तहसीलदार पदोन्नति का पद है। जहां, सीधी भर्ती से आए नायब तहसीलदार, पटवारी और राजस्व विभाग के मंत्रालयिक कर्मचारी पदोन्नत होकर आते हैं। नायब तहसीलदार और पटवारी की भर्ती में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता स्नातक है, जबकि जो राजस्व विभाग के मंत्रालयिक कर्मचारी पदोन्नत होकर सीधे तहसीलदार बन रहे हैं, उनकी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मांगी ही नहीं जा रही। ऐसे में 10वीं परीक्षा पास करने की अहर्ता के साथ जो मंत्रालयिक कर्मचारी राजस्व विभाग में भर्ती हुए थे, वे भी अपनी पदोन्नति के साथ तहसीलदार बन रहे हैं। यह नियमों के विरुद्ध नहीं है। लेकिन, शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठ रहे हैं। विसंगति का आलम यह है कि एक 10वीं पास चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बाबू यानी कनिष्ठ सहायक तब बन सकता है, जब वह 12वीं पास कर ले। जबकि एक 10वीं पास कनिष्ठ सहायक पदोन्नत होकर तहसीलदार बन सकता है। नियमों में उसकी न्यूनतम स्नातक की शैक्षणिक योग्यता का जिक्र नहीं किया गया है। वरिष्ठता सूची में योग्यता का प्रावधान कार्मिक विभाग की ओर से समय-समय पर हर विभाग-बोर्ड से अपने अधिकारी-कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची जारी करने के लिए एक प्रारूप निर्धारित है। इसमें कर्मचारी का एंप्लॉई कोड, नाम, वर्ग, जन्मतिथि, वर्ष और योग्यता के साथ विशेष विवरण स्पष्ट तौर पर लिखा गया है। यह है पद्दोन्नति के प्रावधान असल में कार्यपालक मजिस्ट्रेट के 50 प्रतिशत पद नायब तहसीलदार (न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता स्नातक) से पदोन्नति से भरे जाते हैं। जबकि 25 प्रतिशत रेवेन्यू बोर्ड के सहायक प्रशासनिक अधिकारी और 25 प्रतिशत पद कानूनगो- मुंसरिम आदि के पदोन्नत होने से भरे जाते हैं। इनके लिए न्यूनतम 5 वर्ष कार्य का अनुभव मांगा गया है। जबकि नायब तहसीलदार के लिए स्नातक योग्यता का जिक्र किया गया है।