शहर में लगातार मूसलाधार बारिश का दौर जारी है। मंगलवार दोपहर तक बादलों की आवाजाही रही, लेकिन दोपहर में अचानक माैसम पलटा और घनघोर घटाएं बरसने लगीं। करीब दाे घंटे तक पूरे शहर में बदरा तेज गर्जना के साथ झूमकर बरसे। दाे घंटे में 77.8 मिमी यानि 3 इंच से ज्यादा पानी बरसा। सीजन की सबसे मूसलाधार बारिश के चलते पूरे शहर की सड़कें जलमग्न हाे गईं और पूरा शहर जाम हाे गया। 1971 में 6.8 इंच के बाद जून माह में एक दिन में सर्वाधिक बारिश हुई है। वहीं पिछले दस साल 2015 से 2024 तक एक दिन में सबसे ज्यादा बारिश 21 जून 2022 को 1.8 इंच पानी बरसा था। मंगलवार काे गोपालपुरा, टोंक रोड, मालवीय नगर, सांगानेर, चारदीवारी, दिल्ली रोड, आगरा रोड, कालवाड़ रोड, सीकर रोड पर तेज बारिश का दौर चला। अब तक 129.43 मिमी पानी बरस चुका
इस सीजन में अब तक 129.43 मिमी बारिश हाे चुकी है, जो जयपुर में औसत से 257.93 फीसदी ज्यादा है। 24 जून तक औसत बारिश का आंकड़ा 36.16 मिमी है। प्रदेश के पूर्वी इलाकों में बारिश की गतिविधियां अगले एक सप्ताह जारी रहेगी। इस दाैरान कहीं-कहीं भारी बारिश होने की प्रबल संभावना है। 26 से 29 जून के बीच बारिश की गतिविधियों में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। पारा 2 डिग्री बढ़ा, पर औसत से 5 डिग्री कम
लगातार बारिश के चलते गर्मी से राहत है। हालांकि 24 घंटे में राजधानी जयपुर का पारा 2 डिग्री बढ़कर 33.9 डिग्री पहुंच गया। यह सामान्य से 5 डिग्री कम है। वहीं न्यूनतम तापमान 0.7 डिग्री गिरावट के साथ 25.7 डिग्री रिकाॅर्ड हुअा। मौसम विभाग का अनुमान है कि बंगाल की खाड़ी में बैक टू बैक सिस्टम डवलप होने से 30 जून तक जयपुर सहित आसपास के इलाकों में मानसून सक्रिय रहेगा। इस दौरान मध्यम से तेज बारिश का अनुमान है। गूणी में ‘आफत’ खोदकर छोड़ी, टैम्पो फंसा, ढाई घंटे अटके रहे लोग घाट की गूणी में ट्रांसपोर्ट नगर पुलिया से घाट की गूणी की ओर जाने वाले रास्ते में खुदाई चल रही है। यहां सिसोदिया रानी बाग तक सड़क खुदी है। ढलान होने के कारण मंगलवार को बारिश के दौरान पानी का बहाव ज्यादा हो गया। इससे वाहन एक लाइन में चलते रहे और जाम की स्थिति बन गई। इस दौरान लोडिंग टैम्पो खुदी हुई सड़क में फंस गया। इसके बाद गूणी का रास्ता जाम हो गया। करीब ढाई घंटे तक जाम रहा। दोनों तरफ का रास्ता बंद हो गया। काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने जाम खुलवाया। इस दौरान ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया। लोडिंग वाहन टोल बचाने के चक्कर में गूणी के रास्ते निकलते हैं।
