करौली के मण्डरायल रोड स्थित जिला परिवहन कार्यालय में 65 लाख रुपए की लागत से बना ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पिछले चार साल से उपयोग में नहीं आ पा रहा है। राजस्थान स्टेट रोड डेवलपमेंट एंड कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड ने इस ट्रैक का निर्माण कर परिवहन विभाग को सौंप दिया था। इस अत्याधुनिक ट्रैक में पार्किंग, एच, 8 और पैरेलल ड्राइविंग की टेस्टिंग प्रणाली विकसित की गई है। इससे ड्राइवरों के कौशल की निष्पक्ष जांच की जा सकती है। ट्रैक का मुख्य उद्देश्य मानवीय हस्तक्षेप को कम करना और पारदर्शिता बढ़ाना था। जिला परिवहन अधिकारी धारासिंह मीना के अनुसार ट्रैक के संचालन के लिए चारदीवारी निर्माण हेतु 15 लाख रुपए की अतिरिक्त राशि की आवश्यकता है। इस संबंध में उच्च अधिकारियों को कई बार पत्र भेजे जा चुके हैं। ट्रैक पर आवश्यक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, सेंसर और सॉफ्टवेयर भी नहीं लगाए गए हैं। चारदीवारी के अभाव में ट्रैक को नुकसान पहुंच रहा है। शौचालयों में तोड़फोड़ की जा रही है। दीवारों में दरारें आ गई हैं। वर्तमान में कार्यालय में प्रतिदिन 15 से 20 ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जा रहे हैं, लेकिन ड्राइविंग टेस्ट की प्रक्रिया मात्र एक औपचारिकता बनकर रह गई है। यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया तो ट्रैक की स्थिति और भी खराब हो सकती है।