17 साल की पहलवान अश्विनी बिश्नोई ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अश्विनी ने लगातार तीसरे साल सब जूनियर एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है। हाल ही में वियतमान में सम्पन्न सब जूनियर एशियन कुश्ती चैम्पियनशिप में अश्विनी ने चीन की पहलवान को हराकर गोल्ड मेडल जीता। इसी चैम्पियनशिप की मिट्टी स्पर्धा में भी उन्हें गोल्ड मेडल मिला। खास बात यह है कि अश्विनी के पिता मुकेश बिश्नोई भीलवाड़ा की कपड़ा फैक्ट्री में मजदूरी का काम करते हैं। वे खुद भी पहलवानी करते थे लेकिन अपने खेल को परवान नहीं चढ़ा सके तो बेटी के मार्फत अपने सपने पूरे करने में लगे हैं। लगातार तीन गोल्ड जीतने वाली अश्विनी राजस्थान की पहली महिला पहलवान बन गई हैं। 2023 में अंडर-15 में जॉर्डन, अम्मान में आयोजित हुई एशियन सब जूनियर कुश्ती के 62 किलो में और 2024 में जार्डन में ही अंडर-17 की सबजूनियर एशियाई चैम्पियनशिप में गोल्ड जीत चुकी हैं। वे राष्ट्रीय स्तर पर भी अब तक 14 मेडल जीत चुकी हैं। सफलता का श्रेय पिता मुकेश और कोच कल्याण को अश्विनी अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता मुकेश और कोच कल्याण को देती हैं। पिता खुद भी राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में हिस्सा ले चुके हैं। सरकार से मदद मिले तो ओलिंपिक तक पहुंच सकती है पिता ने बेटियों को सफलता के शिखर तक पहुंचाने के लिए अपना सबकुछ दाव पर लगा दिया। खुद मजदूरी करते हैं। पैसा ज्यादा नहीं था तो प|ी के जेवर बेचकर बच्चियों को खेल में आगे बढ़ाया। अब वे चाहते हैं कि सरकारी मदद मिले तो बच्चियां इंटरनेशनल लेवल पर और भी अच्छा कर सकती हैं और ओलिंपिक तक का सफर तय कर सकती हैं। दूसरी बेटी भी पहलवान है। रोज 8-9 घंटे के अभ्यास ने दिलाई सफलता अश्विनी रोजाना सुबह 5 से 8 बजे तक मैट पर, उसके बाद 11 से 1 बजे तक अखाड़े पर अभ्यास करती हैं। इसके बाद 1-3 बजे तक रेस्ट करती हैं। फिर शाम 4 बजे से 8 बजे तक पिता की देखरेख में घर पर मेट ट्रेनिंग करती हैं। इस तरह रोजाना 8-9 घंटे का अभ्यास करती हैं।

Leave a Reply