प्रेस नोट :- सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल 12/03/2025
कोयला मंत्री और विभाग ने बाड़मेर में कोयला खनन को लेकर संसद में झूठी जानकारी दी, भ्रष्टाचार बड़े स्तर पर– बेनीवाल विभाग ने बताया कि बाड़मेर में कोयला खनन होता ही नहीं, लिग्नाइट(कोयला) खनन का हुआ हैं करोड़ों टन खनन लोकतांत्रिक पारदर्शिता, जवाबदेही और नीति निर्माण को लेकर गंभीर नहीं सरकार बाड़मेर में कोयला (लिग्नाइट) खनन को लेकर संसद में कोयला मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी को लेकर सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। लोकसभा में मंत्रालय ने अधिकारियों के माध्यम से दावा किया कि बाड़मेर में कोई कोयला खनन नहीं हो रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि बाड़मेर में लंबे समय से लिग्नाइट की खदानों से खनन किया जा रहा है। सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने कहा लोकसभा सदन में कोयला मंत्रालय ने बाड़मेर में कोयला खनन न होने की जानकारी दी है, जबकि वास्तव में वहाँ लिग्नाइट खनन होता है, यह गंभीर विषय है। गलत जानकारी प्रशासनिक लापरवाही है। सच्चाई छिपाने का प्रयास किया हैं इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। लोकसभा सदन में कोयला मंत्रालय ने अधिकारियों के मार्फत बाड़मेर में कोयला खनन न होने की जानकारी झूठी दी जहां लिग्नाइट कोयला खनन की खदानों में खनन होता हैं फिर भी जानकारी में कोई कोयला खनन न होना बताया गया हैं यह बिल्कुल झूठ है। बेनीवाल ने कहा बाड़मेर की लिग्नाइट खदानों से निकलने वाला कोयला विभिन्न औद्योगिक एवं ऊर्जा उत्पादक इकाइयों के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है। ऐसे में देश की संसद में यह जानबूझकर किया गया है सरकार तत्काल संज्ञान लेकर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। इस प्रकार की झूठी और भ्रामक जानकारी प्रस्तुत किया जाना न केवल संसद की गरिमा ही नहीं, सांसद के विशेषाधिकारों का हनन है। यह मामला लोकतांत्रिक पारदर्शिता, जवाबदेही और नीति निर्माण को प्रभावित करता है। गलत जवाब देकर किया जा रहा है गुमराह बेनीवाल ने कहा- ऐसे जनप्रतिनिधियों को गुमराह करना के साथ स्थानीय जनता और खनन उद्योग पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे केन्द्र और राज्य सरकार को राजस्व घाटा भी हो रहा हैं यह बहुत बड़ा अरबों रुपए का घोटाला हैं। बेनीवाल ने कहा सरकार इस गलत जानकारी पर तुरंत स्पष्टीकरण देना चाहिए और दोषी अधिकारियों पर तुरंत कारवाई करनी चाहिए। सरकार द्वारा उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर बाड़मेर में हो रहे लिग्नाइट खनन के वास्तविक आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं। सांसद बेनीवाल ने कोयला खदानें आवंटित करने पर खड़े किए सवाल सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने संसद में बाड़मेर में लिग्नाइट कोयला खनन के संबंध में प्रश्न उठाया है, जिसमें उन्होंने राजवेस्ट पावर लिमिटेड और JSW ग्रुप को कंपनियों को थर्मल प्लांट संचालित करने के लिए उनकी आवश्यकता से अधिक मात्रा में जालीपा और कपूरड़ी दो खदानों में खनन की अनुमति क्यों दी गई है। जिनको 30 साल तक थर्मल प्लांट संचालित करने के लिए 300 मिलियन मीट्रिक टन लिग्नाइट कोयला खनन की ही आवश्यकता हैं तो 500 मैट्रिक टन की दो कपूरड़ी और जालीपा खदानें क्यों आवंटित की जबकि जालीपा एक खदान पर्याप्त हैं। बेनीवाल ने कहा- सरकारी गिरल थर्मल प्लांट घाटे में नौ साल से बंद पड़ा जंग खा रहा, जिंदल समूह आवंटित खदान से दिया जाए कोयला सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने कहा जिंदल समूह की मनमानी आवश्यकता से ज्यादा कोयला खदानें आवंटित कर कर दी गई है। इसका मुख्य कारण गिरल खदान से निकाले जाने वाले लिग्नाइट कोयले में सल्फर की उच्च मात्रा है। जिस कारण उपयुक्त गुणवतापूर्ण कोयला नहीं मिलने के कारण पिछले नौ साल 2016 से सरकारी प्लांट घाटे में है बंद पड़ा जंग खा रहा हैं। जिसका घाटा लगभग 2500 करोड़ पहुंच चुका हैं और इस प्लांट के बंद होने से बिजली उत्पादन में भी तकनीकी समस्याएं उत्पन्न हुईं हैं। सांसद ने लगाए सरकार पर आरोप प्रशासनिक अधिकारियों और सरकार की मंशा सिर्फ निजी कंपनी को फायदा पहुंचाना है। क्योंकि केन्द्र सरकार ने नियम विरुद्ध सालों तक लाखों टन अवैध कोयला खनन करने वाली जिंदल समूह पर जुर्माना न लगाकर उपहार स्वरूप कपूरड़ी और जालीपा दो खदानें आवंटित कर दी। और न कोई रेट निर्धारित कर रखी हैं धड़ल्ले से मनमानी से खनन हो रहा हैं।
इसके अलावा जिंदल साउथ वेस्ट ग्रुप अपनी मनमानी कर रहा हैं। सरकारी थर्मल प्लांट संचालित करने के कोयला भी नहीं दे रहा हैं। बेनीवाल ने सरकार से मांग करते हुए कहा जिंदल समूह आवंटित खदान से कोयला दिया जाए। जिससे सरकारी थर्मल प्लांट दुबारा शुरू किया जा सके और बिजली उत्पादन की समस्या से भी निजात मिलेगी।
