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काले बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं। बारिश का दौर जारी है। नदियों में पानी की आवक होने लगी है। राजस्थान के कई हिस्से तर-बतर हैं। सबसे पहले आपको जालोर की खारी नदी की एक तस्वीर दिखाते हैं। जिसमें रपट पर 3 फीट तक पानी की चादर चल रही है। कुछ लोग इसी पानी से गुजर रहे हैं। जान जोखिम में है। ऐसी लापरवाही आफत को न्योता देती है… SDRF के एक्सपर्ट जवानों ने बताया- कैसे बचाते हैं जान पाली में साल 2024 में बारिश के दौरान SDRF (स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स) की टीम ने 96 लोगों को रेस्क्यू कर उनकी जान बचाई थी। 9 सदस्यीय दल पाली पहुंचा, जान बचाने को तैयार इस बार राजस्थान में मानसून की एंट्री 7 दिन पहले हो गई है। ऐसे में 9 एक्सपर्ट SDRF जवानों का दल पाली पहुंच चुका है। ये 9 जवान हैं- इंचार्ज ओमदान चारण, श्रवणराम, रामसुख ढाका, मनिंदर सिंह, रामकिशोर सैनी, भिसनाराम, वालाराम, विनोद कुमार और घमूराम। देवदूत बनकर पानी में फंसे लोगों की जान बचाने का काम करने वाली ये टीम मुस्तैद है। प्रदेश के 28 जिलों में SDRF की 51 टीमें अपने-अपने साजो-सामान के साथ लोगों को बचाने पहुंच गई हैं। पाली की टीम भी इन्हीं में से एक है। पाली पहुंची टीम के इंचार्ज ओमदान चारण ने बताया- अप्रैल के दूसरे सप्ताह से हमारी ट्रेनिंग शुरू हो जाती है। इसके बाद जिलों में टीमें भेजे जाने तक लगातार ट्रेनिंग दी जाती है। इस ट्रेनिंग में इक्विपमेंट (उपकरणों) का सही इस्तेमाल करना सिखाया जाता है। खुद को बचाते हुए लोगों को संकट से निकालना हमारी प्राथमिकता है। इसलिए हम सारे रूल-रेगुलेशन फॉलो करते हैं। उपकरण हमारी ट्रेनिंग का खास हिस्सा होते हैं। मुंबई-कोलकाता में होती है ट्रेनिंग ओमदान चारण ने बताया- राजस्थान SDRF के 800 जवान हैं। जयपुर को छोड़कर हर संभाग मुख्यालय पर 100 जवानों की टीम रहती है। पाली जिले में मानसून के दौरान आपदा में फंसे लोगों को रेस्क्यू करने की जिम्मेदारी हमारी है। सूचना मिलते ही हम तमाम उपकरण के साथ मौके पर रवाना होते हैं। लोगों को बचाना ही हमारा काम और पेशा है। साल 2018 से 2024 तक बाढ़ आपदाओं के दौरान SDRF की अलग-अलग टीमों ने राजस्थान के विभिन्न जिलों में 316 ऑपरेशन चलाकर 12 हजार 353 लोगों की जान बचाई। ऐसे करने के लिए खास ट्रेनिंग की जरूरत होती है। इसके लिए SDRF के जवानों को NDRF (नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स) के नागपुर, भटिंडा, गुजरात, आंध्रप्रदेश ट्रेनिंग सेंटर भेजा जाता है। साथ ही लाइफ सेविंग सोसाइटी कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और मुम्बई (महाराष्ट्र) में ITUS संस्था की ओर से ट्रेनिंग दी जाती है। जहां इन्हें पानी में ज्यादा देर तक तैरने के गुर, नदी क्रॉस करने, डीप डाइविंग करने, रोप से रेस्क्यू करने, घायलों का प्राथमिक उपचार देने, रासायनिक खतरों से बचते हुए रेस्क्यू करने के बारे में सिखाया जाता है। SDRF के मनिंदर सिंह ने बताया- पिछले साल 2024 में पाली में SDRF की टीम ने रेस्क्यू कर 96 लोगों की जान बचाई थी। 5 बॉडी पानी से निकाली थी और पानी से घिरे 8 पशुओं का सफल रेस्क्यू किया था। ये उपकरण जिनकी मदद से जान बचाती है SDRF… इसके अलावा हर टीम के पास डीप डाइविंग सूट भी होता है। यह मुख्यालय पर उपलब्ध होता है। इसकी जरूरत तब पड़ती है जब गहरे पानी में गोता लगाकर किसी की जान बचानी हो। इस सूट के साथ ऑक्सीजन सिलेंडर अटैच होते हैं। इसके अलावा SDRF के जवान अपने साथ एक मेडिकल किट भी रखते है। जिसमें दवाओं के अलावा खास उपकरण होते हैं जिनकी मदद से कमर और गर्दन को सीधे रखा जा सकता है। प्राथमिक उपचार का सारा सामान भी इस किट में होता है। घायल हुए लोगों को टीम प्राथमिक उपचार मौके पर ही देती है। इसके लिए भी इन्हें खास तौर पर ट्रेंड किया जाता है।

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