बताया गया कि बीएसटीसी के लिए मार्च 2025 में आवेदन के समय पोर्टल पर सलूंबर की जगह ‘डेश’ (-) ब्लॉक दिखाया था। अंतिम दिन होने के कारण छात्रों ने मजबूरी में फॉर्म सबमिट कर दिया। छात्रों ने बताया कि आवेदन के दौरान बिलोंग टू ट्राइबल एरिया कॉलम में जब जिले का चयन किया गया, तब सलूंबर का नाम नहीं था। उसकी जगह डेश दिखाई दे रहा था। तकनीकी गड़बड़ी के कारण छात्रों को भ्रम हुआ, समय भी कम था, इसलिए डेश क्षेत्र से फॉर्म भरना पड़ा। अब विश्वविद्यालय ने 26 जून को जो मेरिट सूची जारी की है, उसमें इन छात्रों को नॉन-टीएसपी श्रेणी में रखा गया है। उनकी रैंक नीचे चली गई जिससे प्रवेश की संभावना कमजोर हो गई। छात्र बड़ा तालाब मानपुर निवासी रोशन मीणा ने कहा कि यह तकनीकी गलती विश्वविद्यालय की है, जिसका नुकसान छात्रों को हो रहा है। सभी दस्तावेज सही थे लेकिन पोर्टल में गड़बड़ी के कारण गलत विकल्प चुनना पड़ा। अब मेरिट में पिछड़ने से हम प्रवेश की दौड़ से बाहर हो रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब तक न तो कोई संशोधित सूची जारी की है, न ही तकनीकी गड़बड़ी पर कोई जवाब दिया है। इससे छात्रों में नाराजगी है। विद्यार्थियों और अभिभावकों ने उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि मेरिट सूची में संशोधन कर टीएसपी का लाभ दिया जाए। समय पर समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन की चेतावनी दी है। ^जब मैं बीएसटीसी का फॉर्म भरने गया तब सलूंबर जिले में टाडा का ऑप्शन नहीं आ रहा था। इस जगह पर डेश आ रहा था, मजबूरी में आवेदन करना पड़ा। अब हमें नॉन टीएसपी में डाल दिया है । – रोशन मीणा, छात्र, बड़ा तालाब पंचायत समिति झल्लारा ^ फॉर्म भरते समय सलूंबर जिले का नाम भरते ही टाडा टीएससी की जगह डेश आ रहा था। यूनिवर्सिटी की तकनीकी खामी से छात्रों को नॉन टीएसपी की मेरिट लिस्ट में डाल दिया गए, जिससे हमें टीएसपी का लाभ नहीं मिल सका । – सोनिया मीणा, छात्रा , टूटा महुड़ा पंचायत समिति झल्लारा ^ इस आवेदन प्रक्रिया में शिक्षा विभाग का संबंध नहीं रहता है, फिर भी अगर छात्रों को इस तरह की समस्या आई है तो शिकायत आने पर विवि को भेज कर इसका समाधान करवाने का प्रयास करेंगे। – महेशचंद्र आमेटा, जिला शिक्षा अधिकारी सलूंबर भास्कर न्यूज | झल्लारा नवगठित सलूंबर जिले के सैकड़ों छात्रों को वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा द्वारा बीएसटीसी (डीएलएड) पाठ्यक्रम के लिए जारी मेरिट सूची में टीएसपी (जनजाति उपयोजना क्षेत्र) का लाभ नहीं मिला। आवेदन के समय विश्वविद्यालय की ओर से हुई तकनीकी खामी के कारण टीएसपी क्षेत्र के आवेदकों को नॉन टीएसपी में डाल दिया गया। इससे छात्रों की मेरिट गिर गई और अब उनके प्रवेश पर संकट खड़ा हो गया हैं। छात्रों ने इसमें संशोधन की मांग करते हुए ऐसा नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

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