालों से ऐसा ही रहा है। हर साल कुछ 2 से 3% बदलाव होता है।
हजारीबाग में इस साला सक्सेस रेट – 4.61% है। ये कहा जा रहा था कि एक कैंडिडेट एग्जाम देने बेलागावी गया था क्योंकि कथित तौर पर यहां मॉस चीटिंग की संभावना थी। यहां सक्सेस रेट – 2.5% है।
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हुड्डा: NEET के जरिए 5 अलग-अलग कोर्सेज में एडमिशन होते है। इनकी सीटों की कुल संख्या लगभग 3 लाख है। इनमें एडमिशन के लिए 12 लाख कैंडिडेट क्वालिफाई होते हैं।
CJI: क्या सभी कोर्सेज के लिए कट ऑफ 50 परसेंटाइल है?
SG: जी हां
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SG: बिहार, पटना और बेलगावी में सक्सेस रेट देखें। सक्सेस रेट पिछले सालों जैसा ही है। ऐसी धारणा बनाई गई जैसे कोई छात्र बेलगावी गया हो इसका मतलब कि वो भ्रष्ट। अब सक्सेस रेट देखें- बिहार (पटना).- 49.22%, झारखंड हजारीबाग- 47.28% है।
CJI: इसमें सरकारी कॉलेज में 56000 और प्राइवेट कॉलेज 52000 सीटें शामिल हैं।
SG: आपको पैन इंडिया एग्जाम की बात जस्टिफाई करने के लिए मैंने फिलहाल रिजर्व्ड सीटों की संख्या कम नहीं की।
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SG: राजस्थान में कोटा, गुजरात में राजकोट, तमिलनाडु में नम्माकल- इन जगहों पर पूरी अर्थव्यवस्था छात्रों पर केंद्रित है। हर दिन मॉक क्वेश्चन पेपर दिए जाते हैं, जब बच्चा वास्तविक परीक्षा में बैठता है तो वास्तव में यह उनकी 200वीं परीक्षा होती है।
चाहे मैं UPSC या NEET की तैयारी कर रहा हूं, मैं वहीं रहूंगा और तैयारी करूंगा। ऐसा कई सालों से हो रहा है, लेकिन अभी भी पिछले साल से कोई चिंताजनक ट्रेंड नहीं देखा गया है। मैं यह कहना चाहता था कि सीकर, कोटा का उदाहरण दूसरे पक्ष को सही निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद नहीं कर सकता है। ये देश के कोचिंग हब के स्टूडेंट्स हैं।
जैसी पढ़ाई मुझे गुजरात के जामनगर में मिलेगी, उससे अच्छी पढ़ाई कोटा या सीकर में मिलेगी।
SG ने सिटी वाइज सक्सेस रेट की टेबल CJI को सौंपी।
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SG: यह बताने के लिए जरूरी सबूत है कि सिर्फ कट ऑफ से ज्यादा स्कोर करने का यह मतलब नहीं है कि आपको एडमिशन मिल जाएगा।
CJI: वे कट-ऑफ से ठीक ऊपर हैं।
SG: मैं कुछ कहना चाहता हूं- कोटा, राजकोट जैसे कई सेंटर्स हैं जो प्रतियोगी परीक्षाओं के केंद्र हैं। अखबारों में जिस शब्द का प्रयोग किया जा रहा है- ‘फैक्ट्री’, यह शायद वेब सीरीज ‘कोटा फैक्ट्री’ से लिया गया है।
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SG: ये रेश्यो सिटीवाइज सबसे ज्यादा से सबसे कम के क्रम में बनाया गया है।
CJI: कितने शहर हैं ?
SG: 569- इसके अलावा दुबई, मस्कट, सिंगापुर जैसे कुछ अन्य देशों में भी हमारे सेंटर हैं
CJI: दोहा, कुवैत?
SG: हम उन्हें शहरों की तरह ट्रीट करते हैं, क्योंकि वहां एक ही सेंटर होता है। सबसे कम क्वालिफिकेशन रेश्यो- 8.6% छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में है।
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SG: 12.5 लाख क्वालिफाइड हैं, सीटें केवल 1 लाख 8 हजार हैं। सालों पहले प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटा की कुछ सीटें होती थीं। उन पर ऐसे लोग भी एडमिशन लेते थे, जिन्होंने एग्जाम क्वालिफाई नहीं किया हो। वो सिर्फ 50 मार्क्स या 70 मार्क्स लाते थे इसलिए यह परसेंटाइल का सिस्टम लाया गया। गुजरात-भावनगर में कुल 5800 लोगों ने एग्जाम दिया। 164 से से ज्यादा स्कोर करने वाले 4660 है। ऐसे में पासिंग परसेंटेज 80.34% है।
SG ने सिटीवाइज क्वालिफिकेशन रेशियो भी कोर्ट में जमा किया।
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CJI: क्या कट ऑफ हमेशा 50% परसेंटाइल होता है ?
SG: जी हां, पिछले साल 137 था- जो ये बताता है-
- इस साल छात्रों की संख्या बढ़ी है।
- छात्र अधिक मेहनती थे।
- सिलेबस कम होने की वजह से भी स्कोर ज्यादा रहा।
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SG: परसेंटाइल का भी कॉन्सेप्ट है। जो गलत नैरेटिव चल रहा है उससे युवा छात्र बेवजह तनाव में आ रहे हैं।
अगर राजकोट जैसे सेंटर्स के लिए 30 से ज्यादा उम्मीदवार हैं तो धारणा यह रहती है कि यदि आप कट ऑफ से ज्यदा स्कोर करते हैं या क्वालिफाइड हैं, तो आपको अपनी पसंद के कोर्स में एडमिशन मिल जाएगा।
