नक्सलियों को अपनी वीरता का लोहा मनवाने के लिए राजस्थान के जवान को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। बेटे को जब 22 मई अवॉर्ड मिलने की घोषणा हुई तो पिता भी खुशी से झूम उठे। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में असिस्टेंट कमांडेंट बेटे के साथ पिता भी 20 मई को बांसवाड़ा से दिल्ली के लिए रवाना हुए, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। कमांडेंट राजेश पांचाल के परिवार की खुशियां मातम में बदल गई। इसके बाद भी उन्होंने नेशनल ड्यूटी को ऊपर रखा। पिता का अंतिम संस्कार कर अगले ही दिन वे अवॉर्ड लेने के लिए दिल्ली पहुंचे। कोटा में तबीयत बिगड़ी, वहीं मौत कमांडेंट राजेश पांचाल घाटोल (बांसवाड़ा) से पिता केशव चंद्र के साथ 20 मई को चित्तौड़गढ़ पहुंचे थे। यहां से वे दिल्ली जाने के लिए ट्रेन में बैठे थे। वे 21 मई को कोटा पहुंचे ही थे कि पिता की तबीयत अचानक बिगड़ गई। कोटा में वे पिता को अस्पताल ले गए जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। राजेश अपने पिता के पार्थिव शरीर को कोटा से लेकर अपने गांव खमेरा लौटे। वहां अंतिम संस्कार की विधि पूरी की। सम्मान लेने के दौरान भावुक हुए पिता को अंतिम विदाई देने के बाद कमांडेंट राजेश पांचाल 21 मई की शाम को ही दिल्ली के लिए रवाना हो गए। उन्होंने उदयपुर से दिल्ली के लिए फ्लाइट ली। अगले दिन 22 मई को उन्होंने नम आंखों से शौर्य चक्र राष्ट्रपति के हाथों प्राप्त किया। देश से मिले सम्मान को पाने का गर्व उनकी आंखों में था, लेकिन पिता के साथ नहीं होने का दुख भी था। गोली लगने के बाद भी नक्सलियों को मार गिराया राजेश पांचाल को शौर्य चक्र नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान कुशल नेतृत्व और अदम्य साहस के लिए दिया गया। नक्सलियों ने उनके दल पर भारी गोलीबारी की थी। इस दौरान राजेश पांचाल के हाथ पर और उनके साथी मलकीत सिंह को सीने पर गोली भी लगी। राजेश ने हार नहीं मानी और लगातार डटकर सामना किया। खुद घायल होने के बावजूद उन्होंने साथी मलकीत सिंह को भी संभाला। सभी नक्सली को घंटों की मशक्कत से बाद उन्होंने मार गिराया।