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राजसमंद के कुंडेली गांव में जन्मी राधा ओर रुक्मा को 50 साल बाद अपनी पुश्तैनी जमीन का हक मिला। राधा ओर रुक्मा को ये हक देवगढ़ तहसील की सांगावास ग्राम पंचायत में चल रहे पंडित दीनदयाल अंत्योदय संबल पखवाड़े के शिविर में मिला। कुंडेली गावं में जन्मी राधा और रुक्मा दो बहनों के पिता का निधन उस समय हो गया जब उनकी आयु दो वर्ष व 4 वर्ष थी। पिता के निधन के बाद उनकी पुश्तैनी जमीन बची। लेकिन विधवा मां की मजबूरी और समाज की बेरुखी के चलते उनके चाचा ओर ताऊ ने व जमीन अपने नाम कर ली। राधा और रुक्मा के बड़ी होने पर शादी हो गई व परिवार बस गया। लेकिन दोनों के मन में एक टीस हमेशा बनी रही कि उनको अपनी ज़मीन का हक नही मिला। वही जब सांगावास में में पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा के तहत शिविर लगा तो दोनों बेटियों का मामला भी शिविर में आया ओर निस्तारित किया गया। देवगढ़ तहसील द्वारा पुराने दस्तावेजों की गहन जांच, गवाहों के बयानों और रिकॉर्ड के आधार पर यह प्रमाणित हुआ कि ज़मीन पर हक वास्तव में राधा और रुक्मा का है। और फिर पचास साल बाद वह ऐतिहासिक दिन आया जब दोनों बहनों के नाम से पुश्तैनी भूमि का नामांतरण किया गया। आज राधा और रुक्मा न केवल ज़मीन की मालकिन हैं, बल्कि गांव की हर बेटी के लिए एक जीवंत प्रेरणा बन गई हैं। उन्होंने साबित किया कि हक की लड़ाई में उम्र, लिंग या समय कोई बाधा नहीं, केवल सरकार का सहयोग चाहिए।

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