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भास्कर संवाददाता | बांसवाड़ा गुरु पूर्णिमा पर गुरु आश्रमों और प्राचीन मठों में गुरु पाद पूजन के आयोजन हुए। जिसमें बड़ी संख्या में गुरु भक्त उमड़े। जानामेड़ी स्थित उत्तम सेवा धाम में श्री पंच अग्नि अखाड़ा के महामंडलेश्वर ईश्वरानंद उत्तम स्वामी ने गुरुपूर्णिमा के अवसर हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए कहा कि जो रामकृष्ण की बात करे वही सच्चा गुरु है। ईश्वर ने भी राम और कृष्ण के अवतार लेकर गुरुकुल में गुरु के सानिध्य में सभी तरह की शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने हमेशा जीवन में गुरु के सम्मान और उनके आदेश को सर्वोपरी रखा था। उन्होंने कहा कि गुरु सत्ता सर्वोच्च सत्ता है। परमात्मा मनुष्य के हृदय में बैठा हुआ है। आज छद्म गुरु घंटाल वेशधारी घूम रहे हैं। चमत्कार दिखा रहे हैं उनसे सावधान रहें। मीरा,कबीर, सूरदास, चारों शंकराचार्य, नामदेव, नानक, रामानुजा चार्य, रामकृष्ण परमहंस, इन सभी ने कभी अपने को भगवान घोषित नहीं किया। इन्होंने मार्ग दिखाए। गुरु ऐसे करना जो राम नाम व कृष्ण नाम की माला दे। ऐसे ही गुरु बनाना। स्वामीजी ने कहा आजकल ऐसी बातें चल रही हैं। यहां अनेक पार्टी के नेता बैठे हुए हैं। आप किसी भी राजनीति के पार्टी से हैं उससे मुझे कोई लेना देना नहीं। मैं आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कह रहा हूं कि मेरे सनातनी पर उंगली उठाने वाले और मेरे रामकृष्ण को छोड़कर बाकी कितनी भी लड़ाई करनी हो करो। कितने गुरु आए और चले गए। हमारा काम मार्गदर्शन करना है। मेरा काम आप लोगों के हाथ में रामकृष्ण की माला देना है। जो गुरु आत्म साक्षात्कार करा देवे ऐसे के साथ होना श्रेष्ठ है। गुरु सत्ता के प्रति समर्पण होना। सिद्ध है वह जो प्रसिद्धि में नहीं पड़ते। उन्होंने कहा दो ऋण कभी नहीं उतर सकते एक मां का ऋण और दूसरा सतगुरु का ऋण। संसार और साधना अलग है सद्गुरु संपत्ति की ओर नहीं साधना की ओर ले जाते हैं। ईश्वरीय सत्ता को स्वीकार करना सीखो। जिसे सूरदास, मीरा, कबीर ने स्वीकार किया था। पं. दिव्य भारत पंड्या ने हवन पूजन किया। अखिल भारतीय गुरु भक्त मंडल के अध्यक्ष तपन भौमिक मंच ने स्वामी जी का जीवन परिचय सुनाया। संचालन सतीश आचार्य ने किया। अंत में आरती और महाप्रसादी हुई। वहीं दो हजार लोगों ने गुरुमंत्र दीक्षा ली।

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