मंच पर शिव, भस्मासुर और विष्णु के मोहिनी रूप के प्रसंग को कलाकार ने नृत्य के जरिए जीवंत किया। मौका था जवाहर कला केंद्र में वर्षा ऋतु के सौंदर्य से रूबरू करवाने वाले मल्हार महोत्सव का। रंगायन में महोत्सव के अंतिम दिन दिनेश परिहार ने कथक संरचना ‘भस्मासुर मोहिनी” व पारंपरिक शुद्ध कथक पेश किया। पौराणिक कथा पर आधारित नृत्य नाटिका ‘भस्मासुर मोहिनी’ में अभिनय, भाव एवं नृत्य का प्रभावशाली संगम दिखाई दिया। वहीं, दूसरी ओर कथक की जटिल लयकारी आधारित 9 मात्रा के तकनीकी पक्ष की प्रस्तुति हुई, जिसमें शास्त्रीय विधा की पहली प्रस्तुति में कथक के नृत्य पक्ष की सूक्ष्मता, लयकारी, तोड़े, टुकड़े, परण और पढ़ंत की सुंदरता देखने को मिली। इसमें मुकेश गंगानी ने भगवान शिव, पूर्णिमा अरोड़ा ने मां पार्वती, दिनेश परिहार ने भस्मासुर और मोनिका अग्रवाल ने मोहिनी और जीवराज ने भगवान विष्णु की भूमिका निभाई। ताल वाद्य कचहरी; इससे पहले परमेश्वर लाल कथक व समूह के कलाकारों ने ताल वाद्य कचहरी में अपना हुनर दिखाया। आठ वर्षीय प्रिंस कथक और शौर्य बेनीवाल ने शुरुआत में नन्ही अंगुलियों का जादू तबले पर दिखाया। इसके बाद ताल वाद्य कचहरी में विभिन्न ताल वाद्यों तबला, नगाड़ा, घटम, ढोलक, पखावज, जेम्बे की संयुक्त प्रस्तुति हुई। इस दौरान कलाकारों ने तीन ताल में विलंबित और द्रुत लय का वादन किया। तबले पर परमेश्वर लाल कथक, मोहित कथक, नगाड़े पर मनीष कुमार देवली, घटम पर धीरज कुमार चौहान ने संगत की। वहीं, ढोलक पर राकेश कुमार नागौरी और मुकेश कुमार चौहान ने जेम्बे वादन किया।