राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार से कहा कि वह अपीलीय अधिकारियों को न्यायिक अकादमी में ट्रेनिंग दिलाए। जस्टिस अशोक जैन की अदालत ने यह निर्देश राजस्थान टेबल टेनिस एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत मलिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। दरअसल याचिका में अपीलीय अधिकारी (खेल सचिव) के आदेश को चुनौती दी गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने खेल सचिव की ओर से अपीलीय अधिकारी के तौर पर अपनाई गई कार्यप्रणाली पर असंतुष्ठता जाहिर की। अदालत ने कहा कि खेल सचिव को अपीलीय अधिकारी के रूप में कार्य करने का अधिकार दिया है, जबकि वह स्वयं अपील का निर्णय करते समय अपनाई गई प्रक्रिया से अनभिज्ञ थे। ट्रैनिंग दिलाना जरूरी, जिससे न्याय में चूक ना हो
अदालत ने कहा कि यह आदेश सरकार उन सभी प्रशासनिक अधिकारियों पर लागू होता है, जिन्हें किसी भी कानून के तहत अपील पर निर्णय लेने की शक्ति दी गई है। जिससे अपील के निर्णय के दौरान न्याय में चूक ना हो। यह कदम इसलिए जरूरी है, क्योंकि जमीनी स्तर पर अधिकारियों और अपीलीय अधिकारियों के पास आम आदमी को न्याय देने के लिए शक्तियां प्राप्त हैं, लेकिन अगर वे गलती करते हैं तो पीड़ित व्यक्ति के आंसू पोंछना बहुत मुश्किल होता है। अपीलीय अधिकारी का आदेश निरस्त
अदालत ने मामले में अपीलीय अधिकारी के 28 अक्टूबर के आदेश को निरस्त करते हुए सभी पक्षों को सुनवाई का मौका देकर तीन माह में नए सिरे से निर्णय करने के लिए मामला अपीलीय अधिकारी के पास भेजा दिया। वहीं अदालत ने अपीलीय अधिकारियों को किसी भी अपील पर निर्णय लेने से पहले न्यायिक अकादमी में प्रशिक्षण लेना सुनिश्चित करने के लिए आदेश की कॉपी मुख्य सचिव को भेजी है। याचिकाकर्ता ने स्वयं को टीटी एसोसिएशन का अध्यक्ष चुने जाने का दावा करते हुए संयुक्त रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां की 23 फरवरी, 2024 की जांच रिपोर्ट को खारिज करने के संबंध में अपीलीय अधिकारी के तौर पर काम कर रहे खेल सचिव के समक्ष अपील दायर की थी। अपीलीय अधिकारी ने बिना कारण बताए और याचिकाकर्ता को सुने बिना अपील को खारिज कर दिया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा गया कि अपीलीय अधिकारी ने विधि के प्रावधानों की पालना किए बिना केवल मशीनी अंदाज में आदेश पारित किया है। ऐसे में अपीलीय अधिकारी के आदेश को रद्द किया जाए।
