बूंदी के केशवरायपाटन में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई है। योजना का लाभ पात्र गरीबों को नहीं मिला। नगरपालिका ने संपन्न लोगों को मकान स्वीकृत कर दिए। भाजपा के दो पार्षदों ने अपने परिजनों के नाम पर आवास मंजूर करवाए। पार्षद धारा सिंह उर्फ हरजीत केवट ने पत्नी किरण केवट के नाम पर मकान स्वीकृत करवाया। किरण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। पार्षद श्यामा बाई नामा ने बेटे महेश नामा के नाम पर मकान मंजूर करवाया। दोनों के पास पहले से पक्के मकान हैं। नगरपालिका ने नियमों के विपरीत दूसरी मंजिल पर मकान स्वीकृत किए। योजना की पूरी राशि भी तुरंत जारी कर दी गई। जेईएन ने मौका रिपोर्ट में गलत जानकारी दी कि आवेदकों के पास पक्का मकान नहीं है। बीपीएल कार्डधारी छीतरलाल मेघवाल, नील कमल मेघवाल, पुरुषोत्तम मेघवाल, लीलाधर गौड़ और मुकेश पांचाल ने कई महीने पहले आवेदन किया। सभी दस्तावेज जमा करने के बाद भी उनकी फाइलें लंबित हैं। नगरपालिका कर्मचारी कोई न कोई कमी बताकर फाइल लौटा देते हैं। पालिका के बाहर दलाल सक्रिय हैं। वे पीएम आवास स्वीकृत करवाने के लिए पैसे मांगते हैं। कई गरीब उनके झांसे में आ चुके हैं। बीपीएल श्रेणी के लटूरलाल प्रजापत ने 2022 में सभी दस्तावेज जमा किए। पहले मकान स्वीकृति की बात कही गई। बाद में फाइल रिजेक्ट कर दी गई। सच सामने आ जाएगा पार्षद श्यामा बाई नामा ने कहा कि इस मामले से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। मेरे बेटे ने सरकार के नियमानुसार आवास लिया है। अगर कुछ गलत होता तो पालिका पहले ही फाइल रिजेक्ट कर देती। पार्षद हरजीत केवट ने कहा कि मेरी पत्नी के नाम कोई आवास नहीं है। योजना का लाभ लेकर नया मकान बना रहे हैं। अगर कुछ गलत है तो अधिकारी जांच कर लेंगे, सच सामने आ जाएगा। जांच करवा लेंगे पीएम आवास योजना के प्रभारी जेईएन गजेन्द्र नागर ने माना कि दो पार्षदों के परिजनों को योजना का लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि योजना में पार्षदों के परिजनों पर पाबंदी नहीं है। अगर उनके पास मकान नहीं हैं तो वे भी लाभ ले सकते हैं। जियो टैगिंग में गड़बड़ी पर उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी कुछ नहीं बता सकते। पात्र गरीबों को मकान नहीं मिलने पर कहा कि प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृतियां की गई हैं। फिर भी जांच करवा लेंगे। 1600 परिवारों ने आवेदन किया नगरपालिका क्षेत्र में योजना के तहत 1600 परिवारों ने आवेदन किया। इनमें से 345 आवास स्वीकृत हुए। 316 मकान पूरे हो चुके हैं। स्वीकृत आवासों में भी धांधली सामने आई है। वार्ड 19 में एक ही परिवार के दो बेटों को छत पर मकान दे दिया गया। उनके पिता के नाम पहले से दो मकान हैं। वार्ड 20 में भूखंड का पट्टा एक जगह का है, लेकिन मकान दूसरी जगह बना दिया गया। वार्ड 12, 13, 16, 19 और 20 में एक ही पट्टे पर मकान स्वीकृत कर राशि जारी कर दी गई।