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इजरायल-ईरान तनाव के कारण 16 जून से शुरू होने वाला हफ्ता शेयर बाजार के लिए काफी अहम रहने वाला है। इस तनाव के अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक, मानसून की प्रगति से लेकर विदेशी निवेशकों का रुख और टेक्निकल फैक्टर्स बाजार की दिशा तय करेंगे। ऐसे में ये फैक्टर्स बाजार में निवेश करने वालों के लिए काफी अहम हेने वाले हैं। इसके अलावा वेल्थव्यू एनालिटिक्स के वीकली मार्केट आउटलुक में कुछ खास समय और स्तर बताए गए हैं, जो ट्रेडर्स के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। आइए, आसान भाषा में इसे समझते हैं… निफ्टी के अहम स्तर और समय वेल्थव्यू एनालिटिक्स के डायरेक्टर हरशुभ शाह ने वीकली मार्केट आउटलुक में कुछ खास स्तर और समय बताए हैं: सपोर्ट जोन: 24,480 | 24,443 | 24,380 | 24,142 सपोर्ट यानी, वह स्तर जहां शेयर या इंडेक्स को नीचे गिरने से सहारा मिलता है। यहां खरीदारी बढ़ने से कीमत आसानी से नीचे नहीं जाती। अगर निफ्टी इन स्तरों तक गिरता है, तो खरीदारी का मौका मिल सकता है। खासकर 24,480 और 24,443 मजबूत सपोर्ट हैं। रेजिस्टेंस जोन: 24,850 | 24,980 | 25,085 | 25,322 रेजिस्टेंस यानी, वह स्तर जहां शेयर या इंडेक्स को ऊपर जाने में रुकावट आती है। ऐसा बिकवाली बढ़ने से होता है। अगर निफ्टी 24,850-25,085 के जोन को तोड़ता है, तो तेजी का रुझान बन सकता है। 25,085 एक अहम रेजिस्टेंस है, जिसे पिछले हफ्ते टेस्ट किया गया था। ट्रेडर्स इन लेवल्स और टाइम का इस्तेमाल इंट्राडे ट्रेडिंग में खरीदने, बेचने और बाजार में तेज हलचल यानी, मोमेंटम पकड़ने के लिए कर सकते हैं। हरशुभ शाह ने कहा कि हमारी बीते हफ्ते की रिपोर्ट में जो टाइम और लेवल्स बताए गए थे बाजार ने भी ठीक वैसा ही प्रदर्शन किया। अब 5 फैक्टर्स जो बाजार की दिशा तय कर सकते हैं… 1. इजराइल-ईरान तनाव बीते हफ्ते इजरायल-ईरान तनाव से कच्चे तेल की कीमते 10% तक बढ़ गई। अगर यह तनाव और बढ़ता है, तो तेल की कीमतें और उछल सकती हैं। तेल की कीमतें बढ़ने का मतलब है महंगाई बढ़ेगी। इससे तेल आयात करने वाले देशों की इकोनॉमी पर बुरा असर पड़ता है। निवेशकों में डर है कि अगर तेल महंगा हुआ तो कंपनियों की लागत बढ़ेगी, मुनाफा घटेगा। फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म MST मार्की के सीनियर एनर्जी एनालिस्ट सॉल कावोनिक ने कहा- अभी ये कहना जल्दबाजी होगी कि तेल की सप्लाई पर असर पड़ेगा। सबसे खराब हालत में ईरान स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को ब्लॉक कर सकता है, जिससे रोजाना 2 करोड़ बैरल तेल की सप्लाई रुक सकती है। लेकिन अभी सिर्फ डर के कारण कच्चे तेल में उछाल है। 2. थोक महंगाई का डेटा इस हफ्ते भारत की थोक महंगाई का डेटा (WPI) आएगा, जो बाजार के लिए बहुत अहम है। इससे पहले 12 जून को रिटेल महंगाई का डेटा जारी किया गया था। रिटेल महंगाई मई में 2.82% पर आ गई है। ये 6 साल का निचला स्तर है। अप्रैल महीने में थोक महंगाई 2.05% से घटकर 0.85 % पर आ गई थी। ये महंगाई का 13 महीनों का निचला स्तर है। इससे पहले मार्च 2024 में महंगाई 0.53% पर थी। 3. मानसून की प्रगति मानसून का सीजन चल रहा है और इसका असर खेती और बाजार दोनों पर पड़ता है। अच्छा मानसून FMCG और कृषि से जुड़ी कंपनियों के लिए सकारात्मक है, क्योंकि इससे ग्रामीण मांग बढ़ती है। इस साल मानसून के सामान्य से बेहतर होने की उम्मीद है, जो बाजार को सपोर्ट दे सकता है। लेकिन अगर मानसून कमजोर पड़ता है, तो यह नकारात्मक असर डाल सकता है। 4. विदेशी निवेशकों का रुख जून में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) ने 4,812 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं। अगर यह ट्रेंड जारी रहता है, तो निफ्टी और सेंसेक्स पर दबाव बढ़ेगा। लेकिन अगर वैश्विक बाजारों में सकारात्मक संकेत मिलते हैं तो FPI दोबारा निवेश शुरू कर सकते हैं। 5. अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक इस हफ्ते होने वाली अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक पर निवेशकों की नजर है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की टिप्पणियां बाजार की दिशा तय करेंगी। अगर ब्याज दरों में कटौती का संकेत मिलता है, तो विदेशी निवेश बढ़ सकता है, जो बाजार के लिए सकारात्मक होगा। लेकिन अगर दरें स्थिर रहती हैं या सख्त नीति अपनाई जाती है, तो बाजार पर दबाव बढ़ेगा। इन पांच मुख्य कारणों के अलावा, कई अन्य घटनाएं भी बाजार के लिए अहम होंगी। जैसे कि 15-17 जून को कनाडा के अल्बर्टा में होने वाला जी-7 शिखर सम्मेलन, 17 जून को बैंक ऑफ जापान का नीतिगत फैसला और 16 जून को आने वाला ट्रेड बैंलेस का डेटा। सेंसेक्स 573 अंक गिरकर 81,118 पर बंद हुआ था 13 जून को शेयर बाजार में गिरावट रही थी। सेंसेक्स 573 अंक गिरकर 81,118 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं निफ्टी में भी करीब 169 अंक की गिरावट रही थी, ये 24,718 के स्तर पर बंद हुआ था। सेंसेक्स के 30 शेयरों में 4 में तेजी और 26 शेयर में गिरावट रही। बैंकिंग, ऑयल एंड गैस, ऑटो और IT शेयर ज्यादा गिरे।

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