16वीं राजस्थान विधानसभा के तीसरे सत्र में आज गुरुवार को चित्तौड़गढ़ विधायक ने साइबर क्राइम के मामलों को लेकर मुद्दा उठाया। 2 से 3 लाख रुपयों से कम रुपए के साइबर फ्रॉड को लेकर मामले दर्ज नहीं होने की बात मंत्री के सामने रखी। इस दौरान ये बात भी सामने आई कि 36 महीनों में सिर्फ 36 ही केस दर्ज किए गए। जबकि ऐसे कई मामले थे जिनमें फ्रॉड भी बड़े हुए लेकिन उन्हें सिर्फ परिवाद में लेकर छोड़ दिया गया। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी इसे गंभीर मामला बताया। जबकि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री को विधायक द्वारा पूछे गए सवालों का मतलब तक पता नहीं चल पा रहा था। साइबर थाने में दर्ज नहीं होते मामले गुरुवार को विधानसभा सत्र के शुरू होते ही चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या को अपने सवाल सदन के सामने रखने का मौका मिला। चंद्रभान सिंह आक्या ने मंत्री गजेंद्र सिंह से कहा कि जिन लोगों के साथ साइबर फ्रॉड होता है, उनके लिए अलग से साइबर थाना बनाया गया है। लेकिन वहां बड़े अमाउंट के फ्रॉड होने पर ही मामले दर्ज किया जा रहे हैं। छोटे अमाउंट के फ्रॉड वाले पीड़ितों को वहां से निराश लौटना पड़ता है और संबंधित थाने में मामला दर्ज करना पड़ता है। सभी थानों में वैसे भी कार्यभार ज्यादा होने के कारण मामले भी दब कर रह जाते हैं। ऐसे में साइबर संबंधित सभी मामले साइबर थाने में ही दर्ज होने चाहिए। इसलिए उन्होंने मंत्री गजेंद्र सिंह से छोटे अमाउंट साइबर फ्रॉड के मामले भी साइबर थाने में दर्ज हो जाए, उसके लिए आग्रह किया। विधायक ने कहा कि साइबर थाने में मामला दर्ज होने पर वहां पर साइबर एक्सपर्ट के निगरानी में सारी जांच होगी। चित्तौड़गढ़ विधानसभा क्षेत्र के साइबर थाने में भ्रष्टाचार हावी हो रहा है। वहां से पीड़ितों को निराशा ही लौटना पड़ता है। 36 महीनों में सिर्फ 36 ही मामले वहीं, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह ने कहा कि चित्तौड़गढ़ जिले में 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2024 तक 36 साइबर केस दर्ज हुए। जिनमें से 10 मामलों में चालान पेश किया गया है। 17 मामलों में FR लग गई है। इन मामलों या तो आरोपी मिला नहीं या फिर यह जमीन संबंधित मामले थे। इसके अलावा जो मामलों में इन्वेस्टिगेशन जारी है। 2.7 करोड़ रुपयों की ठगी में 1.82 करोड़ रुपए की रिकवरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अमाउंट के ऊपर कोई मामले दर्ज नहीं होना चाहिए। ऐसा होता है तो जांच करवाई जाएगी। मंत्री ने कहा कि साइबर थाने की लिमिट 3 लाख रुपयों की है। इससे कम रुपयों की ठगी होने पर साइबर थाना मामला दर्ज नहीं करने के लिए अधिकृत है। लेकिन कम राशि के ठगी के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी। नेता प्रतिपक्ष ने भी बताया इसे गम्भीर इस पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी इस मामले को गंभीर बताया। उन्होंने कहा कि 36 महीनों में अगर 36 मामले दर्ज होते हैं तो यह बहुत ही गंभीर विषय है। फिर तो साइबर थाने का कोई मतलब ही नहीं रह जाता। इतने कम मामले दर्ज किए गए, इससे यह साफ जाहिर होता है कि पीड़ितों को टरकाया जा रहा है और उनके मामले दर्ज नहीं किया जा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष के इस बात से नाराज होते हुए मंत्री गजेंद्र सिंह ने कहा कि मेवात एरिया में सबसे ज्यादा मामले हैं। दूसरे जगह पर कम ठगी होती है। इसका उत्तर देते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कहां ज्यादा और कहां कम साइबर क्राइम हो रहे है, मुद्दा यह नहीं है। मामले अगर दर्ज नहीं हो रहे हैं तो इसका मतलब है की पीड़ितों तो को टरकाया जा रहा है। मामले दर्ज होने पर कोई बाउंडेशन नहीं होना चाहिए। मंत्री समझ नहीं पाए सवालों को विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के बार-बार रिक्वेस्ट करने पर भी मंत्री गजेंद्र सिंह उनके सवालों को समझ नहीं पाए। विधायक ने छोटे मामलों को भी साइबर थाने में दर्ज करवाने की बात कही और मंत्री से अनुमति मांगी लेकिन मंत्री गजेंद्र सिंह बार-बार रुपयों के नियमों का हवाला देते रहे। उन्हें यह समझने में देरी लगी कि छोटे अमाउंट के फ्रॉड वाले मामलों को स्पेशली साइबर थाने में ही दर्ज करवाने का मुद्दा उठाया गया था। विधायक ने लगाया पुलिस पर भ्रष्टाचार का आरोप चित्तौड़गढ़ साइबर थाने में कई बार बड़े अमाउंट के फ्रॉड के केस भी दर्ज नहीं किए गए। कई पीड़ितों ने इसकी शिकायत भी की है। उनके मामले या तो परिवाद में रखे जाते है या फिर पीड़ितों को सिर्फ आश्वासन दिया जाता है। कुछ पीड़ितों के साथ हुए मामले मीडिया में आने के बाद दर्ज किए गए। ऐसे में विधायक द्वारा लगाए भ्रष्टाचार के आरोपों को भी नकारा नहीं जा सकता।