राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड में वर्किंग अरेंजमेंट को लेकर रोचक मामला सामने आया है। यहां एसई मौखिक आदेश पर एक्सईएन ने इंजीनियर सुपरवाइजर का ट्रांसफर कर दिया। हैरानी की बात ये है कि इसके लिए न तो निगम के सचिव और न ही एमडी से परमिशन ली गई। इंजीनियर सुपारवाइजर दीपेंद्र सिंह पिछले करीब 2 महीने से चंबल पावर हाउस में काम कर रहे है। उनके इस ट्रांसफर का आदेश एसई आरसी महावर के मौखिक आदेश पर एक्सईएन हरभजन सिंह ने 13 दिसंबर 2024 को 220 केवी जीएसएस मानसरोवर से 132 केवी जीएसएस चंबल पावर हाउस पर किया गया। इधर, जब मामला सामने आने के बाद एसई आरसी महावर से बातचीत की तो उनका कहना था कि चंबल पावर हाउस वीवीआईपी इलाका है, इसलिए मौखिक आदेश जारी हुए। वहीं निगम के एमडी आईएएस नथमल डिडेल का कहना था कि ये पद का दुरुपयोग है। एसई बोले- यह आदेश परमानेंट नहीं, स्टाफ की कमी थी इसलिए मौखिक आदेश दिए गए इस पूरे मामले को लेकर एसई आरसी महावर से बातचीत की गई। उनका कहना था- यह आदेश हमने कोई परमानेंट नहीं किया है। हमारे चंबल जीएसएस पर स्टाफ की कमी है। चंबल पावर हाउस हमारा महत्वपूर्ण जीएसएस है। यहां से सिविल लाइंस एरिया में बिजली की सप्लाई होती है। यह पूरा इलाका वीवीआईपी लोगों का है, इसलिए मैंने टेम्परेरी वर्किंग अरेजमेंट के लिए मौखिक आदेश दिए थे और ये हम एक सप्ताह या 10 दिन के लिए कर सकते है। हमने यह सोचा था कि वहां किसी दूसरे जेईएन को लगा देंगे लेकिन वहां कोई लगा ही नहीं। इसलिए इसे जारी रखा था। आज ही मेरे से अधिकारियों ने पूछा था। हमने कह दिया कि उसे उसकी जगह लगा देंगे। हालांकि इस जीएसएस से सीएम हाउस तक बिजली सप्लाई होती है। इसलिए हमने यह व्यवस्था लगा रखी थी। ऐसे आदेश बिना उच्च अधिकारियों के हम नहीं कर सकते। इसको लेकर हमारे चीफ इंजीनियर के के मीणा से मौखिक आदेश मिला था। कर्मचारियों में रोष, कार्रवाई की मांग वहीं इस मामले में इस मामले को लेकर एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हरभजन सिंह का कहना है कि हम वर्किंग अरेंजमेंट कर सकते है। चंबल पावर हाउस पर स्टाफ की कमी अभी भी चल रही है। ऐसे में स्टाफ की कमी को देखते हुए यह अरेंजमेंट किए गए थे। यह आदेश चीफ इंजीनियर के के मीणा और SE आर सी महावर के आदेश पर किए हैं। इस फैसले से कर्मचारियों में रोष है। उनका कहना है कि बिना किसी के स्वीकृति के इस तरह से एक जीएसएस से दूसरे जीएसएस में लगाना नियमों का उल्ल्घंन है और इसे रद्द कर देना चाहिए। वहीं सूत्रों के अनुसार ऐसे आदेश केवल सेक्रेटरी या मैनेजिंग डायरेक्टर के आदेश से ही संभव है। 132 केवी जीएसएस पर इंजीनियर सुपरवाइजर का कोई पद ही स्वीकृत नहीं होता। वहां जेईएएन की नियुक्ति होती है। इसके बावजूद यह आदेश जारी कर इंजीनियर सुपरवाइजर को लगाया गया। वहीं इस पूरे मामले को लेकर राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर आईएएस नथमल डिडेल ने बताया कि- यह मामला मेरे संज्ञान में दैनिक भास्कर के माध्यम से आया है। अगर ऐसा हुआ है तो यह नियम विरूद्ध है। किसी भी अधिकारी को पद का दुरूपयोग करने की छूट नहीं है।