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राजस्थान क्राइम फाइल्स के पार्ट-1 में आपने पढ़ा कि कैसे जयपुर में सास-ससुर ने अपनी प्रेग्नेंट बेटी दिव्या (परिवर्तित नाम) के सामने दामाद सिविल इंजीनियर आशीष (परिवर्तित नाम) का मर्डर करा दिया। आरोपी विजय कुमार (परिवर्तित नाम) और रानी देवी (परिवर्तित नाम) अपने बेटी-दामाद दिव्या-आशीष के घर उनसे मिलने का बहाना कर घुसे थे। इस दौरान उनके साथ आए एक शख्स ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर आशीष की हत्या कर दी। उन्होंने अपनी बेटी को भी किडनैप करने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए और उन्हें भागना पड़ा। अब पढ़िए आगे की कहानी… इस केस में पुलिस के सामने कई बड़े सवाल थे… इन सवालों के जवाब के लिए आरोपियों का पकड़ा जाना बेहद जरूरी था। जयपुर पुलिस ने दिव्या के पिता विजय कुमार और उसकी मां रानी देवी को पकड़ने के लिए कई जगह दबिश दी। जयपुर, सीकर, लोसल, नागौर के डीडवाना, कुचामन, लाडनूं, जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, दिल्ली और हरियाणा में स्थित उनके रिश्तेदारों के यहां छापा मारा, लेकिन दोनों का कोई सुराग नहीं लगा। जिस कार से भागे, वो नागौर के डीडवाना में मिली आशीष के मर्डर के 2 दिन बाद पुलिस को वो कार मिल गई, जिससे विजय कुमार और रानी देवी उन दो लोगों के साथ भागे थे। ये कार नागौर के डीडवाना में मिली थी। पड़ताल के दौरान दिव्या के सगे भाई राकेश (परिवर्तित नाम) से पुलिस ने पूछताछ की तो उसने बताया कि आशीष का मर्डर करने के बाद विजय कुमार और रानी देवी डीडवाना आ गए थे। डीडवाना में वो लोग 10 मिनट तक रुके थे। इस दौरान विजय कुमार ने राकेश को बताया था कि आशीष का काम तमाम कर दिया गया है। इसके बाद वे चले गए थे। पुलिस को राकेश की कॉल डिटेल से ये भी पता चल गया था कि वो मर्डर से पहले और बाद तक लगातार अपने मम्मी-पापा के टच में था। पुलिस ने 19 मई को इस केस में सबसे पहले राकेश को गिरफ्तार कर लिया। 7 दिन बाद सास-ससुर सहित 4 गिरफ्तार, शूटर गिरफ्त से दूर राकेश से पूछताछ में पुलिस को आरोपियों के बारे में काफी अहम सुराग मिले। आखिरकार मर्डर के 7 दिन बाद 24 मई को पुलिस ने विजय कुमार और उसकी पत्नी रानी देवी को पकड़ लिया। पुलिस ने उनके साथ दो और आरोपियों मोरडूंगा गांव के रहने वाले पूर्व पंचायत समिति सदस्य विजय कुमार ​​और नागौर में मौलासर के पास के रहने वाले एक अन्य आरोपी को भी गिरफ्तार किया था। पुलिस ने विजय कुमार को हरियाणा के कैथल, रानी देवी और पूर्व पंचायत समिति सदस्य विजय कुमार को सीकर तथा रवि उर्फ रविंद्र शेखावत को जयपुर से पकड़ा था। हालांकि पुलिस ने ये भी खुलासा कर दिया था कि विजय कुमार और रवि मर्डर की साजिश में तो शामिल थे, लेकिन जयपुर में आशीष पर गोलियां बरसाने वाला शख्स और वहां से कार को दौड़ाने वाला शख्स अभी भी फरार है। पड़ताल में ये