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मर्डर की कोशिश करने वाले आरोपी को चित्तौड़गढ़ में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश क्रमांक-2 विनोद कुमार बैरवा ने 7 साल की सजा सुनाई। साथ ही आरोपी पर 45 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।
आरोपी युवक पीड़ित के गले से सोने की चेन छीनना चाहता था, इसलिए पीड़ित के गले पर चाकू से वार कर दिया। लेकिन पुलिस जांच में आया था कि यह मर्डर की कोशिश प्लानिंग के साथ की गई थी। प्लानिंग करने वाले आरोपी के खिलाफ सबूत नहीं मिलने पर उसे बरी कर दिया गया। अपर लोक अभियोजक संख्या-2 अब्दुल सत्तार खान ने बताया कि 4 जुलाई 2019 को बस्सी निवासी गणपत सिंह पुत्र लक्ष्मण सिंह रावना ने उदयपुर हॉस्पिटल में एडमिट रहने के दौरान एक रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में बताया था कि 30 जून 2019 के दिन दोपहर करीब 1.30 बजे वो अपने गाय को पानी पिलाने बाड़े में गया था। उसी दौरान पीछे से एक युवक आया और पीछे से पकड़ कर गले में पहने सोने की चेन छीनने लगा। पीड़ित गणपत ने अपनी चेन पकड़ ली। लेकिन आरोपी ने गर्दन पर चाकू से वार कर दिया। जिससे उसकी गर्दन कट गई। दोनों हाथों से रोकने की कोशिश की तो हाथों में भी चोट लग गई।
जब पीड़ित ने पीछे मुड़कर देखा तो वो बस्सी का रहने वाला शरीफ (37) पुत्र अजीज मोहम्मद था। जिसे पीड़ित अच्छे से जानता था। पीड़ित जैसे तैसे अपने घर पहुंचा और बेहोश हो गया। परिजनों ने पहले बस्सी हॉस्पिटल और बाद में चित्तौड़ हॉस्पिटल लेकर आए। हालत खराब होने से उसको उदयपुर रेफर कर दिया गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। जांच के दौरान धाराएं बढ़ाई गई। पुलिस ने आरोपी शरीफ मोहम्मद और नारायण लाल को गिरफ्तार किया। पुलिस ने दोनों के खिलाफ कोर्ट के चालान पेश किया गया। 17 गवाह और 15 डॉक्युमेंट्स किए पेश
उन्होंने बताया कि पीड़ित की ओर से कोर्ट में 17 गवाह और 15 डॉक्युमेंट्स पेश किए गए। कोर्ट में वाद विवाद के बाद कोर्ट ने गणपत सिंह पर जानलेवा हमले को गंभीर माना। पीड़ित कई दिनों तक उदयपुर हॉस्पिटल में एडमिट रहा। डॉ. हरिओम लड्ढा ने पीड़ित के गले की चोट से श्वास नली के काटने को गंभीर बताकर अपनी राय दी। बचाव पक्ष और अपर लोक अभियोजक की बहस सुनने के बाद आरोपी शरीफ मोहम्मद को न्यायाधीश विनोद कुमार बैरवा ने दोषी मानकर 7 साल की सजा सुनाई और 45 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। सबूतों के अभाव में छूटा आरोपी
पुलिस की जांच में आया कि नारायण लाल और गणपत सिंह के बीच परिवार को लेकर कोई विवाद था। गणपत सिंह के बार-बार टोकने पर नारायण लाल ने गणपत को मार डालने की प्लानिंग की। नारायण ने अपने दोस्त मोहम्मद शरीफ को प्लानिंग को शामिल किया। पुलिस ने जांच के आधार पर नई धाराएं जोड़कर नारायण लाल को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन नारायण लाल के खिलाफ ना तो कोई सबूत मिले और ना कोई गवाह था। पीड़ित ने भी मौके पर सिर्फ मोहम्मद शरीफ को देखा और उसकी पहचान की थी। इसलिए सबूतों के अभाव में नारायण लाल को बरी कर दिया गया।

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