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मार्च में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 3.8%-4% पर जा सकती है। इससे एक महीने पहले फरवरी में महंगाई 7 महीने के निचले स्तर 3.61% पर आ गई थी। वहीं जनवरी 2025 में महंगाई 4.31% थी। सांख्यिकी मंत्रालय कल यानी, मंगलवार 15 अप्रैल को महंगाई के आंकड़े जारी करेगा। सब्जियों की कीमतों में मिलाजुला रुख है, जबकि सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। यानी, खाने-पीने की महंगाई स्थिर रहने की उम्मीद है, लेकिन अन्य चीजों की महंगाई थोड़ी बढ़ सकती है। महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। फरवरी में रिटेल महंगाई: महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है? महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी। इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी। CPI से तय होती है महंगाई एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है। कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मेन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।

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