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पुष्टिमार्ग की प्रधान पीठ श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा में होली मंगरा पर इस बार होलिका दहन शुक्रवार सुबह मंगला से पूर्व किया जाएगा।
वही पुष्टिमार्ग की तृतीय पीठ श्री द्वारिकाधीश मंदिर कांकरोली में भी शुक्रवार सूर्योदय से पूर्व होली थड़ा पर होली का दहन किया जाएगा। जानकारी के अनुसार नाथद्वारा में जब भी शाम के समय होली का डंडा रोपा जाता है तब परम्परानुसार होली का दहन सुबह सूर्याेदय से पूर्व किया जाता है। नाथद्वारा में मेवाड़ की सबसे ऊंची होली का दहन होता है। जिसे बनाने के लिए दिन-रात दिन श्रमिक कांटे की गठरिया जमाते है। इस दौरान करीब 1000 कांटे की गठरियों को जमाने के बाद होली का स्वरूप विशाल हो जाता है। जो करीब 2 मंजिला दिखाई देता है। कार्य करने वाले श्रमिक प्रभुलाल माली के अनुसार वे कई सालों से इसी प्रकार हर साल इस होलिका के निर्माण करते आ रहे है, इस कार्य मे 15 से 20 दिन का समय लगता हैं, करीब 15 लोग इस काम मे लगते है और करीब सौ से अधिक महिला श्रमिक कांटे लाने का कार्य करती है पूरी बनाने पर यह होली 40 फीट के व्यास में करीबी 30 से 35 फीट ऊंची होती है, इसमें एक हजार से तेरह सो कांटों की मथारिया लगती है । महिला श्रमिक मांगीबाई ने बताया कि सौ से अधिक महिलाएं नाथुवास स्थित श्रीनाथजी के बीड़े से कांटे लाती, इस वर्ष लगभग 1000 से अधिक कांटों की गठरियों से इसका निर्माण किया गया। इस होली को देखने बाहर से भी दर्शनार्थी आते है ये क्षेत्र की सबसे बड़ी होली होती है, होली के प्रज्वलन के बाद लगभग पचास से साठ फीट उची लपटे उठती है जिससे पूरा नगर प्रकाशित हो जाता है।

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