परसेंटाइल वह आंकड़ा है जो हमें रिजल्ट आने के बाद मिलता है। कंप्यूटर सिस्टम में रिजल्ट फीड किया जाता है और हम कमांड करते हैं कि हम 50% परसेंटाइल चाहते हैं। ऐसे हमनें 164 का आंकड़ा दिया।
24 लाख छात्रों में से 12.5 लाख 164 स्कोर से नीचे होंगे – इन्होंने एग्जाम क्वालिफाई नहीं किया और 12.5 लाख ने 164 से ज्यादा स्कोर किया। ये काउंसलिंग एडमिशन प्रोसेस में शामिल हो सकते हैं।
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SG: सबसे बड़ा टेस्ट तो यही है कि अगर मेरे पास पेपर है, तो बड़ी संख्या में लोग परीक्षा में टॉप करेंगे।
CJI: क्या हमारे पास हजारीबाग से आने वाले कोई स्टूडेंट है?
SG: मैं आपको सब कुछ दिखाऊंगा। हमने यह देखने के लिए एक एक्सरसाइज है कि 2022, 2023, 2024 में उन सेंटर्स की स्थिति क्या है।
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SG: हमें आपके विवेक को आंकड़ों से संतुष्ट करना चाहिए, किसी सोशल मीडिया या टेलीग्राम वीडियो के माध्यम से नहीं। टॉप 100 छात्र 95 सेंटर्स, 56 शहरों और 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में फैले हुए हैं।
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SG: आप एक ऐसे मुद्दे की जांच कर रहे हैं जिसमें लगभग 24 लाख छात्र शामिल हैं। कुल सेंटर 4750 हैं। एक नेशनल लेवल एग्जाम की जांच के लिए ये आंकड़ा सही होगा।
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हुड्डा: वे कह रहे हैं कि हम परीक्षा की लाइव मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सवाई माधौपुर में उनका सिस्टम काम नहीं कर रहा है, वे कहते हैं कि सोशल मीडिया से हमें ढाई घंटे की परीक्षा के बाद पता चला कि यह क्या हुआ है। उनका तर्क पूरी तरह से बेकार है कि उनके पास CCTV मॉनिटरिंग है।
SG: हमने 2-5 सेंटर्स को लेकर आशंका जताई है। यदि शक सच भी है तो यह उस सेंटर के लिए होगा। मैं उस पर अलग से बात करूंगा।
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CJI: सवाई माधौपुर में कितने स्टूडेंट्स थे?
हुड्डा: 120, गाजियाबाद के लिए वो मना कर रहे हैं
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हुड्डा: फिर उन्होंने फैसला लिया कि उसी दिन शाम 6-9 बजे तक एक और परीक्षा होगी।
CJI: तो आप क्या कह रहे हैं कि उन्होंने एक ही क्वेश्चन पेपर रखा लेकिन मीडियम अलग-अलग था।
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SG: (गाजियाबाद के लिए) कोई दलील नहीं है।
CJI: इसका पता कब चला?
हुड्डा: सवाई माधौपुर में ढाई बजे सोशल मीडिया पर पता चला। यह रिकॉर्ड पर उनका हलफनामा है। दोपहर 2 बजे परीक्षा शुरू हुई, क्वेश्चन पेपर दिए गए और छात्रों ने शिकायत की कि यह मेरा मीडियम नहीं है। NTA को उसी दिन 4:30 बजे पता चला।
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CJI: शुरू में केनरा बैंक का गलत पेपर दिया।
हुड्डा: दो सेंटर्स- सवाई माधौपुर और गाजियाबाद सेंटर्स पर क्वेश्चन पेपर अलग-अलग मीडियम ऑफ लैंग्वेज में दिया गया था।
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हुड्डा: एक ही क्वेश्चन पेपर सॉल्व करने से एग्जाम की शुचिता फिर खत्म हो गई है। क्योंकि किसी को एक बार 3 घंटे 20 मिनट मिलते हैं, इन लोगों को एक ही दिन में 3 घंटे 20 मिनट दो बार मिल रहे हैं, जबकि क्वेश्चन नहीं बदले।
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याचिकाकर्ताओं के वकील नरेंद्र हुड्डा: यहां उन्हें क्वेश्चन पेपर 20 मिनट देर से मिला। वे उस क्वेश्चन पेपर को पहले 3 घंटे और फिर अगले 3 घंटे तक तक अपने पास ही रखे रहे, ऐसे में ये 6 घंटे तक पेपर उनके पास था।
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CJI: जैसा कि मिस्टर हुड्डा ने कहा कि एग्जाम में सिस्टम के लेवल पर कुछ गड़बड़ियां हैं और पूरी परीक्षा फिर से करनी होगी
जिन उम्मीदवारों की कुछ व्यक्तिगत शिकायतें हो सकती हैं, हम उन्हें हाईकोर्ट में जाने के लिए छोड़ सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि इस अदालत का अधिकार व्यक्तिगत शिकायतों पर गौर करना शुरू करना है। हम उन मामलों को अलग कर देंगे।
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याचिकाकर्ता के वकील: एग्जाम में रैंकिंग कम होने की शिकायत की।
SG: इस बात की जांच की जा रही है कि क्या देश भर में कोई लीक हुआ था या क्या चोरी की कोई घटना हुई है या नहीं ?
वह सवाल, जिसकी जांच कराई गई

