करीब तीन महीने पहले तक किसानाें काे मालामाल कर चुके लहसुन के दाम अब फिर उतार पर हैं। 42 हजार रुपए क्विंटल पर बिका लहसुन अब 3 हजार रुपए पर आ गया। जबकि, अभी नए लहसुन की बाजार में आने की शुरूआत है। आशंका है कि एक माह में ताे यह 800 से एक हजार रुपए क्विंटल तक बिकेगा तब आम लाेगाें काे फुटकर में भी 8 से 10 रुपए किलाे तक मिल सकता है। इस बार प्रदेश में रिकाॅर्ड 7 लाख मीट्रिक टन उत्पादन लहसुन हाेने की संभावना है, जाे पिछले साल से दाेगुना हाेगा। साल 2018 में लहसुन 2 रुपए किलाे तक बिक चुका है। तब 12 किसानाें ने आत्महत्या कर ली थी। धानमंडी स्थित फल सब्जी में व्यापारी आशीक अली का कहना है कि भाव गिरने से व्यापारियाें काे भी नुकसान हुआ है। हमने महंगा लहसुन खरीदा था, जाे अब घाटे में बेचना पड़ रहा। थाेक लहसुन विक्रेता संघ के अध्यक्ष जगदीश सैनी का कहना है कि चीन का लहसुन आने से भाव गिर रहे हैं। गिरते भाव किसानों को चिंतित कर रहे हैं, जिन्होंने काफी उम्मीदें लगा रखी हैं। कीमत लगातार कम हाेने के दाे प्रमुख कारण जानिए प्रदेश में सबसे ज्यादा उत्पादन प्रदेश में लहसुन का 80 फीसदी उत्पादन हाड़ाैती में होता है। इसलिए अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। प्रदेश का 80 फीसदी उत्पादन इस संभाग में हाेता है। भामाशाह कृषि उपज मंडी समिति के अध्यक्ष अविनाश राठी ने बताया कि इस बार उत्पादन अधिक हाे रहा है। ऐसे में भाव गिरने की संभावना है। काेषाध्यक्ष महेश खंडेलवाल का कहना है कि मंडी में नए लहसुन की आवक के साथ भाव गिर रहे हैं।