जयपुर में बारिश ने प्रशासन की पोल खोलकर रख दी है। मुहाना मोड़ से छीपों की तलाई तक जाने वाली पुलिया पर नगर निगम ने नाले से कचरा तो निकाला, लेकिन उसे वहीं छोड़ दिया। इससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नाले से निकाला गया कचरा मुहाना मोड़ से लेकर गोपाल जी की तलाई के सामने तक फैला हुआ है। कचरे की बदबू से लोग परेशान हैं। पुलिया पर कीचड़ जम गया है। इससे लोगों को रास्ता पार करने में मुश्किल हो रही है। यहां लोग नाले पर बनी पुलिया की साइड दीवार पर चढ़कर रास्ता पार कर रहे हैं। जो किसी हादसे को न्योता दे सकता है। इससे हमेशा जान का खतरा बना रहता है। नाले से निकला कचरे का ढेर इसी इलाके तक सीमित नहीं है। ये कचरे का ढेर गोपाल जी की तलाई के सामने और मुहाना मोड़ तक नजर आता है। नाले की दीवार पर चढ़कर पुलिया पार कर रहे, कभी भी हो सकता है हादसा स्थानीय निवासी राधा कृष्ण ने बताया- यहां जिम्मेदार देखते ही नहीं। दो दिन पहले नाले के कुछ हिस्से से कचरा निकाला गया था। लेकिन कचरे को नालों से निकालकर यहीं छोड़ दिया गया। इसकी बदबू से स्थानीय लोगों की पीड़ा को समझने वाला कोई नहीं है। हालात यह है कि नालों पर जो पुलिया बनीं हुई है। बच्चों को स्कूल जाने में हो रही परेशानी कीचड़ से गुजर रही छात्रा यामिनी शर्मा ने बताया- मुहाना मोड पर गंदगी कीचड़ से स्टूडेंट्स को भी स्कूल आने जाने में परेशानी हो रही है। स्कूल आने जान में कीचड़ के कारण जूते और स्कूल बैग तक खराब हो जाते हैं। सुबह मैं और मेरा भाई स्कूल गए थे। कुछ लोग पुलिया पर बनी दीवार पर चढ़कर रास्ता पार कर रहे है, ऐसे में यदि किसी की चक्कर आ गए तो वे नाले में भी गिर सकते हैं। कोई बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है। सचिवालय विहार जेडीए कॉलोनी में टूटी सड़कें वहीं सचिवालय विहार जेडीए कॉलोनी में ज्यादातर सड़कें टूटी नजर आईं। बारिश का जमा पानी सड़क पर हुए गड्ढों में भरा है। टूटी सड़कें और पानी भराव के कारणदोपहिया वाहन चालक भी गिर गए। साथ ही स्थानीय लोगों ने कहा- यहां पानी भरने से मच्छरों और अन्य मौसमी बीमारियों की समस्या भी बढ़ी है। सचिवालय विहार समिति के अध्यक्ष शिवराज सिंह राजावत ने बताया- यह सचिवालय विहार जेडीए अप्रूव्ड कॉलोनी है। यहां सड़कें जगह-जगह टूटी हुई है। रोड पर इतनी बड़े गड्ढे हो रहे है कि वाहनों के आवाजाही मुश्किल है। हमने जेडीए में कई बार शिकायत की, लेकिन अधिकारियों ने सुध नहीं ली। उन्होंने बताया- यहां करीब 800 भूखंड आवंटित है। यहां 80 फीसदी से ज्यादा बसावट हो गई है। लेकिन हमारी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है।