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820 ग्राम की प्रीमेच्योर बेबी ने जीती जिंदगी की जंग:28वें हफ्ते में जन्मी थी बच्ची, 67 दिनों तक अलग अलग समस्याओं से किया संघर्ष

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समय काफी पहले जन्मी शिशु के जीने की जिद और डॉक्टर्स के अथक प्रयासों की बदौलत सिर्फ 820 ग्राम की शिशु ने आखिर स्वस्थ होकर अपने घर लौटी। शहर के इटर्नल हॉस्पिटल में 28वें हफ्ते में जन्मी शिशु ने 67 दिनों तक अलग अलग समस्याओं से संघर्ष किया और अंत में 1.67 किलो का वजन लेकर अपने घर लौटी। हॉस्पिटल के सीनियर नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. विवेक गुप्ता ने यह सफल केस किया।
डॉ. विवेक गुप्ता ने बताया कि मां को हाइपरटेंशन होने और बच्चेदानी से फ्ल्यूड के लीक होने के कारण, गर्भावस्था के 28वें हफ्ते में ही डिलीवरी करनी पड़ी। जन्म के समय शिशु का वजन मात्र 820 ग्राम था। फेफड़े पूरी तरह विकसित न होने के कारण शिशु सांस नहीं ले पा रही थी। ऐसे में हमने तत्परता दिखाते हुए उसे वेंटीलेटर पर रखा और फेफड़ों के विकास के लिए आवश्यक दवाएं दीं।
शिशु को नली के माध्यम से मां का दूध देना शुरू किया गया, लेकिन कमजोर आंतों के कारण उसे इन्फेक्शन हो गया। डॉक्टर्स ने इसका भी तुरंत इलाज किया। इलाज के दौरान शिशु को हल्का ब्रेन हैमरेज भी हुआ, जिसे तुरंत मैनेज किया गया। इसके अलावा, नए खून का निर्माण न हो पाने के कारण शिशु को चार बार खून चढ़ाया गया।
धीरे-धीरे शिशु का वजन बढ़ने लगा और उसे चम्मच से मां का दूध पिलाना शुरू किया गया। जब वह स्वस्थ हो रही थी, तभी उसे साइटोमेग्लो वायरस से इन्फेक्शन हो गया, जिससे वह सुस्त हो गई और खून में प्लेटलेट्स भी तेजी से कम होने लगे। डॉक्टर्स ने इस इन्फेक्शन का भी टीम वर्क से सफलतापूर्वक इलाज किया।
67 दिन तक हॉस्पिटल में संघर्ष करने के बाद, शिशु का वजन 1.67 किलो हो गया और उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया। इटर्नल हॉस्पिटल की को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा और सीईओ डॉ. प्राचीश प्रकाश ने कहा कि इस जटिल केस में, डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ ने अद्वितीय धैर्य और समर्पण का परिचय दिया, जिससे इस नन्हीं जान को नया जीवन मिला। शिशु के माता-पिता और पूरे परिवार ने हॉस्पिटल स्टाफ का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने न केवल शिशु की जान बचाई बल्कि उसे एक स्वस्थ जीवन जीने का मौका दिया।

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