भास्कर न्यूज | राजसमंद हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में कुल चार बार नवरात्रि आती हैं, जिनमें से दो सार्वजनिक रूप से मनाई जाती हैं—चैत्र और अश्विन मास की शारदीय नवरात्रि। जबकि अन्य दो नवरात्रे गुप्त रूप से साधना और तंत्र अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध होते हैं। ये गुप्त नवरात्रे आषाढ़ और माघ मास में आतर हैं। इस बार आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रों की शुरुआत 26 जून बुधवार से हो चुकी है। यह विशेष नवरात्रि नौ दिनों तक चलेगी और इसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की गुप्त पूजा की जाती है। इस नवरात्रि का महत्व तंत्र साधना, महाकाली, बगलामुखी, तारा, छिन्नमस्ता आदि शक्तिपीठ रूपों की उपासना के लिए अत्यधिक माना जाता है। गुप्त नवरात्रों में साधक एकांत में रहकर विशेष मंत्र, यंत्र, और अनुष्ठानों के माध्यम से सिद्धि प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। आमतौर पर यह नवरात्रि घरों में धूमधाम से नहीं मनाई जाती, बल्कि गुप्त साधना और तपस्या के लिए उपयुक्त मानी जाती है। गुप्त नवरात्र का महत्व : धार्मिक मान्यता के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में देवी शक्ति की उपासना से आत्मिक बल और मनोबल की वृद्धि होती है। विशेष रूप से वे लोग जो जीवन में किसी तरह की बाधा, कर्ज, शत्रु भय या मानसिक अस्थिरता से ग्रसित हैं, उनके लिए यह नवरात्रि अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। यह समय तांत्रिक विधाओं में रुचि रखने वाले साधकों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान कई साधक निर्जल व्रत, त्राटक, चंडी पाठ, रात्रि जप और विशेष हवन आदि का आयोजन करते हैं। मां दुर्गा के नौ रूपों की साधना : इन नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों-शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है, लेकिन यह पूजन गुप्त और सीमित स्वरूप में किया जाता है। 26 जून से शुरू होकर यह गुप्त नवरात्रि 4 जुलाई को भड़ली नवमी तक चलेगी। धार्मिक आस्थावानों के लिए यह समय आत्मिक साधना, ध्यान और शक्ति आराधना का विशेष अवसर है।

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