कैडर पुनर्गठन की लंबित मांग को लेकर प्रदेश के करीब 20 हजार न्यायिक कर्मचारियों ने शुक्रवार से सामूहिक रूप से अवकाश पर जाने का निर्णय लिया है। जिससे प्रदेशभर की 1638 अधीनस्थ अदालतों के ताले नहीं खुलेंगे। राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के बैनर तले कर्मचारी पिछले चार दिन से जयपुर में अदालत परिसर (सेशन कोर्ट) में धरना दे रहे हैं। वहीं संघ के प्रदेशाध्यक्ष भूख हड़ताल पर बैठे हैं। लेकिन सरकार की ओर से किसी तरह की सुनवाई नहीं होने पर संघ ने शुक्रवार से अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय लिया है। दो साल से लंबित है मांग
कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेंद्र नारायण जोशी ने बताया कि न्यायिक कर्मचारियों की मंत्रालयिक और स्टेनोग्राफर कैडर के पुनर्गठन की मांग पिछले दो साल से लंबित है। इसके लिए हाईकोर्ट की फुल बैंच ने 6 मई 2023 को प्रस्ताव पास करके राज्य सरकार को भिजवा दिया था, लेकिन सरकार ने दो साल बाद भी इसे लागू नहीं किया। भेदभाव कर रही सरकार
जोशी ने बताया कि इससे न्यायिक कर्मचारियों को प्रमोशन के कम मौके मिल रहे हैं और उनका आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। जबकि राज्य कर्मचारियों में इन दोनों संवर्गों का पुनर्गठन तुरंत कर दिया गया था। लेकिन न्यायिक कर्मचारियों के साथ सरकार भेदभाव कर रही है। न्यायिक कर्मचारियों ने मई में भी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी, लेकिन भारत-पाक तनाव के बीच आंदोलन को स्थगित कर दिया था। इसके बाद 14 जुलाई से एक बार फिर न्यायिक कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू किया है। ये खबर भी पढ़ें कैडर पुनर्गठन की मांग, न्यायिक कर्मचारियों ने दी चेतावनी:कहा- मांग नहीं मानने पर करेंगे भूख हड़ताल, आज जयपुर में हुई बैठक में लिया निर्णय न्यायिक कर्मचारियों ने मांगों को लेकर एक बार फिर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। जयपुर में आज प्रदेश न्यायिक कर्मचारी संघ की बैठक प्रदेशाध्यक्ष सुरेन्द्र नारायण जोशी की अध्यक्षता में हुई। बैठक में निर्णय लिया कि यदि राज्य सरकार जल्द ही न्यायिक कर्मचारियों के कैडर पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू नहीं करती है तो 14 जुलाई से जयपुर मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की जाएगी। (पढ़ें पूरी खबर)
