अजमेर में नगर निगम की कार्रवाई के खिलाफ 30 से ज्यादा स्ट्रीट वेंडर्स ने कोर्ट की शरण ली है। स्ट्रीट वेंडर्स की ओर से पेश की गई याचिका पर मंगलवार को सिविल न्यायाधीश एवं (कनिष्ठ खंड) उत्तर अजमेर कोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायालय ने जिला कलेक्टर लोकबंधु और नगर निगम प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए कहा है। एडवोकेट विवेक पाराशर ने बताया कि आनासागर नई चौपाटी पर काम करने वाले स्ट्रीट वेंडर्स की ओर से कोर्ट में दावा पेश किया गया था। इस मामले में कोर्ट ने अर्जी को स्वीकार किया। कोर्ट ने माना कि मामला अति आवश्यक प्रकृति का है। जिसे समर वेकेशन कोर्ट में सुना जाना चाहिए। कोर्ट ने इसे अति गंभीर मामला मानते हुए नगर निगम और जिला कलेक्टर को नोटिस जारी किए है। पाराशर ने बताया कि नोटिस में नगर निगम और जिला कलेक्टर के प्रतिनिधि इस मामले में अपना जवाब और दस्तावेज पेश करने के लिए कहा गया है। इस दौरान दोनों पक्षकारों के प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे। चौपाटी के मतलब को समझना जरूरी विवेक पाराशर ने कहा कि चौपाटी का मतलब यही है कि जहां आदमी घूम सके और व्यंजन का लुत्फ उठा सके और मनोरंजन कर सके। लेकिन जब चौपाटी से व्यंजन और मनोरंज के साधन हटा देंगे तो वह सिर्फ आना सागर ही कहलाएगा चौपाटी नहीं कहलाएगी। इसके मतलब को समझना जरूरी है। पढ़े-लिखे लोग यहां पर ठेला लगाकर काम कर रहे हैं। सभी को अपनी आजीविका कमाना मौलिक और संवैधानिक अधिकार है। सिविल राइट्स का हनन करने का काम किया जा रहा है। बिना नोटिस देकर की कार्रवाई स्ट्रीट वेंडर गगनदीप ने बताया कि करीब 18 तारीख से सभी स्टेट वेंडर्स को परेशान किया जा रहा था। सभी स्ट्रीट वेंडर्स शुल्क देने को भी राजी है। रसीद काटने के 2 दिन बाद ही हम सभी को वहां से शिफ्ट करने के लिए कह दिया। लेकिन बिना नोटिस देकर यह कार्रवाई की गई। इसके लिए हमें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी है। हम सभी यही चाहते हैं कि हमें वहीं पर अपना रोजगार करने दिया जाए। यह खबर भी पढ़ें…… अजमेर में स्ट्रीट वेंडर्स पहुंचे कोर्ट:बोले- रोजगार पर संकट आ चुका, कर्ज के कारण सुसाइड करने पर मजबूर

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