फैमिली हॉस्टल में रह रहे एक रेजिडेंट डॉक्टर ने शुक्रवार को सल्फॉस की गोलियां खाकर सुसाइड का प्रयास किया। इसके बाद एमडीएम अस्पताल की मेडिकल इमरजेंसी में पहुंचें। इस दौरान उन्होंने बताया कि उन्होंने सल्फॉस की गोलियां खा ली है। मरीज का गेस्टिक लवाज किया गया ताकि गोलियां से बनने वाली गैस को बाहर निकाला जा सके। जिससे उनके ऑर्गेन पर होने वाले प्रभाव को कम किया जा सके। इसके बाद मरीज को मल्टीलेवल आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया इसके बाद डॉक्टर को बचाने के लिए एसएमएस जयपुर भेजने का प्लान किया गया। गोल्डन टाइम में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एसएमएस अस्पताल जयपुर के लिए भेजा गया। एमडीएम अस्पताल मल्टीलेवल आईसीयू से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एसएमएस जयपुर के लिए रवाना किया। एम्बुलेंस में डॉक्टर्स एवं नर्सिंग स्टाफ की ट्रेंड टीम साथ में थीं। वहीं मेडिकल कॉलेज प्राचार्य एवं नियत्रंक डॉ. बीएस जोधा द्वारा कुछ ही मिनटों में ग्रीन कोरिडोर की व्यवस्था करवा मरीज को रवाना करवा दिया गया। मरीज करीब 5 घण्टे में जयपुर पहुंच गया। मरीज को आईसीयू में शिफ्ट किया गया है। जहां मरीज की हालात नाजुक बनी हुई है। डिप्रेशन के चलते ले रहे थे थेरेपी जानकारी के अनुसार डॉक्टर की एक साल पूर्व ही शादी हुई है। वह पिछले दो साल से डिप्रेशन के चलते मथुरादास माथुर अस्पताल के मानसिक रोग विभाग से दवाइयां और थेरेपी ले रहे हैं। गौरतलब है कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते फेमिली हॉस्टल में उनकी मॉ एवं पत्नी में कोई एक हमेशा उनके साथ ही रहता था। जोधपुर में नहीं ईसीएमओ मशीन मेडिकल कॉलेज से संबंध हॉस्पिटल और जोधपुर एम्स ईसीएमओ मशीन की सुविधा नहीं होने के चलते रेजीडेंट डॉक्टर को जयपुर भेजना पड़ा। एमडीएम अस्पताल अधीक्षक व एनेस्थेसिया विशेषज्ञ डॉ. स विकास राजपुरोहित ने बताया कि ईसीएमओ न (एक्स्ट्राकॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) एक प्रकार का कृत्रिम जीवन समर्थन होता है, जो ऐसे व्यक्ति की मदद कर सकता है जिसके फेफड़े और हृदय ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। यह प्रक्रिया लगातार मरीज के शरीर से रक्त को बाहर निकालती है और इसे उपकरणों की एक श्रृंखला के माध्यम से भेजती है, जो ऑक्सीजन जोड़ते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड निकालते हैं। फिर मशीन रक्त को शरीर में वापस पंप करती है।