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मानव अधिकार उल्लंघन के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने एक फैसला दिया है। इसमें केंद्रीय कारागृह अजमेर के जेल अधीक्षक सहित सात प्रहरियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए सरकार को अनुशंसा की है। साथ ही मानवाधिकार उल्लंघनों के पीड़ित कैदियों को अनुतोष राशि प्रदान करने का निर्णय दियाहै। आयोग के सदस्य जस्टिस रामचन्द्र सिंह झाला के द्वारा इस सम्बन्ध में निर्णय दिया गया है। निर्णय में बताया कि राज्य आयोग द्वारा कराई गई जांच में केन्द्रीय कारागृह, अजमेर के तत्कालीन जेल अधीक्षक संजय यादव, प्रहरी दिनेश, सुनील प्रहरी, विक्रम प्रहरी , धर्मेन्द्र प्रहरी, शिशुपाल प्रहरी, अजीत प्रहरी, उम्मेद सिंह प्रहरी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की है। इसमें केंद्रीय कारागृह अजमेर में निरुद्ध बंदी मुकेश उर्फ प्रेम पुत्रा मांगीराम, करण उर्फ बाबू पुत्रा संपत एवं श्यामलाल पुत्रा हरि विनोद को अनुतोष राशि दिए जाने के लिए राज्य सरकार को अनुशंसा की गई है। मानव अधिकार हनन से पीड़ित बंदी मुकेश उर्फ प्रेम एवं निकटतम परिजन को 50 हजार तथा अन्य शेष दो बंदियों को 25-25 हजार की अनुतोष राशि देने के लिए आदेशित किया। आदेश में बताया कि इस राशि का भुगतान तीन माह की अवधि में किया जाए। राज्य सरकार चाहे तो दोषी अधिकारी/कर्मचारीगण से उक्त राशि वसूल कर सकेगी, परन्तु उक्त राशि का भुगतान किसी विभागीय जांच कार्यवाही पर निर्भर नहीं होगा। बता दें कि मुकेश की पत्नी ने आयोग में परिवाद पेश किया और उसके बाद आयोग ने इस मामले में जांच कराई। अब ये फैसला दिया गया।

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