नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) के स्पेशल मॉनिटर बालकृष्ण गोयल मंगलवार को दो दिवसीय दौरे पर झुंझुनूं पहुंचे। अपने दौरे के पहले दिन उन्होंने देव रोड स्थित पीएम श्री राजकीय विद्यालय का निरीक्षण किया और स्कूल की शैक्षणिक व प्रशासनिक व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस अवसर पर उन्होंने छात्र-छात्राओं से संवाद करते हुए उन्हें मानवाधिकारों के बारे में जानकारी दी और उनके अधिकारों व कर्तव्यों को लेकर जागरूक किया। बालकृष्ण गोयल ने विद्यालय परिसर में पहुंचते ही प्रधानाचार्य एवं स्टाफ सदस्यों से मुलाकात की और विद्यालय की कार्यप्रणाली उपस्थिति, विद्यार्थियों की संख्या, आधारभूत सुविधाओं, छात्रावास व्यवस्था, पोषण आहार, पुस्तक वितरण व अन्य योजनाओं की जानकारी ली। उन्होंने बच्चों से सीधा संवाद करते हुए उनकी पढ़ाई, समस्याओं और जरूरतों के बारे में जाना। उन्होंने विद्यार्थियों को समझाया कि मानवाधिकार केवल वयस्कों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बच्चों के भी अधिकार होते हैं, जिनकी रक्षा करना समाज और सरकार दोनों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, भोजन, स्वास्थ्य, सम्मान और सुरक्षा बच्चों के मूलभूत अधिकार हैं और इन अधिकारों के हनन की स्थिति में उन्हें आवाज उठानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित न रखें, बल्कि उनके भीतर संवेदनशीलता, सामाजिक समझ और अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता भी विकसित करें। इस दौरान उन्होंने विद्यालय में स्वच्छता, शौचालय, पेयजल, पुस्तकालय व खेल सुविधाओं का भी अवलोकन किया और उनकी स्थिति को लेकर संबंधित विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश देने की बात कही। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा स्कूल स्तर से शुरू होती है और विद्यालयों में ही बच्चों को अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाना जरूरी है। दौरे के दूसरे दिन बुधवार को वे कलेक्ट्रेट में जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। बैठक में बाल अधिकार, महिला सुरक्षा, बंदियों के अधिकार, पुलिस व्यवहार, बुजुर्गों और दिव्यांगजनों के साथ व्यवहार, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की स्थिति आदि मुद्दों पर समीक्षा की जाएगी। इसके साथ ही जिले में मानवाधिकारों को लेकर किस प्रकार का वातावरण है और आमजन को उनके अधिकारों की जानकारी कितनी है, इस पर भी चर्चा होगी। झुंझुनूं सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बालकृष्ण गोयल ने कहा कि मानव अधिकारों का हनन आज भी बड़ी चुनौती बना हुआ है। उन्होंने कहा कि आयोग का उद्देश्य सिर्फ शिकायतों की सुनवाई करना नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को जागरूक करना भी है, ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सकें और उन्हें पाने के लिए संगठित होकर प्रयास करें। उन्होंने बताया कि उनके दौरे का मुख्य उद्देश्य सरकारी संस्थाओं, शिक्षा और प्रशासनिक ढांचे में मानवाधिकारों की स्थिति का आंकलन करना है। इस फीडबैक को वे सीधे आयोग के समक्ष रखेंगे ताकि सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें। गोयल ने यह भी बताया कि आयोग ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दे रहा है क्योंकि वहां अक्सर लोग अपने अधिकारों से अनभिज्ञ होते हैं और शोषण का शिकार बनते हैं। ऐसे में शिक्षा, पंचायत और प्रशासन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। इस दौरान उनके साथ प्रशासन के अधिकारी, शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे। विद्यालय प्रबंधन ने उनके स्वागत में एक लघु कार्यक्रम भी आयोजित किया जिसमें छात्रों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

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