सुप्रीम कोर्ट में NEET पर हुई सुनवाई में अब तक क्या-क्या हुआ..


अब तक 7 राज्यों में 53 गिरफ्तारियां हुईं
CBI ने पेपर लीक के मुख्य आरोपी – शशिकांत पासवान को 20 जुलाई को पटना से गिरफ्तार किया। ये NIT जमशेदपुर से BTech ग्रेजुएट है। इसके अलावा राजस्थान के भरतपुर मेडिकल कॉलेज से दो MBBS स्टूडेंट्स को भी गिरफ्तार किया गया है। सेकेंड ईयर स्टूडेंट कुमार मंगलम बिश्नोई और फर्स्ट ईयर स्टूडेंट दीपेंद्र शर्मा 5 मई को हजारीबाग में मौजूद थे। ये सॉल्वर का काम कर रहे थे।
इसी दिन NEET UG का एग्जाम था। ये पेपर चुराने वाले पंकज कुमार के लिए सॉल्वर का काम कर रहे थे। पंकज को पहले गिरफ्तार किया जा चुका है। अब तक देश के 7 राज्यों से 53 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। वहीं, CBI ने 6 अलग-अलग मामलों में कुल 21 लोगों को गिरफ्तार किया है।


NEET के जिन सेंटर्स पर गड़बड़ी हुई, वहां टॉपर नहीं:रिजल्ट जारी; CBI ने BTech ग्रेजुएट समेत 3 को गिरफ्तार किया, ये सॉल्वर गैंग से जुड़े

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA ने शनिवार, 20 जुलाई को NEET UG एग्जाम का सिटी और सेंटरवाइज रिजल्ट जारी कर दिया।
NEET पेपर लीक में पहचान बदलकर मेडिकल कॉलेज पहुंची CBI:डॉक्टरी कर रहे 2 स्टूडेंट गिरफ्तार, भरतपुर में किराए के कमरे में रह रहे थे

NEET पेपर लीक मामले में CBI ने भरतपुर (राजस्थान) के जगन्नाथ पहाड़िया मेडिकल कॉलेज के दो स्टूडेंट को गिरफ्तार किया है। दोनों स्टूडेंट ने डमी कैंडिडेट बनकर हजारीबाग (झारखंड) में 5 मई को पेपर दिया था।