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बांसवाड़ा के गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय की ओर से बीएड-इंटिग्रेटेड बीएड कॉलेज की पिछले महीने में हुई परीक्षाओं में 6 से ज्यादा पेपर पाठ्यक्रम से बाहर आए। परीक्षार्थी इससे सकते में हैं। दावा है कि हिंदी ऐच्छिक का तो पूरा पेपर ही पाठ्यक्रम से बाहर आया। शिकायत के बाद यह पेपर नए सिरे से कराने की मांग है। केंद्रों पर परीक्षार्थियों की लगातार शिकायतों पर विश्वविद्यालय ने जांच कमेटी बैठाई है। गौरतलब है कि बीएड और बीएड इंटिग्रेटेड कोर्सेज के विश्वविद्यालयी एग्जाम 15 जून को प्रारंभ हुए थे। आखिरी पेपर 28 जुलाई को है। इनके दो पारियों में करीब 225 पेपर बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों के 17 केन्द्रों पर कराए जा रहे हैं। कॉलेजों में पढ़ा रहे विषय विशेषज्ञों का दावा है कि अब तक हुए प्रश्न-पत्रों में से तृतीय वर्ष के राजनीति विज्ञान विषय के पहले पेपर में तो 68 अंकों प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर के आए। इसी तरह बीए-बीएड द्वितीय के राजनीति विज्ञान विषय के पहले और दूसरे पेपर में क्रमश: 24 और 54 अंक के प्रश्न आउट ऑफ सिलेबस रहे। इनके अलावा द्वितीय वर्ष के ही प्राचीन भारतीय संस्कृति भाग-2 के पेपर में 48 और हिंदी साहित्य भाग दो के पेपर में 54 अंक के प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर से पूछ लिए गए। कुछ सेंटर्स से यह भी पता चला कि बीए बीएड के संस्कृत भाग ‘अ’ में आठ अंकों के 4, पार्ट ‘ब’ में 16 और पार्ट ‘स’ में 2 प्रश्न 12-12 नंबर के आउट ऑफ़ सिलेबस आए। इससे 100 नंबर के पेपर में से कुल 48 नंबर के प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर के थे। ऐच्छिक हिंदी का पेपर तो पूरा ही पाठ्यक्रम से बाहर होने का दावा किया जा रहा है। दोबारा पेपर या बोनस अंक पर संशय पेपर अभी चल ही रहे हैं, लेकिन पाठ्यक्रम से बाहर प्रश्न पूछे जाने पर परीक्षार्थियों में संशय के हालात हैं। हालांकि विश्वविद्यालय की ओर से जांच कराकर उसी अनुपात में राहत देने की बात कही जा रही है, लेकिन बोनस अंक ज्यादा होने पर पढ़ने वाले छात्रों के लिए नुकसान और नहीं पढ़ने वालों को फायदा होगा। ऐसे में 60 फीसदी या उससे पूरा पेपर ही आउट ऑफ सिलेबस प्रमाणित होता है तो छात्रहित में दोबारा परीक्षा कराने की भी संभावना है। इनका कहना है जीजीटीयू के परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनोज पंड्या ने बताया- केंद्राधीक्षकों से परीक्षार्थियों की कुछ प्रश्न-पत्र से संबंधित परिवेदनाएं प्राप्त हुई हैं। प्रकरण की संवीक्षा के लिए सक्षम स्तर से विषय अनुसार गठित विशेषज्ञों की समिति की अनुशंसा अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

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