चित्तौड़गढ़ में हर महीने अमावस्या पर एक अनोखी और प्रेरणादायक परंपरा निभाई जा रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पर्यावरण गतिविधि की ओर से संगम महादेव मंदिर पर “हरित मिलन कार्यक्रम” का आयोजन किया जाता है, जहां सेवाभावी लोग मिलकर नदी तटों की सफाई करते हैं, पौधों की देखभाल करते हैं और पर्यावरण को बचाने का संकल्प लेते हैं। हरित मिलन प्रमुख बालकिशन भोई ने जानकारी दी कि इस आयोजन में गंभीरी और बेड़च नदियों के संगम स्थल पर फैली गंदगी को हटाया गया। कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में प्लास्टिक की बोतलें, खाली पॉलिथीन थैलियां और अन्य कचरा एकत्रित किया। इसके साथ ही घाट की सफाई कर उसे स्वच्छ और सुंदर बनाया गया। सफाई के बाद बैठक का हुआ आयोजन
इस दौरान वहां पहले से लगाए गए पौधों की भी सजगता से देखभाल की गई। पौधों को पानी देना, उनकी सफाई करना और आसपास की मिट्टी को मजबूत करना जैसे कार्य किए गए ताकि वे स्वस्थ रूप से बढ़ सकें।
सफाई के बाद एक बैठक का आयोजन भी हुआ, जिसमें जिला संयोजक सतीश सोनी ने सभी कार्यकर्ताओं को बायो एंजाइम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बायो एंजाइम एक जैविक तरीका है, जिससे गंदगी को साफ किया जा सकता है और यह पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। उन्होंने इस तकनीक को आम जनजीवन में अपनाने का सुझाव दिया। हर अमावस्या के दिन संगम महादेव घाट पर करेंगे सफाई
बैठक में यह जरूरी फैसले भी लिया गया कि जिन ट्री गार्ड में अब पौधे बड़े हो चुके हैं, उन्हें हटाकर वहां नए पौधे लगाकर उन ट्री गार्ड का दोबारा उपयोग किया जाएगा। इससे संसाधनों की बचत होगी और अधिक पौधारोपण संभव हो सकेगा। इस मौके पर पर्यावरण गतिविधि प्रमुख गोपाल कृष्ण दाधीच, धार्मिक गतिविधि प्रमुख गोविंद सोनी, किराणा व्यापार मंडल अध्यक्ष ओमप्रकाश लड्डा सहित कई अन्य सेवाभावी कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इन कार्यकर्ताओं में सुरेश भोई, गोपाल भोई, रतन भोई, राजू भोई, कालू भोई, भेरू भोई, पिंटू भोई और पप्पू भोई प्रमुख रूप से शामिल थे।
अंत में सभी ने मिलकर संकल्प लिया कि वे हर महीने अमावस्या के दिन संगम महादेव घाट पर आकर स्वच्छता और पर्यावरण की सेवा करेंगे। साथ ही लोगों को भी जागरूक करेंगे कि वे नदियों में कचरा न डालें और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में अपनी भूमिका निभाएं।
