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अमेजन प्राइम पर रिलीज हाल ही में रिलीज मिर्जापुर सीजन-3 में इंदौर के अजहर कुरैशी उर्फ लकी खान भी नजर आ रहे हैं। इंदौर के सपना संगीता इलाके में रहने वाले अजहर सीरीज के इस सीजन में यूपी एसटीएफ के अफसर वाल्मीकि यादव का​​ अहम किरदार निभा रहे हैं। सीरीज में उनका एक डायलॉग- चलो रे, मैक्सिको निकलना है… अबे मिर्जापुर बे…काफी मशहूर हो रहा है। दैनिक भास्कर से चर्चा में लकी ने मिर्जापुर सीजन-3 और अपने जीवन के कई किस्से सुनाए। सामान्य परिवार से आने वाले लकी ने वैसे तो कई फिल्में की हैं, लेकिन किसी कारण से वो पर्दे पर नहीं आ सकी। लकी मानते हैं कि इंदौर और मुंबई में 15 साल स्ट्रगल करने के बाद मिर्जापुर वेब सीरीज से उनके लक ने साथ दिया। लकी के लिए ये सीरीज इस लिए भी खास है क्योंकि वे पंकज त्रिपाठी यानी कालीन भैया और गुड्‌डु भैया यानी अली फजल को ही अपना रोल मॉडल भी मानते हैं, और उन्हीं के साथ फेमस सीरीज में काम करने का मौका मिला। जानिए इंदौर के अजहर के टैटू आर्टिस्ट से एक्टर बनने तक की कहानी… इंदौर में टैटू आर्टिस्ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले लकी का बॉलीवुड में इस वेब सीरीज के साथ ही करियर शुरू हुआ ​है। क्योंकि इसके पहले उन्होंने जितनी भी फिल्में ​की वे पर्दे पर आ ही नहीं पाईं। Q. मिर्जापुर-3 में रोल कैसे मिला A. मिर्जापुर-3 के लिए मैंने 2021 के अंत में ऑडिशन दिया था। उन दिनों में बड़े बाल और दाढ़ी रखा करता था। तब मैं किसी और रोल के लिए शॉर्ट लिस्ट हुआ था। उसी दौरान मैंने कटहल मूवी के लिए अपना लुक चेंज किया था। मिर्जापुर-3 की टीम से फिर मुलाकात हुई तो सभी मेरे नए लुक को देखकर शॉक रह गए और फिर से नए रोल के लिए ऑडिशन देने को कहा। ऑडिशन के 15 दिन बाद ही पुलिस अफसर वाल्मीकि के लिए मेरा सिलेक्शन हो गया। Q. कितने सालों के स्ट्रगल के बाद पहला ब्रेक थ्रू मिला? A. करीब 15 सालों को स्ट्रगल में मैने 3 फिल्मों में काम किया लेकिन इनमें से कोई फिल्म रिलीज नहीं हो सकी। शायद वो मेरा टाइम नहीं था। इसलिए 15 साल के स्ट्रगलिंग करियर के बाद यहां मेरा लक चला। लेकिन मैं कभी भी पीछे नहीं हटा। जो भी रोल मेरे एज ग्रुप के लिए आता उसमें ट्राय करता गया। Q. ओटीटी और बॉलीवुड में कलाकारों की लाइफ कैसे अलग है? A. स्ट्रगल दोनों ही जगह है। लेकिन ओटीटी आने से यह फायदा हो गया है कि बहुत सारे स्ट्रगलिंग कलाकरों को यह प्लेटफॉर्म मिलने लगा है। वहीं बॉलीवुड में कई बार फिल्में डब्बा बंद हो जाती है। लेकिन ओटीटी आने के बाद यह प्रॉब्लम अब कम हो गई है। Q. ओटीटी पर अधिकतर सीरीज और फिल्मों में भाषा का स्तर गिर रहा है? A. रियल लाइफ में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो गाली- गलौज नहीं करता। गाली इज लाइक आ एक्सप्रेशन! इंसान या तो गुस्से में या एक्सप्रेशन में गाली जरूर निकालता है। फिल्मों या ओटीटी में रियलिटी दिखाना होती हैं। किसी भी कहानी में गाली गलौज कहानी की डिमांड होते हैं। कई वेब सीरीज ऐसी हैं जो आप परिवार के साथ बैठ के देख सकते हैं। उसमें गुल्लक, पंचायत जैसी स्टोरी शामिल है। हर कहानी का अपना एक ऑडियंस का बेस होता है। Q. आपने कई फिल्में की जो पर्दे में नहीं आ सकी तब कैसा महसूस होता था? A. ऐसा दो से तीन बार हुआ जब फिल्में कर ली लेकिन वो रिलीज नहीं हुई। तब मेरे साथी कलाकर मनोज जोशी ने मजाक में कहा था कि लकी या तो तू मनहूस है या मैं। क्योंकि जो भी फिल्म की वो पर्दे पर नहीं आ रही थी। तब कई बार मन में ख्याल आता था कि कहीं वाकई मैं मनहूस (अनलकी) तो नहीं हूं। लेकिन फिर माइंड में पॉजीटिविटी को रखा और काम करते गए। Q. नए कलाकारों को किसी भी ऑडिशन में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए A. जिस एज ग्रुप का ऑडिशन आया है उसी ऐज ग्रुप में ट्राई करें। कोई चीज आसानी से नहीं मिलती इसलिए जो काम करना चाहते हैं, वह