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जालोर का कालाघाट इलाका। कहा जाता है कि इस इलाके पर कभी जालोर के दो खूंखार डाकू भाइयों काना और वेलिया का कब्जा था। लेकिन अब इस इलाके में खूबसूरत बगीचा तैयार किया जा रहा है। 15 हेक्टेयर(60 बीघा) में बन रही लवकुश वाटिका का काम जोरों पर है। मार्च तक काम पूरा होने की संभावना है। पहाड़ों के बीच यहां कई सुंदर स्ट्रक्चर बनो गए हैं। विजिटर्स को यहां हिरण, खरगोश, नीलगाय, जंगली बिल्लियां भी देखने को मिलेंगी। जालोर डीएफओ जयदेव सिंह ने बताया- जालोर में झरनेश्वर महादेव मंदिर के पास कालाघाट एरिया में लोकल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग बड़े स्तर पर काम कर रहा है। कालाघाट पर 15 हेक्टेयर भूमि पर लवकुश वाटिका बनाई जा रही है। यहां वाटिका में भी विभिन्न स्तर पर कार्य जारी है। पहले स्तर पर यहां उद्यान का डवलपमेंट किया जा चुका है। एडवेंचर के शौकीन युवाओं के लिए यहां जिप लाइन का काम भी इसी साल पूरा होने की उम्मीद है। इसके अलावा भी कई तरह के स्ट्रक्चर यहां तैयार किए जा रहे हैं। इनकी लागत 1 करोड़ से ज्यादा की है। कभी डाकुओं का अड्‌डा थी यह जगह जालोर के इतिहास के अनुसार कालाघाट इलाका कभी डाकुओं के छुपने का अड्‌डा हुआ करता था। यहां भीनमाल के दो खूंखार डाकू काना और वेलिया का ठिकाना था। पूरे इलाके में इन डाकुओं की दहशत थी। दोनों डाकू इलाके के बड़े सेठों को निशाना बनाते और लूटते थे। इस इलाके में घनी पहाड़ियां और जंगल है। साथ ही झरनेश्वर महादेव का मंदिर है। सावन के महीने में बड़ी संख्या में लोग झरनेश्वर महादेव मंदिर आते हैं। साथ ही पर्यटन के नजरिए से भी लोग कालाघाट आते रहे हैं। ऐसे में लोकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए लवकुश वाटिका पिकनिक पॉइंट के तौर पर तैयार की जा रही है। यह बनकर तैयार लवकुश स्कल्पचर- वाटिका के नाम की तर्ज पर यहां भगवान राम के बेटों लव और कुश के रियल साइज दो स्कल्पचर बनाए गए हैं। पास में एक भालू का स्कल्पचर है, जिसकी पीठ पर बेबी भालू और गिलहरी नजर आ रहे हैं। गजीबो हट- तीन सीमेंटेड झोपड़ी टाइप छतरियां बनाई गई हैं। ये टीलों पर हैं। इनमें बैठने के लिए बैंच बनाई गई हैं। विजिटर्स यहां बैठकर आराम कर सकते हैं। सेल्फी पॉइंट- एक सेल्फी पॉइंट बनाया गया है जिसमें बड़े आकर में लिखा है- आई लव नेचर। बैकग्राउंड में पहाड़ नजर आता है। रियल साइज एनीमल स्कल्पचर- जगह-जगह रियल साइज को जंगली जानवरों के स्कल्पचर बनाए गए हैं। वाटिका के मुख्यद्वार पर लेपर्ड और हिरण के स्कल्पचर बने हैं। इसके अलावा जंगली बिल्ली समेत कई स्कल्पचर तैयार किए गए हैं। गेम जोन- वाटिका परिसर में बच्चों के लिए गेमिंग जोन बनाया गया है। यहां जंगली बिल्ली का स्कल्पचर लगाया गया है। इसे नैचुरल लुक देने के लिए पर्यावरण प्रेमी रविद्र सिंह कानीवाड़ा का सहयोग लिया गया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि लवकुश वाटिका शुरू होने के बाद जालोर शहरवासियों को घूमने के लिए नई जगह मिलेगी। यह शहर का नजदीकी इलाका है। पहाड़ की तलहटी में शहरी कोलाहल से दूर लवकुश वाटिका रोजाना सैर करने वालों के लिए किसी सौगात से कम नहीं होगी। तस्वीरों में देखिए जालोर की लवकुश वाटिका…

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