भी पता चला कि विजय कुमार के जरिए रवि उर्फ रविंद्र शेखावत को इस घटना से करीब 6 महीने पहले 3 लाख रुपए में आशीष की हत्या की सुपारी दी गई थी। हालांकि वो इस काम को अंजाम नहीं दे पाया था। हत्यारे सास-ससुर और पत्नी दिव्या से पूछताछ के बाद ऑनर किलिंग की खौफनाक कहानी सामने आई। पढ़िए जो खुलासा पुलिस ने पूछताछ के बाद किया… शेखावाटी का रहने वाला विजय कुमार साल 2000 में भारतीय सेना से रिटायर हुआ था। वो अपने परिवार के साथ जयपुर में रहने लगा था। सेना से रिटायर होने के बाद वह नेशनल इंश्योरेंस कंपनी में ड्राइवर का काम करने लगा था। विजय कुमार के परिवार में पत्नी रानी देवी के अलावा बेटा राकेश और बेटी दिव्या थी। दूसरी ओर, आशीष के पिता रामकुमार (परिवर्तित नाम) केरल के रहने वाले थे। रामकुमार जयपुर में ए श्रेणी के ठेकेदार थे। उनका करीब 3 साल पहले निधन हो गया था। आशीष की मां शकुंतला देवी (परिवर्तित नाम) नर्स के पद से रिटायर हुई थीं। आशीष के परिवार में वो और उसकी मां ही थे। दिव्या और आशीष के परिवार जयपुर के वैशाली नगर में पास-पास ही रहते थे। दोनों परिवारों में बढ़िया संबंध थे। विजय कुमार का बेटा राकेश और आशीष साथ-साथ पढ़ते थे। वहीं दोनों की आपस में दोस्ती भी हो गई थी। वहीं, दिव्या जयपुर के केंद्रीय विद्यालय संख्या-2 में पढ़ती थी। बाद में आशीष ने बीटेक की पढ़ाई पूरी की और दिव्या ने एलएलबी की पढ़ाई की। दिव्या के भाई राकेश ने भी बीटेक किया। आशीष को दोस्त राकेश की बहन दिव्या से प्यार हुआ पास-पास रहने और पढ़ाई करने के दौरान ही आशीष का अपने दोस्त राकेश की बहन दिव्या से भी इंट्रोडक्शन हो गया था। काॅलेज की पढ़ाई के दौरान आशीष और दिव्या नजदीक आए। दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। हालांकि दोनों के काॅलेज अलग-अलग थे, फिर भी दोनों एक-दूसरे से मिलने के लिए वक्त निकाल लेते थे। दोनों शादी करना चाहते थे। आशीष ने अपनी मां को अपने प्यार के बारे में सब कुछ बता दिया था। वहीं दिव्या ने घरवालों को अपने रिश्ते की भनक तक नहीं लगने दी। दिव्या अपने परिवार को जानती थी। उसे पता था कि अलग-अलग जाति होने के कारण उसके घर वाले आशीष और उसकी शादी को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। ऐसे में आशीष और दिव्या ने साल 2011 में आर्य समाज में गुपचुप शादी कर ली। दोनों ने इस शादी का अपने परिवार वालों को पता नहीं लगने दिया। शादी के बाद भी आशीष और दिव्या अपने-अपने घरों में ही रह रहे थे। इस बीच आशीष दिव्या के पड़ोस वाले घर को छोड़ करणी विहार में रहने चला गया था। …आखिर माता-पिता को बता दी शादी की बात साल 2015 में दिव्या की एलएलबी की पढ़ाई पूरी हो गई। आशीष और दिव्या ने अपनी शादी का खुलासा करने का फैसला कर लिया। एक दिन दिव्या ने हिम्मत जुटाकर आशीष से शादी की बात अपने मां-बाप को बता दी। दोनों बहुत नाराज हुए। दिव्या उनकी मर्जी के खिलाफ उसी दिन घर