अमेरिका में सरकारी डिवाइसेस पर वॉट्सएप के इस्तेमाल करने पर बैन लगा दिया गया है। अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (वहां की संसद का निचला सदन) के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर (CAO) ने एक आदेश जारी किया, जिसमें लिखा था ‘व्हाट्सएप को अब किसी भी सरकारी डिवाइस पर यूज नहीं किया जा सकता। इसमें एप के तीनों वर्जन- मोबाइल, डेस्कटॉप और वेब शामिल हैं।’ नोटिफिकेशन बताया गया कि, अगर किसी स्टाफ के फोन में व्हाट्सएप इंस्टॉल है, तो उसे तुरंत डिलीट किया जाए। इतना ही नहीं, आदेश में अनजान नंबरों से आने वाले मैसेज या फिशिंग स्कैम से सावधान रहने की चेतावनी भी दी गई। आदेश में स्टाफ को वॉट्सएप की जगह दूसरी मैसेजिंग एप्स यूज करने की सलाह दी गई है। बैन की वजह क्या है?
आदेश में बताया गया कि ऑफिस ऑफ साइबर सिक्योरिटी ने व्हाट्सएप को ‘हाई-रिस्क’ एप माना है। इसके पीछे 3 बड़ी वजहें दी गईं… इसी साल जनवरी में सिक्योरिटी पर सवाल उठाए थे इससे पहले इसी साल जनवरी में वॉट्सएप ने खुद कबूल किया था कि इजरायली स्पायवेयर कंपनी पैरागॉन सॉल्यूशंस ने इसके कई यूजर्स, खासकर जर्नलिस्ट्स और सिविल सोसाइटी मेंबर्स को टारगेट किया था। इस घटना ने वॉट्सएप की सिक्योरिटी पर सवाल उठाए थे। मेटा का क्या कहना है? मेटा ने इस बैन पर विरोध जताया है। कंपनी के स्पोक्सपर्सन एंडी स्टोन ने रॉयटर्स से कहा, ‘हम इस फैसले से बिल्कुल सहमत नहीं हैं। वॉट्सएप में डिफॉल्ट एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन है, जो इसे दूसरी मैसेजिंग एप्स से ज्यादा सिक्योर बनाता है।’ मेटा का दावा है कि वॉट्सएप की सिक्योरिटी लेवल उन एप्स से बेहतर है, जिन्हें हाउस ने अल्टरनेटिव के तौर पर सुझाया है। स्टोन ने ये भी कहा कि हाउस और सीनेट के कई मेंबर्स वॉट्सएप यूज करते हैं, और वो चाहते हैं कि हाउस के मेंबर्स भी इसे ऑफिशियली यूज करें। भारत में 48 करोड़ से ज्यादा वॉट्सऐप यूजर्स
भारत में करीब वॉट्सएप के करीब 48.9 करोड़ यूजर हैं। वहीं दुनियाभर में इसके 2 अरब से भी ज्यादा यूजर्स हैं। वॉट्सएप को साल 2009 में लॉन्च किया गया था। 2014 में फेसबुक ने वॉट्सएप को 19 बिलियन डॉलर में खरीदा था।