सिखाना बहुत जरूरी है। कभी भी किसी ऑडिशन के लिए अपना इंट्रो और ऑडिशन में अपना बेस्ट करें। क्योंकि आप के लुक्स से पहले आपके टैलेंट ही देखा जाता है। Q. नए कलाकार बेहतर एक्टिंग क्लासेस और थिएटर को कैसे चुनें? A. किसी अच्छे संस्थान से एक्टिंग सीखें, थिएटर करें और धैर्य रखकर अपने होम टाउन मे ही रुकें। सभी बड़े ब्रांड अब मुंबई से निकलकर देशभर में पहुंच रहे हैं और वहां के लोकल टैलेंट को मौका दे रहे हैं। सीधे मुंबई चले जाएंगे तो हो सकता है पहली बार में ही रिजेक्ट हो जाएं, इससे निराशा होगी। Q. प्रदेश में अब कई फिल्में/ बेब सीरीज शूट हो रही हैं। यहां के कलाकारों के लिए कितनी अपॉर्च्युनिटी है? A. मध्यप्रदेश में भोपाल थिएटर का गढ़ है दिल्ली के बाद यहीं से सबसे अच्छे कलाकर निकलते हैं। इंदौर में मराठी थिएटर की मुंबई तक बात की जाती है। नए कलाकरों को थिएटर सिखना होगा। यहां इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और सागर जैसी जगह में थिएटर है। काफी अपॉर्च्युनिटी है। पिता की जगह पर मिली थी अनुकंपा नियुक्ति लकी बताते हैं कि पौने तीन साल की उम्र में ही पिता शेख उस्मान कुरैशी का निधन ऑन ड्यूटी हो गया था। वे भोपाल में ही विशेष सशस्त्र बल में डॉग ट्रेनर थे। ​1995 में 14 साल की उम्र में बाल आरक्षक के पद पर स्पेशल आर्म फोर्स में अनुकंपा नियुक्ति मिली। लगभग नौ साल नौकरी के बाद मन ऊब गया और बिजनेस करने की सोचकर नौकरी छोड़ दी। इसके बाद भोपाल में ही डीजे, इवेंट मैनेजमेंट का काम भी किया। लेकिन यह काम खुद को स्टेब्लिश करने जैसा नहीं लगा। इस लिए वो सब छोड़ इंदौर आ गया और यहां टैटू स्टूडियो खोल कर नया काम करना शुरू कर दिया। साल 2005 में दोस्तों के कहने पर मुंबई गया दोस्तों के कहने पर बॉलीवुड में काम करने के लिए 2005 में मुंबई पहुंचा। तब मशहूर गायक स्व. रवींद्र जैन से मिला तो उन्होंने स्व. रामानंद सागर को कॉल कर काम के लिए बात की। उन्होंने थोड़ी देर की बातचीत के बाद ही कहा कि तुम्हें एक्टिंग नहीं आती। पहले काम सीखना होगा। इस पर मैंने वहां से भोपाल आकर भारत भवन में थिएटर जॉइन कर लिया। यहां एक्टिंग सीखी व कुछ नाटक में काम भी किया। इसी दौरान 2008 में भोपाल में परेश रावल, पंकज त्रिपाठी, रणदीप हुड्डा स्टारर फिल्म कुसर प्रसाद का भूत… में काम किया, लेकिन वह रिलीज नहीं हो पाई। टैटू आर्टिस्ट के जरिए बने कास्टिंग टीम से कनेक्शन भोपाल में कई साल थिएटर करने के बाद इंदौर के टीआई मॉल में मध्यप्रदेश का पहला टैटू स्टूडियो बनाया और देशभर में अपनी पहचान बनाई। इसी के जरिए फिल्मों की कास्टिंग टीम से मुलाकात होती रहती थी। तब 2015 में जॉन एब्राहम प्रोडक्शन की फिल्म 17 को शादी है… में काम करने का मौका मिला। यह भी रिलीज नहीं हुई। कटहल मूवी की शूटिंग के दौरान मिला यह रोल लकी बताते हैं कि मुंबई में 2021 में फिल्म ऐक्ट्रैस सानिया मल्होत्रा के साथ कटहल मूवी करने का मौका मिला। इसके लिए मैंने 17 साल तक बढ़ाए अपने कमर तक के बाल कटा लिया। मई 2022 में मिर्जापुर सीजन 3 के लिए ऑडिशन चल रहे थे। उनकी कास्टिंग टीम से इसी दौरान मुलाकात हुई और ऑडिशन दे दिया। इसके 15 दिन बाद ही कॉल आ गया कि आप सिलेक्ट हो गए हैं और अगस्त 2022 से इसकी शूटिंग शुरू हो गई। खुद से सीखी अवधि वे बताते हैं कि मिर्जापुर 3 में पुलिस अफसर वाल्मीकि का बोलचाल का तरीका अवधी है। भोपाल में जन्मा और इंदौर रहा इसके चलते अवधी भाषा नहीं आती थी। रोल के लिए यूट्यूब से ढ़ाई महीने में भाषा सीखी। पूरे एक घंटे की सीरीज में लकी का रोल लगभग 20 मिनट का है। इसके लिए 15 दिन से ज्यादा शूटिंग चली। भोपाल माफिया पर बनी वेब सीरीज अगले साल आएगी
मिर्जापुर के डायरेक्टर गुरमीत सिंह की ही एक और वेब सीरीज अगले साल रिलीज होगी। यह भोपाल माफिया पर बेस्ड है। उसमे भी गैंगस्टर रिजवी का किरदार मिला है। इसकी शूटिंग पूरी हो चुकी है।

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