छोड़ कर आशीष के साथ रहने करणी विहार चली गई। दिव्या का इस तरह चोरी-छिपे दूसरी जाति के युवक से शादी करना विजय कुमार, उसकी पत्नी रानी देवी और बेटे राकेश तीनों को नागवार गुजर रहा था। राकेश इस बात से ज्यादा खफा था कि उसके साथ पढ़ने वाले दोस्त आशीष ने उसकी बहन से ही शादी कर दोस्ती में विश्वासघात किया था। जनवरी 2017 में प्रेग्नेंट हुई दिव्या इधर, दिव्या और आशीष अपनी शादीशुदा जिंदगी में बेहद खुश थे। आशीष प्रॉपर्टी और कंस्ट्रक्शन का काम करता था। दिव्या के माता-पिता और भाई लगातार दबाव डाल रहे थे कि वह आशीष से संबंध तोड़ ले। उन्होंने कई बार दिव्या को अपने साथ ले जाने की कोशिश भी की, लेकिन सफल नहीं हुए। आशीष की शिकायत पर पुलिस ने उसके मर्डर से करीब 8 महीने पहले दिव्या के माता-पिता व भाई पर पाबंदी भी लगा दी थी कि वे आशीष के घर न जाएं। जनवरी 2017 में दिव्या प्रेग्नेंट हो गई थी। इसके बाद कुछ महीनों से उसकी अपनी मां से बातचीत भी शुरू हो गई थी। आशीष और दिव्या को लगने लगा था कि अब सब ठीक हो गया है और उनकी नाराजगी दूर हो गई है, लेकिन ऐसा था नहीं। मर्डर के लिए दो अलग-अलग सुपारी दी विजय कुमार और उसका परिवार आशीष को अब भी अपना दामाद नहीं, सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे। वे उसे रास्ते से हटाने का प्लान बना रहे थे। विजय कुमार ने अपने गांव मोरडूंगा के रहने वाले पुराने दोस्त पूर्व पंचायत समिति सदस्य विजय कुमार को ये बात बताई। विजय कुमार ने आशीष को रास्ते से हटाने के लिए विजय कुमार को कीचक गांव के रवि उर्फ रविंद्र शेखावत से मिलवाया। रवि ने 3 लाख रुपए में आशीष की हत्या करने की सुपारी ले ली। दोनों रवि के साथ मिलकर आशीष की रैकी करने लगे। इस बीच जब उन्हें ज्यादा टाइम लगा तो विजय कुमार और उसके घर वालों ने विजय कुमार के साथ मिलकर भाड़े के 2 अन्य शूटरों लाेसल स्थित भैरूपुरा के रामदेव लाल और लाडनूं के विनोद गोरा को भी 2 लाख रुपए में आशीष की हत्या करने के लिए तैयार कर लिया। दोनों शूटर को बगरू के पास उतारा पूरी प्लानिंग के तहत विजय कुमार, उसकी पत्नी रानी देवी और किराए के दोनों शूटर रामदेव लाल व विनोद गोरा कार से मई, 2017 की सुबह कस्तूरबा विहार में बेटी-दामाद के घर पहुंचे। विनोद गोरा कार के पास बाहर खड़ा रहा, जबकि विजय कुमार, रानी देवी और रामदेव लाल घर के अंदर चले गए। घर के अंदर शूटर रामदेव लाल ने आशीष पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर उसकी हत्या कर दी और वहां से फरार हो गए। पूछताछ में पता चला कि वहां से भागने के बाद विजय कुमार और रानी देवी ने बगरू के पास दोनों शूटर को उतार दिया। विजय कुमार ने दोनों शूटरों को 50 हजार रुपए दिए थे। इसके बाद विजय कुमार और रानी देवी सीधे डीडवाना गए और अपने बेटे राकेश से मिले। उन्होंने उसे आशीष का काम तमाम करने के बारे में बताया और अपनी कार वहीं छोड़ कर आगे बढ़ गए। दोनों