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मैदान, लूडो, तमाशा, भारत, जनहित में जारी जैसी फिल्मों में नजर आ चुके एक्टर इश्तियाक खान जयपुर आए हुए हैं। उन्होंने अपने नाटक ‘शैडो ऑफ ऑथेलो’ की प्रस्तुति जेकेके में आयोजित नटराज महोत्सव में दी। इस दौरान उन्होंने दैनिक भास्कर के साथ बात की। फिल्म व थिएटर के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा- हाइट की वजह से रिजेक्शन होते थे। लोग मुझे पीछे कर देते थे, अब मैंने हाइट को दरकिनार कर दिया। काम करने की कोशिश की और कोशिश की लोग हमारी हाइट की जगह काम की वजह से पहचाने। उन्होंने कहा- रिजेक्शन तो आज भी होते हैं। पहले ज्यादा भूखे थे। एक निवाला भी छीन लिया जाता था तो दुख होता था। अब आप आधी रोटी खा रहे हैं और आधी चली जाती है ताे फर्क नहीं पड़ता है। सवाल: जयपुर में आप अपना नाटक शैडो ऑफ ऑथेलो लेकर आए हैं, क्या खास है इसमें? इश्तियाक: यह प्ले शेक्सपियर के नाटक ऑथेलो पर आधारित है। इसलिए इसका नाम शैडो ऑफ ऑथेलो रखा है। इसको थोड़े नए अंदाज में करने की कोशिश की है। जितनी भी इसमें डार्कनेस थी, उसे हलका किया जाए। आम इंसान पसंद करे। उसके दिमाग में वह बात घुस जाए। इसी को ध्यान में रखते हुए इसे बनाया है। इसे कहने का अंदाज थोड़ा अलग है। मैंने इसको थोड़ा बॉलीवुड स्टाइल में किया है। सवाल: आप एनएसडी ग्रेजुएट हैं, बॉलीवुड और टीवी में लगातार सक्रिय हैं। लेकिन आपने थिएटर को कभी भी खुद से दूर नहीं किया, हमेशा प्ले के लिए तैयार रहते हैं, कोई खास कारण? इश्तियाक: जो लोग हमारे साथ जुड़े, वे बड़ी शिद्दत से जुड़े हुए हैं। हमारी तो थिएटर करने की इच्छा थी ही। हमारी टीम के लोगों की भी थिएटर करने की इच्छा बरकरार है। हमारी टीम में ऐसा कोई नहीं है, जिसकी अंदर से इच्छा नहीं होती है। जो नाटक नहीं करना चाहता। इसीलिए ऐसा ग्रुप बनाया गया कि हमारी इच्छाएं चलती जा रही है। इच्छाशक्ति बनी हुई है और यह आगे भी चलता रहेगा। पैसे मैं पूरी टीम पर खर्च करता हूं। नाटक के लिए पैसे मिल जाए तो अच्छा है। नहीं मिले तो कोई बात नहीं। जैसे हम यहां जयपुर में आए हुए हैं। वह एक चेहरा देखकर ही आए हुए हैं, वह है योगेंद्र सिंह परमार का। उसने हमें नटराज महोत्सव में बुलाया है। वह पैसे देगा तो ठीक, नहीं देगा तो भी ठीक है। कोशिश यही थी कि हम पहुंचे और नाटक करें। योगेन्द्र से जुड़ी कहानी भी अलग है। जब योगेन्द्र ने यह नाटक कई साल पहले जयपुर में देखा था तो उसने इच्छा जाहिर की थी कि जो भोला का किरदार है, वह मैं करना चाहता हूं। इसके लिए मुंबई भी आ जाऊंगा। लेकिन संभव नहीं हो पाया। मुंबई में रहना, खाना-पीना सहित कई तरह की समस्या सामने आती है। किसी को इस किरदार के लिए निकालना भी सही नहीं था। उसी ने अपनी पहल पर इस नाटक को करवा ही लिया। सवाल: आप मध्यप्रदेश के छोटे से शहर से आते हैं, जहां से आए हैं, वहां टीवी भी नहीं होता था, आज टीवी पर भी दिखते हैं। किस तरह अनुभव रहा है? इश्तियाक: पहले ऐसे कोई ख्वाब नहीं थे कि फिल्मों में जाएंगे या एक्टिंग करेंगे। एक बार नाटक किया और धीरे-धीरे आगे बढ़ते गए। आज अपने मुकाम पर हैं। हमारे शहर के लोगों के चेहरे पर खुशी दिखती है तो मुझे ज्यादा खुशी महसूस होती है। उन लोगों को लगता है कि उनके शहर का प्रतिनिधित्व कोई कर रहा है। हमारे लिए गर्व की बात होती है। हमारे काम को यह बात प्रेरणा देती है, इसीलिए मैं शिद्दत से लगा रहता हूं। मैं तो कई बार सोचता हूं कि यह बहुत छोटा किरदार है। इसे वे लोग नहीं देखें, लेकिन वे लोग उस किरदार को देखकर भी बहुत खुश होते हैं। यह बहुत आत्मीय भाव है। सवाल: हर किसी की अपनी कहानी होती है, छोटे शहर से आकर बड़े सपनों को पूरा करना किस तरह अलग रहा? इश्तियाक: मैं मानता हूं कि छोटी और बड़ी जगह कोई नहीं होती है। इंसान की सोच छोटी-बड़ी होती है। मेहनत कम और ज्यादा होती है। किस्मत अच्छी और खराब होती है। यह सभी चीजें होती है, यही सभी चीजें अगर मिल जाए तो आदमी सफल हो जाता है। सवाल: आपने भी रिजेक्शन झेले होंगे, किस तरह के अनुभव रहे हैं? इश्तियाक: रिजेक्शन तो आज भी होते हैं। पहले ज्यादा भूखे थे। एक निवाला भी छीन लिया जाता था तो दुख होता था। अब आप आधी रोटी खा रहे हैं और आधी चली जाती है ताे फर्क नहीं पड़ता है। पहले दुख इस बात का होता था कि हाइट की वजह से रिजेक्शन होते थे। लोग मुझे पीछे कर देते थे, अब मैंने हाइट को दरकिनार कर दिया। काम करने की कोशिश की और काशिश की लोग हमारी हाइट की जगह काम की वजह से पहचाने। सवाल: आपने कपिल शर्मा के साथ कॉमेडी शो भी किया, किस तरह का शो था और किस तरह का एक्सपीरियंस रहा? इश्तियाक: वह एक अलग तरह का शो है। उसकी अपनी एक स्टाइल है। उस तरह की स्टाइल हमारे थिएटर में भी होती है। जैसे पारसी रंगमंच में क्लाउन बनकर बीच-बीच में ऐसे कैरेक्टर आते थे, जो कॉमेडी क्रिएट करते थे। ऐसे में कपिल के शो में पारसिकल स्टाइल देखने को मिलता है। अब वह स्टाइल टीवी पर दिखाई देता है तो उसे ज्यादा ऊंचाइयां मिल गईं। उसमें राइटर बहुत सारे हैं। हर बार के पंच मिलने लगे हैं। देखा जाए तो वह भी एक स्टाइल है और बेहतरीन स्टाइल है। सवाल: आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में जानना चाहेंगे? इश्तियाक: आने वाले प्रोजेक्ट्स में भूल चूक माफ फिल्म है। एक फिल्म आधार है, एक फिल्म हिसाब बराबर है। एक वेबसीरीज है, जिसका नाम कफल है। इसी तरह के प्रोजेक्ट देखने को मिलेंगे।

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