महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर चित्तौड़गढ़ जिले के भूपालसागर कस्बे में वीरता और स्वाभिमान का प्रतीक एक अनूठा ऐतिहासिक सर्कल लोकार्पित किया गया। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा गुरुवार को भूपालसागर पहुंचे, जहां उन्होंने बूल चौराहा पर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण किया। अब इसको महाराणा प्रताप सर्किल के नाम से भी जाना जाएगा। मुख्यमंत्री ने जैसे ही महाराणा प्रताप की चेतक पर सवार प्रतिमा का परदा हटाया, वातावरण ‘महाराणा प्रताप अमर रहें’ ‘ महाराणा प्रताप की जय’ के जयघोष से गूंज उठा। यह समारोह प्रताप जयंती के दिन आयोजित होने से और भी खास बन गया। मेवाड़ की गौरवगाथा को साकार करती मूर्तियां इस सर्किल पर केवल महाराणा प्रताप ही नहीं, बल्कि उनके जीवन से जुड़े चार उनके पिता महाराणा उदयसिंह, धाय मां पन्ना धाय, उनके सहयोगी रहे वीर योद्धा राणा पूंजा और पन्ना धाय के पुत्र चंदन सिंह की भी प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। यह देश और प्रदेश का पहला ऐसा चौराहा बन गया है, जहां मेवाड़ के इतिहास की इतनी महत्वपूर्ण शख्सियतों की मूर्तियां एक साथ स्थापित की गई हैं। इन मूर्तियों के माध्यम से न सिर्फ महाराणा प्रताप की वीरता, बल्कि उनके परिवार और सहयोगियों के योगदान को भी अमर किया गया है। यह सर्किल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनेगा। जयपुर में तैयार हुईं मूर्तियां, जनसहयोग से हुआ निर्माण घन मेटल से बनी ये मूर्तियां जयपुर के कारीगरों द्वारा महीनों की मेहनत से तैयार की गईं। कुछ दिन पहले ये मूर्तियां भारी गाड़ियों से भूपालसागर लाई गई थीं और पहले से निर्मित प्लेटफार्म पर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना के साथ स्थापित की गईं। इस प्रकल्प में लगभग 21 लाख रुपए का खर्च आया, जिसे जनसहयोग से जुटाया गया। सबसे भारी मूर्ति महाराणा प्रताप की है, जिसका वजन करीब 3 टन है और सवा 15 फीट ऊंचा भी है। चेतक पर सवार प्रताप की यह प्रतिमा क्षेत्र के इतिहास प्रेमियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनेगी।

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