डीडवाना से नागौर, फलोदी, रामदेवरा होकर सूरतगढ़ पहुंचे। सूरतगढ़ से विजय कुमार ने पत्नी रानी देवी को बस में बैठा कर सीकर भेज दिया। वहीं विजय कुमार खुद बीकानेर, हिसार होकर हरियाणा के कैथल पहुंच गया। पिता बोला- मेरी बेटी को बहन बनाकर प्यार के जाल में फंसाया मामले में गिरफ्तार विजय कुमार ने पुलिस को बताया था कि आशीष ने दिव्या को पहले धर्म बहन बनाया। वह रक्षा बंधन पर उससे राखी भी बंधवाता था। इसके बाद प्यार के जाल में फंसाकर उससे शादी कर ली। शादी का पता चलते ही हमने आशीष को ठिकाने लगाने की ठान ली थी। वारदात के कुछ दिनों बाद तक दिव्या के परिवार की सुरक्षा के लिए उसके घर के बाहर पुलिस तैनात रही। दिव्या की याचिका पर हाईकोर्ट ने भी पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया था कि दिव्या और उसके घर वालों के अलावा गवाह पड़ोसियों को भी सुरक्षा मुहैया कराई जाए। शूटर्स की तलाश में सूरत, मुंबई और गोवा में दी दबिश विजय कुमार ने पुलिस को बताया था कि मर्डर के बाद दोनों शूटर्स रामदेव और विनोद को रास्ते में ही कार से उतार दिया था। दोनों शूटर गुजरात के सूरत की तरफ गए थे। पुलिस ने उनकी तलाश में सूरत में दबिश दी, लेकिन तब तक वो दोनों मुंबई भाग गए थे। जब पुलिस मुंबई पहुंची तो पता चला कि दोनों शूटर गोवा चले गए हैं। जयपुर पुलिस की टीमें शूटरों का लगातार पीछा कर रही थीं, लेकिन जयपुर पुलिस के गोवा पहुंचने से पहले ही वे वहां से भी चले गए थे। कुचामन में पकड़ा गया विनोद, कोचिंग स्टूडेंट बन किराए के कमरे में रह रहा था दोनों शूटर पुलिस की गिरफ्त से दूर थे। इस बीच पुलिस को पता चला कि नागौर जिले के कुचामन सिटी की कृष्णा काॅलोनी के एक मकान में दोनों शूटर विनोद और रामदेव छिपे हुए हैं। जानकारी मिलते ही पुलिस ने 5 जून को देर रात वहां दबिश दी। दबिश में विनोद गोरा पकड़ा गया, लेकिन रामदेव लाल वहां नहीं मिला। पता चला कि रामदेव उसी दिन वहां से निकला था। पड़ताल में पता चला कि विनोद और रामदेव ने कुचामन में स्टूडेंट बन कर कमरा किराए पर लिया था। ढाई महीने बाद पकड़ा गया रामदेव, कर रहा था मजदूरी आखिरकार आशीष मर्डर केस में पुलिस ने मेन शूटर रामदेव को जोधपुर के पीपाड़ सिटी से पकड़ लिया। उसे जब पकड़ा गया तो वो नींद में था और एक पत्थर फैक्ट्री में मजदूरों के लिए बने कमरे में सो रहा था। पूछताछ में उसने बताया कि आशीष को गोली मारने के बाद वो सूरत, मुंबई, गोवा होते हुए नागौर के कुचामन गया और इसके बाद कुछ दिनों से वो फरारी काटने के लिए यहां पीपाड़ सिटी में मजदूरी करने लग गया था। फिलहाल मामले में कोर्ट में ट्रायल चल रहा है और सभी आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में हैं। पार्ट 1 : 7 साल पहले जयपुर को डराने वाला ऑनर किलिंग केस:मां-बाप ने प्रेग्नेंट बेटी के सामने कराया था दामाद का मर्डर

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